जानिए, आपका रत्न असली है, या फिर नकली

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आज के दौर में असली व नकली रत्न की पहचान बहुत मुश्किल हो गई है, विश्वास करके ही लोग
रत्न को धारण करते हैं, लेकिन रत्न की पहचान सम्भव है, यदि आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर
रत्न खरीद लें, तो निश्चित ही धोखा खाने से बच सकते हैं।

मूंगा की पहचान– 1- असली मूंगा आग में डालने से जल जाता है, इससे बाल जलने के समान ही गंध आती है, हालांकि यह परख के लिए व्यवहारिक कम माना जाता है। 2- यह रत्न अन्य रत्न की तुलना में चिकना होता है और हाथ में लेने से फिसलता है। 3- असली मुंगे  को खून में रखने से उसके चारों ओर रक्त जम जाता है, यह सहज उपाय है। 4- असली मूंगे पर किसी माचिस की तिल्ली से पानी की बूंद रखने पर बूंद स्थिर बनी रहती है, आसपास फैलती नहीं है। 5-असली मूंगे पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने से उसकी सतह पर झाग उठती है लेकिन काले मूंगे पर इसका प्रभाव नहीं होता है।

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पन्ना की पहचान- 1- इसमें भंगुरता होने की वजह से यह गिरने पर टूट सकता है। 2- असली पन्ने पर पानी की बूंद रखने पर स्थिर बनी रहती है। 3- असली पन्ने को लकड़ी से रगड़ने पर इसकी चमक में वृद्धि होती है। 4- पन्ना पारदर्शी व अपारदर्शी दोनों की रूपों में मिलता है। 5- पन्ना सुंदर, मखमली घास की तरह हरितवर्ण प्रतीत होता है। इसके साथ ही यह हरे और सफेद मिश्रित रंग का अपारदर्शी भी होता है।

असली मोती की पहचान- 1- मोती में विशेष तरह की मौक्तिक चमक होती
है। इसकी चमक स्थायी बनी रहती है। 2- मोती के आकार-प्रकार से भी इसकी पहचान की जा सकती है, क्योंकि यह गोल, बोडौल और टेढ़ा-मेढ़ा होता है। इसकी कोई कटिंग नहीं की जाती है, इसलिए यह अपने प्राकृतिक रूप में ही रहता है। 3- मोती तारे के समान प्रकाशमान, श्वेत, स्वच्छ व चिकना होता है। मोती को यदि किसी कपड़े से रगड़ा जाए तो इसकी चमक में वृद्धि होगी।4- गाय का मूत्र किसी मिट्टी के बर्तन में रख्ो और उसमें मोती रख दें। रातभर मोती को वहीं रहने दें, यदि सुबह मोती टूटा हुआ न दिखे तो शुद्ध मानना चाहिए। 5- मोती को धी में डाल दें, यदि घी पिघल जाए तो मोती असली मानना चाहिए। 6- मोती को धान के भूसे से अच्छी तरह मसलें, यदि चूरा हो जाए तो नकली मानना चाहिए। असली मोती की चमक बढ़ती है।

माणिक यानी रूबी की पहचान- 1- असली माणिक कुछ हद तक रेश्ोदार होता है। 2- प्रात: काल सूर्य के प्रकाश में रखने से इसमें से कुछ किरण्ों सी निकलती हुई प्रतीत होती हैं। 3- यह लाल रंग या श्याम वर्ण मिश्रित लाल रंग का या फिर लाख के रंग का पारदर्शी या आपरदर्शी दोनों प्रकार का होता है। 4- यह ·िग्ध, कांतियुक्त, आबदार और चमकीला होता है। 5- असली माणिक के हथेली में रखने पर कुछ ताप सा महसूस होता है और साधारण रत्न से कुछ ज्यादा वजन वाला होता है।

पुखराज की पहचान- 1- पुखराज हाथ में लेने पर वजनदार महसूस होता है। 2- पुखराज को धूप में देखने पर इससे से किरण्ों निकलती प्रतीत होती है। 3- यह र‘ पारदर्शी व स्निग्ध होता है। 4- असली पुखराज में कोई न कोई रेशा जरूर होता है।

 

नीलम की पहचान- 1- इस रत्न को धूप में रखने से इसमें से किरण्ों सी निकलती प्रतीत होती है। 2- कांच के गिलास में नीलम रख दिया जाए तो उसमें से नीले रंग की किरणे निकलती प्रतीत होती हैं। 3- यह
रत्न चिकना, स्वच्छ और पारदर्शी होता है। 4- नीलम बिल्कुल साफ नहीं मिलता है, इसमें थोड़ा बहुत रेशा जरूर होता ही होता है।

गोमेद की पहचान- 1- यह गोमूत्र के रंग के समान या कुछ कालिमा लिए लाल रंग का पारदर्शी या अर्ध पारदर्शी र‘ होता है। 2- यह रत्न अन्य रत्न की तुलना में अधिक वजनदार होता है। 3- इसको बल्व की ओर करके देखने पर इसमें गोमूत्र के समान पारदर्शिता प्रतीत होती है। 4- गोमेद को कसौटी पर घिसने पर इसकी कांति पूर्ववत बनी रहती है। 5- असली गोमेद को लकड़ी की बुरादे से घिसने पर इसकी चमक में वृद्धि होती है।

लहसुनिया की पहचान- 1- लहसुनिया में चमकीलापन व चिकनाहट होती है। 2- इसे कपड़े से रगड़ने पर इसकी चमक में वृद्धि होती है। 3- लहसुनिया के मध्य में सफेद रंग का सूत्र या फिर धारी होती है। इसे घुमाने पर धारी चलती हुई महसूस होती है। 4- वजन सामान्य रत्न से कुछ ज्याद होता है।

हकीक की पहचान- इस रत्न में अक्सर डोरियां या पंखुड़िया सी पड़ी होती हैं, जो कभी तो स्पष्ट होती है, कभी अस्पष्ट होती है। कहने का आशय यह है कि किसी पत्थर पर यह नंगी आंखों से देखी जा सकती है और किसी पत्थर पर सूक्ष्म दर्शक यंत्रों से ही दिखाई देती हैं। यह कई रंग का होता है, जैसे- दूधिया, लाल, सफेद, पीला, भूरा, हरा, नीला, काला आदि। यह रत्न काफी कठोर होता है।

हीरा की पहचान

1- असली हीरे पर किसी वस्तु की खरोच या निशान नहीं पड़ता, इस की चमक स्थाई होती है और स्पर्श करने पर यह ठंडा प्रतीत होता है। 2- हीरा विद्युत का कुचालक होता है, इसी गुण के कारण हीरे की अंगूठी पहने व्यक्ति को विद्युत का झटका नहीं लगता है। 3- हीरे को गर्म करने पर उसका रंग कुछ हल्का हो जाता है, लेकिन ठंडा होने पर वह उसका रंग पूर्ववत हो जाता है। 4- हीरा सर्वाधिक कठोर होता है, लेकिन गिरने पर टूट जाता है। 5- असली हीरे को धूप में रखने पर इंद्रधनुषी किरणों का विकरण होता है।

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