जिस प्रकार ग्रहों के दुष्प्रभावों से रत्न हमारी रक्षा करते है, हमे शक्ति प्रदान करते है, ठीक उसी प्रकार से भारतीय ज्योतिष में धातुओं का भी अपना महत्व बताया गया है। धातुओं के प्रभाव को भी मान्यता दी गई है। ज्योतिष में इनका प्रयोग कर ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम किया जाता है। जिस तरह से रत्न विभिन्न ग्रहों के दूषित प्रभावों को दूर करते हैं, उसी तरह अलग-अलग धातुओं को भी धारण करने का भी विधान है, जिनसे ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं। धातुएं अपेक्षा कृत रूप से कम मूल्यों की होती हैं, इसलिए जो रत्न खरीदने में असमर्थ हैं, वह भी धातु का प्रयोग कर सकते हैं। ग्रहों की प्रतिनिधि धातुएं होती है। ग्रह विशेष की प्रतिनिधि धातु भी धारण की जा सकती है।
इनके धारण से ग्रह बाधा दूर होती है। इनमें भी आठ धातुओं के मिश्रण से बनाई गई अष्टधातु की अंगूठी या छल्ले को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। मुख्य रूप से आठ धातुओं का विधान ज्योतिष शास्त्र में किया गया है, जो कि ग्रह बाधा को दूर करने में सहायक होती हैं। ये धातुएं है- सोना, चांदी, तांबा, लोहा, जस्ता, रांगा, सीसा और पारा। मान्यता यह भी है कि इन आठ धातुओं के मिश्रण से बनाई गई अंगूठी या छल्ला धारण करने से नवग्रहों के दुष्प्रभाव नष्ट होते हैं। इसे धारण करने से मानसिक शाक्ति प्राप्त होती है। बात करते है, अब उन ग्रहों की जो हमारे जीवन को प्रभावित करते है, जैसे सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। जो कि प्रत्येक जीव के जीवन को प्रभावित करते हैं। इन नवग्रहों के प्रभाव के चलते जीव को सुख-दुख की प्राप्ति होती है। उसका उत्थान और पतन भी होती है।
नवग्रहों की शांति के लिए अलग-अलग धातुओं का विधान है, अब हम धातु और ग्रह के सम्बन्ध को समझाते हैं।
ग्रह धातु
केतु जस्ता
राहु तांबा
शनि रांगा, सीसा, लोहा
सूर्य, मंगल व गुरु सोना, तांबा
शुक्र व चंद्रमा चांदी
बुध पारा
धातुओं और ग्रहों के आपसी सम्बन्धों पर दिए गए विवरण से स्पष्ट हो जाएगा कि किस तरह ग्रहों का प्रतिनिधित्व अलग-अलग धातुएं करती है।
कुछ ज्योतिष क्ष्ोत्र के विद्बानों का मानना है कि राहु और केतु के लिए पंच धातु को मान्यता दी है। पंच धातु में सोना, चांदी, ताम्बा, रांगा और सीसा होता है। इन्हीं का मिश्रण पंचधातु कहलाता है। अष्टधातु की अंगूठी में आठ धातुओं का मिश्रण होता है। इसे धारण करने से नवग्रहों का प्रभाव कम होता है और अनिष्ट से रक्षा होती है, विश्ोष बात यह होती है कि अष्ट धातु की अंगूठी को किसी भी राशि वाला व्यक्ति धारण कर सकता है। हालांकि जब हम अंगूठी धारण करते हैं तो वह किसी न किसी धातु से निर्मित होती है। ज्योतिष भी उसे धारक को विशेष धातु से निर्मित करने की सलाह देते है। यानी उस स्थिति में रत्न के साथ धातु भी अपना प्रभाव दिखलाती है।