परमात्मा अनंत अविनाशी है। उसकी दिव्यता की अनुभूति जिसको हो जाती है, उसे इस बात का भान हो जाता है कि सृष्टि में सत्य है तो वही ब्रह्म तत्व। वही अविनाशी है। श्ोष मिथ्या है। ईश्वर की जिस जीव पर कृपा दृष्टि होती है, उसे ही उसकी दिव्यता की अनुभूति होती है। ईश्वरी सत्ता की अनुभूति के लिए अमृत वेला श्रेयस्कर मानी जाती है, क्योंकि अमृत वेला यानी ब्रह्म मुहूर्त में सकारात्मक शक्तियों का प्रभाव सृष्टि पर चरम पर रहता है और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव हीन हो जाता है, इस ब्रह्म मुहूर्त में क्यों ध्यान और ज्ञानार्जन करना चाहिए?, इस पर हम इस लेख के माध्यम से प्रकाश डालने जा रहे हैं। वैसे शुरुआत में एक बात स्पष्ट कर देना उचित प्रतीत हो रहा है कि ईश्वर भी ब्रह्म मुहूर्त में जीव को संकेत देता है। बस जरूरत होती है, उसे समझने की।
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वे बहुत ही सौभाग्यशाली होते हैं, जिन्हें ईश्वर संकेत देता है और वह जीव उनके संकेत को समझ लेता है। प्राय: आपने महसूस किया होगा कि तीन से पांच बजे के मध्य प्रात: आपकी नींद अनायास खुल गई है। इसका मतलब यह हुआ कि सृष्टि चाहती है कि आप ज्ञान अर्जन व ध्यान के माध्यम से सकारात्मक उर्जा की अनुभूति करें। यदि आप सुबह उठते हैं और परम तत्व के ध्यान और ज्ञानार्जन में लीन हो जाते हैं तो निश्चित मानिए, कि आपमे में सकारात्मक उर्जा का प्रभाव बढ़ना शुरू हो जाएगा।
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यदि 3 से 5 के मध्य आपकी नींद खुल जाती है तो आप वह लोग है, जिन्हें ईश्वर प्रेम करता है। ऐसे में आप अमृतवेला में जरूर उठिये, आपको निश्चित ही दिव्य अनुभूति होंगी, जो हर किसी को नहीं होती है। यह आप स्वयं भी अनुभव कर सकते है।
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आइये, जानते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त या अमृत वेला क्या है। ब्रह्म मुहूर्त रात का अंतिम प्रहर का तीसरा भाग होता है। धर्म शास्त्रों में नींद के त्याग का यही श्रेष्ठ समय बताया गया है। ब्रह्म का आशय हुआ परम तत्व। मुहूर्त का आशय हुआ अनुकूल समय। ब्रह्म मुहूर्त को अमृत वेला भी कहते है। अमृत को आशय होता है, जो जीव को अमरता प्रदान करे, वेला का मतलब होता है समय। अमृत वेला का अर्थ हुआ चिरंजीवी बनाने या अमरता प्रदान करने वाला समय। इस समय में कुछ देर भी किया गया योगाभ्यास आत्मा को उस आत्मिक आनंद की अनुभूति करा देता है, जो आनंद की अनुभूति अमृत पीने वाले को होती है। अमृतवेला अर्थात वह वेला, जब स्वयं भगवान अपने भक्तो को अमृत पिलाने आता है और उस अमृत को जो नहीं पी पाता, उसे परमानंद की प्राप्ति नहीं होती है। अमृतवेला से अ हटा दे तो क्या होगा? मृतवेला श्ोष रह जाएगा, यदि आप आत्म कल्याण चाहते हैं, उन्हें इस वेला में जाग कर राजयोग, ध्यान और ज्ञानार्जन करना चाहिए।
मंत्र है-
।।मुहूर्ते बुध्येत् धर्माथर चानु चिंतयेत। कायक्लेशांश्च तन्मूलान्वेदत वार्थमेव च।।
चोबीस घंटे में तीस मुहूर्त होते हैं। ब्रह्म मुहूर्त रात्रि का चौथा प्रहर होता है। सूर्योदय के पहले के प्रहर में दो मुहूर्त होते हैं। उनमें से पहले मुहूर्त को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। दिन-रात का 30वां भाग मुहूर्त कहलाता है, यानी दो घटी या 48 मिनट का कालखंड मुहूर्त कहलाता है। उसके बाद वाला विष्णु का समय है, जबकि सुबह शुरू होती है लेकिन सूर्य दिखाई नहीं देता। हमारी घड़ी के अनुसार सुबह 4.24 से 5.12 का समय ब्रह्म मुहूर्त है।
साधारण रूप से समझे तो सूर्योदय के डेढ़ घण्टा पहले का मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त होता है। सही मायने में कहा जाये तो सूर्योदय के २ मुहूर्त पहले, या सूर्योदय के ४ घटिका पहले का मुहूर्त। १ मुहूर्त की अवधि ४८ मिनट होती है। अतः सूर्योदय के ९६ मिनट पूर्व का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है।
जानिए, ब्रह्ममुहूर्त में जागने का महत्व व फल
सनातन परम्परा में प्रात: उठने का बहुत महत्व बताया गया है, या दूसरे शब्दों में कहें कि दिनचर्या का विशेष महत्व बताया गया है, नियम पूर्व सुबह उठना और समय से सोना, समय से भोजन ग्रहण करना और समय से दैनिक कार्य करना। सबके लिए नियम है, समय है और तौर तरीके बताए गए है। एक अनुशासन का दैनिक जीवन में महत्व रखता है, जोकि इंद्रियों दोषों से बचाने में सहायक होता है। इसमें आत्म चिंतन और आत्मबल बढ़ाने को भी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा माना गया है। ब्रह्ममुहूर्त में उठने की बड़ी महत्ता है।
आयुर्वेद में ब्रह्ममुहूर्त में जागने से दिन के आरम्भ का महत्व बताया गया है।
वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मिं स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति ।
ब्राह्मे मुहूर्ते सञ्जाग्रच्छ्रियं वा पङ्कजं यथा ॥ – (भैषज्यसार 93)
अर्थ- ब्राह्ममुहूर्त में उठने वाला पुरूष सौन्दर्य, लक्ष्मी, स्वास्थ्य, आयु आदि वस्तुओं को वैसे ही प्राप्त करता है जैसे कमल।
महाराज मनु का कहना है-
ब्राह्मे मुहूर्ते बुद्ध्येत, धर्मार्थौ चानुचिन्तयेत
अर्थ- ब्राह्म मुहूर्त में प्रबुद्ध होकर, धर्म और अर्थ का चिंतन करना चाहिए।
ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी।
अर्थ- ब्राह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्यों का नाश करने वाली है।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या नहीं करना चाहिए
बहस, नकारात्मक विचार, वार्तालाप, संभोग, नींद, भोजन, यात्रा, किसी भी प्रकार का शोर आदि ब्रह्म मुहूर्त में नहीं करना चाहिए । बहुत से लोग जोर से पाठ करते है, यह अनुचित है ।
ब्रह्म मुहूर्त में क्या करना चाहिए
ब्रह्म मुहूर्त में चार कार्य ही करने चाहिए : 1. वंदन, 2. ध्यान, 3. प्रार्थना और 4. अध्ययन। वैदिक रीति से की गई वंदन सबसे उचित होता है। उसके बाद ध्यान फिर प्रार्थना। विद्यार्थी वर्ग को संध्या वंदन के बाद अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन के लिए यह समय सबसे उत्तम माना गया है। इस काल में अध्ययन से सफलता प्राप्त होती है। योग साधनाना के लिए सही समय मन जाता है ।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लाभ
ब्रह्म मुहूर्त के समय में जितना हो सके, अपने को आत्म केंद्रित कर ईश्वरीय सत्ता में ध्यान लगाएं, इस समय में किया गया ध्यान-पूजन निश्चित तौर पर विश्ोष फलदायी होता है। माना जाता है कि जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नियमपूर्वक और धर्म निष्ठ होकर जीवन का निर्वहन करते हैं, उन पर सदैव ही ईश्वरीय कृपा बरसती है, क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में पूजन करने से ईश्वरीय कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। माना जाता है कि ईश्वर प्रात: काल सृष्टि में विचरते हैं।
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ब्रह्म मुहूर्त के समय संपूर्ण वातावरण शांतिमय और निर्मल होता है। देवी-देवता इस काल में विचरण कर रहे होते हैं। सत्व गुणों की प्रधानता होती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं और भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
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जल्दी उठने से स्वयं को सौंदर्य, बल, विद्या और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह समय ग्रंथ रचना के लिए उत्तम माना गया है। वैज्ञानिक शोधों से ज्ञात हुआ है कि ब्रह्म मुहुर्त में वायुमंडल प्रदूषणरहित होता है। इसी समय वायुमंडल में ऑक्सीजन (प्राणवायु) की मात्रा सबसे अधिक (41 प्रतिशत) होती है, शुद्ध वायु मिलने से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। ऐसे समय में शहर की सफाई वर्जित है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
kya armritwela brahma muhurat se aur pehle ka time hai?
साधारण रूप से समझे तो सूर्योदय के डेढ़ घण्टा पहले का मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त होता है। सही मायने में कहा जाये तो सूर्योदय के २ मुहूर्त पहले, या सूर्योदय के ४ घटिका पहले का मुहूर्त। १ मुहूर्त की अवधि ४८ मिनट होती है। अतः सूर्योदय के ९६ मिनट पूर्व का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है।
Kya brahma muhurat; Amritvela ka Sirf ek Naam hai?