वैदिक शास्त्रों में रत्नों व उपरत्नों के बारे में उल्लेख मिलता है। इनकी संख्या चौरासी बताई गई है लेकिन इनके अतिरिक्त कुछ अन्य भी उपरत्न है, जिन्हें बाद में उपरत्नो की श्रेणी में समाहित किया गया है। इनमें से कुछ लुप्त प्राय: भी हैं। पहले हम बात करते है नवरत्नों की, जिन्हें धारण करने से इनका हमारे जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
1- लहसुनिया रत्न- इसका रंग कुछ कालापन लिए हुए हरा या पीला होता है। इसमें बिल्ली आंखों की धारी होती है, इसलिए इसे विडालाक्ष भी कहते हैं। यह केतु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है।
2- हीरा- यह बेहद कठोर रत्न है। मूल्यवान भी होता है। यह सफेद, गुलाबी, काले व पीले रंगों में पाया जाता है। यह शुक्र का प्रतिनिधि रत्न है।
3- गोमेद- यह रत् न कालापन लिए हुए लाल रंग या पीलापन मिश्रित लाल रंग का होता है। इसके अलावा यह गौमूत्र के रंग का पाया जाता है। यह राहु का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है।
4- पन्ना- यह हरा या सफेद मिश्रित हरे रंग का रत्न होता है। यह पारदर्शी व अपारदर्शी दोनों तरह के होते हैं। इसे बुध का प्रतिनिधि रत्न माना गया है।
5- पुखराज- यह पीले या सफेद रंग का होता है। यह पारदर्शी रत्न है। इसे बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना गया है।
6- नीलम- नीलम मोर के गर्दन के समान गहरे नीले रंग या पारदर्शी हल्के नीले रंग का रत्न है। गहरे रंग का नीलम बैंकाक और हल्के नीले रंग का सीलोनी नीलम कहलाता है। यह शनि ग्रह का प्रतिनिधि रत्न होता है।
7- माणिक रत्न- यह लाल का श्रेष्ठ रत्न माना जाता है लेकिन श्याम वर्ण मिश्रित लाल रंग के भी माणिक रत्न होते हैं। यह रत्न सूर्य का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है।
8- मूंगा- यह रत्न लाल, सिंदूरी औश्र सफेद रंग का होता है। इसे मंगल ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माना गया है।
9- मोती- यह रत्न सफेद रंग का आबदार होता है। इसके अलावा हल्के गुलाबी और पीले रंग का भी प्राप्त होता है। इसे चंद्रमा का प्रतिनिधि रत्न माना गया है।
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चूंकि रत्न सामान्य तौर पर महंगे होते है, इन्हें खरीदता हर व्यक्ति की सामथ्र्य में नहीं होता है, ऐसे उपरत्न धारण करने से भी धारक का समान प्रभाव प्राप्त होता है।
जाने उपरत्नों का सामान्य परिचय
1- जरकन- जरकन को अमेरिकन डायमंड भी कहते हैं। यह अक्सर सफेद रंग का होता है लेकिन यह लाल, पीले आदि रंगों का भी पाया जाता है। देखने में यह हीरे जैसा ही प्रतीत होता है। इसे प्राय: आभूषणों में जड़ने के काम में लाया जाता है।
2- पारस- यह सर्वधा दुर्लभ रत्न है। माना जाता है कि इसके स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है। इसे लेकर दंत कथाएं प्रचलित है।
3- रेनबो उपरत्न- यह सफेद का चमकदार उपरत्न है और इसे धूप में देखने से इसमें कई रंगों की झलक प्रतीत होती है।
4- सुनहला- यह सोने के रंग का पारदर्शी उपरत्न है। इसे पुखराज का उपरत्न माना गया है। इसे बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए धारण करने का विधान है।
5- स्फटिक- सफेद बिल्लौर को ही स्फटिक कहा जाता है। यह सफेद, चमकदार और पारदर्शी रत्न है। इसे शुक्र ग्रह का उपरत्न माना गया है।
6- कटैला- यह हल्के बैगनी रंग का चमकदार और पारदर्शी उपरत्न है। शनि ग्रह की शांति के लिए इस उपरत्न को धारण करने का विधान है।
7- दाना फिरंग- यह उपरत्न हरे रंग का होता है और इस पर हल्के हरे रंग की लहरदार धारियां भी होती हैं।
8- फिरोजा- यह फिरोजी रंग का होता है। इसके अलावा यह आसमानी रंग का भी पाया जाता है। यह अपारदर्शी उपर‘ होता है। इसे बुध ग्रह की शांति के लिए धारण करने का विधान है।
9- जबरजद्द- यह उपरत्न हरे रंग का आभायुक्त मुलायम पत्थर होता है। इसे भी बुध ग्रह की शांति के लिए धारण करने का विधान है।
1०- तुरमली- यह उपरत्न गुलाबी, हरे, नीले रंग के मिलते है। इसके रंगों के आधार पर ही इसे विभिन्न ग्रहों की शांति के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
11- ओपल- यह अक्सर सफेद रंग का पाया जाता है। इसी सतह पर कई रंगों की छीटे होते हैं। यह बेहद नरम उपरत्न माना जाता है। गिरने पर आसानी से टूट जाता है। इसे हीरे का उपरत्न माना गया है। 12- संगसितारा- यह गहरे गेरुये रंग का अपारदर्शी पत्थर है। इसकी सतह पर सुनहरे रंग के छीटें होते हैं।
13- सुरमा- यह काले रंग का पत्थर होता है। इससे आंख का सुरमा भी बनाया जाता है।
14- हजरते ऊद- यह काले रंग का पत्थर होता है।
15- सोनमक्खी- सफेद मिSी के से रंग का होता है।
16- माहे मरियम- यह मटमैला रंग का होता है और इस पर पीले रंग की आड़ी-तिरछी लकीरों का जाल रहता है। इसे धारण करना बबासीर की बीमारी में लाभदायक माना जाता है।
17- लाजवर्त- यह नीले रंग का होता है। इसकी सतह पर सफेद रंग के धब्बे रहते हैं। शनि ग्रह की शांति के लिए इसे महत्वपूर्ण उपरत्न माना गया है।
18- तामड़ा- यह गारनेट के नाम से विख्यात है। यह गहरे लाल रंग का कुछ कालापन लिए हुए होता है। इसे माणिक का उपरत्न भी माना गया है।
19- चंद्रकांत मणि- इस उपरत्न को गोदंती के नाम से भी जाना जाता है। इसका अंग्रेजी नाम मून स्टोन है। यह मोती का उपरत्न है।
2०- गन मैटल- यह काले रंग का चमकदार उपरत्न है। इसे शनि ग्रह का उपरत्न माना गया है।
21- मकनातीस- इसे मैगनेट स्टोन अथवा चुम्बक पत्थर के नाम से भी जाना जाता है। यह काले रंग का चमकदार दिखता है। यह लौह पदार्थो को अपनी ओर खींचता है और ब्लड प्रेशन नियंत्रण में इसे कारगर माना गया है।
22- काला स्टार- यह काले रंग का उपरत्न है। इसकी सतह पर चमकीला स्टार दिखता है। यह शनि ग्रह का उपरत्न माना गया है।
23 टाइगर- इसकी सतह पीली और काली चमकती पSियों सी होती है। इसमें बाघ की खाल सरीखी धारियां होती है। इसे केतु का उपरत्न माना गया है।
24- मरगज- यह उपरत्न नीले और हरे रंग का होता है। इसे बुध और शनि ग्रह का उपरत्न माना गया है।
25- ओनेक्स- यह भी हरे व नीले रंग का होता है। यह बहुतायत में पाया जाता है। इसे बुध व शनि ग्रह का उपरत्न माना गया है।
26- हकीक- यह विभिन्न रंगों का होता है। इस पर धारियां होती है, इसे विभिन्न ग्रहों की शांति के लिए उसके रंग रूप के आधार पर प्रयोग किया जाता है।
27- सुलेमानी- यह काले रंग का उपरत्न है। इस पर सफेद रंग की धारियां रहती है।
28- हकीक यमनी- इसे लाल ओनेक्स भी कहा जाता है। यह सुर्ख लाल रंग का होता है। मंगल ग्रह की शांति के लिए इसे धारण करने का विधान है।
29- बैरूज- इसका रंग हल्का हरा होता है। इसे पन्ना का उपरत्न माना गया है।
3०- धुनैला- यह धुंए के रंग और सुनहरे रंग के मिश्रित रंग का होता है।
31- सजरी- यह कई रंगों का होता है। इस पर फूल व पत्तियों के आकार बने रहते हैं। इसे हकीक का उपरत्न माना गया है।
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32- होलदिली- यह सफेद और हरे रंग का मिश्रित उपरत्न है। मान्यता है कि इसे धारण करने से दिल मजबूत होता है और भय नहीं व्याप्तता है।
33- अलक्जैंडर- यह नीले और जामुनी रंग का होता है।
34- लालड़ी- यह गुलाब के फूल के गुलाबी रंग की तरह का आभायुक्त रत्न है।
35- रोमनी- यह गहरे लाल रंग का कुछ हद तक कालापन लिए हुए रहता है।
36- नरम- यह लाल का उपरत्न कुछ पीलापन लिए हुए होता है।
37- लूधिया- यह मजीठ के समान लाल रंग का होता है।
38- सिंदूरिया- यह गुलाबी रंग का कुछ सफेदी लिए हुए रहता है।
39- नीली- यह नीले रंग का रहता है। इस उपरत्न को काका नीली भी कहते हैं। यह नीलम जाति का उपरत्न है। इसे नीलम का उपरत्न भी माना गया है।
4०- पितौनिया- यह हरे रंग का रत्न है। इस पर लाल रंग के छीटे रहते हैं।
41- बांसी- यह हल्के हरे रंग का नरम पत्थर है।
42- दुवैनजफ- कच्च्ो धान के रंग का होता है।
43- आलेमानी- यह भूरे रंग का होता है। इस पर काली धारियां होती है। यह सुलेमानी की जाति का उपरत्न है।
44- जजेमानी- यह भूरे रंग का होता है। इस पर क्रीम रंग की धारियां होती है।
45- सावोर- इसका रंग हरा होता है और इस पर भूरे रंग का डोरा होता है।
46- तुरसावा- यह गुलाबी रंग लिए हुए होता है और गुलाबी रंग में कुछ पीलापन मिश्रित होता है।
47- अहबा- यह गुलाबी रंग के होता है और इसकी सतह पर बड़े-बड़े छीटे होते हैं।
48- आबरी- इसका रंग काला होता है।
49- कुद्रत- यह काले रंग का होता है। इस पर सफेद व पीले रंग के दाग होते है।
5०- चित्ती- यह काले रंग का होता है। इस पर सुनहरी धारियां होती हैं।
51- संग सन- यह उपरत्न सफेद व अंगूरी रंग मिश्रित होता है।
52- रवात- यह लाल व नीले दो रंगों का पाया जाता है। इसे रात रतुआ भी कहते हंै। यह रात में आने वाले ज्वर में बेहद लाभदायक माना जाता है।
53- जहर मोहरा- इसका रंग कुछ हद तक सफेदी लिए हुए हरा और काला सा होता है। यह साँप का विष उतारने के काम भी आता है।
54- सेलखड़ी- यह सफेद रंग का चिकना और नरम पत्थर होता है। इसे »ृंगार सामग्री बनाने के काम में लाया जाता है।
55- पारा जहर- यह सफेद रंग का होता है।
56- खारा- यह उपरत्न कुछ हरापन लिए काले रंग का होता है।
57- लिलियर- यह काले रंग का होता है। इस पर सफेद रंग के छीटे हैं।
58- अमलीया- यह हल्का कालापन लिए हुए गुलाबी रंग का होता है।
59- डूर- यह यह कत्थई रंग का पत्थर होता है।
6०- पनधन- यह उपरत्न काले में कुछ हरापन लिए होता है।
61- मूसा- यह सफेद और मटियाले रंग का होता हैं।
62- सीमाक- यह लाल रंग कुछ पीलापन लिए हुए होता है। इस पर गुलाबी रंग के छींटें होते हैं।
63- सीया- यह काले रंग होता है। यह मूर्तियां बनाने के काम में आता है।
64- गौरी- यह कई रंगों का उपरत्न है। यह हकीक से मिलता-जुलता धारीदार व कठोर पत्थर होता है।
65- ढ़ड़ी- यह उपरत्न काले रंग का होता है। इसे खरल बनाने के काम में लाया जाता है।
66- सींगली- यह लाल रंग में कुछ कालापन लिए होता है। यह मणिक की जाति का उपरत्न होता है।
67- लारू- यह मकराने की जाति का पत्थर होता है।
68- मारवर- इसे मारवल और संगमरमर भी कहते हैं। यह विभिन्न रंगों का होता है।
69- कसौटी- यह स्याह कालेरंग का पत्थर होता है। इस पर घिस कर सोने-चांदी की पहचान होती है।
7०- दारचना- यह कत्थई रंग का होता है। इस पर पीले रंग के छींटे होते हैं।
71- हकीक गलबहार- यह पीलापन लिए हरे रंग का होता है। इसे माला बनाने के काम में लाया जाता है।
72- हालन- इसका रंग गुलाबी होता है। इसे हिलाने पर इसका रंग भी हिलता हुआ प्रतीत होता है।
73- मुबेनजफ- यह उपरत्न सफेद रंग का होता है। इस पर काले रंग की धारियां होती है।
74- कहरुआ- यह लाल रंग का उपरत्न है। इसकी माला बनाई जाती है।
75- झना- यह मटियाले रंग का होता है।
76- संगबसरी- यह आंखों के सुरमा बनाने के काम आता है।
77- दांतला- यह चिकना, पानीदार, सफेद और हरे रंग का होता है।
78- मकड़ा- यह हल्के काले रंग का होता है। इसकी सतह पर मकड़ी का जाल सा होता है।
79- संगिया- यह सेलखड़ी से मिलता-जुलता सफेद रंग का होता है।
8०- गुदड़ी- यह पीले रंग का होता है।
81- कामला- यह सफेदी लिए हरा होता है।
82- सिफरी- यह नीले और हरे रंग का मिश्रित होता है।
83- हरीद- यह काले और कुछ भूरापन लिए रंग का होता है।
84- हवास- यह हरे रंग का कुछ सुनहला सा होता है।