भगवान शिव अनंत हैं, अविनाशी है, उनकी माया का विस्तार सृष्टि है। त्रिदेवों में भगवान शिव- शंकर ही अति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव है। वे देवों के देव महादेव हैं। प्रसन्न होने पर वे भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। भूतभावन भगवान शंकर भक्त वत्सल हैं।
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त्रिकालदर्शी भगवान शिव- शंकर आदि पुरुष है और जब प्रसन्न होते हैं तो भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। उनका भक्त सद्गति प्राप्त करता है।
भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करने के कुछ सहज मंत्र हम प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके जप से जीव का कल्याण होता है और भगवान शंकर उस पर असीम कृपा करते हैं, बशर्तें आवश्यकता इस बात की होती है कि सच्ची भावना से उनकी भक्ति में लीन हुआ जाए।
शिव पंचाक्षरी मंत्र-
इसे महामंत्र भी कहा जाता है। यह भगवान शंकर का परम प्रिय मंत्र है। इसके जप से भगवान शंकर सहज ही प्रसन्न होते हैं, जो जीव इस पावन मंत्र से भगवान शंकर की स्तुति करता हैं, उसका कल्याण होता है। वह अतुल कल्याण का भागी होता है।
मंत्र है-
ऊॅँ नम: शिवाय।।
भूतभावन भगवान शिव- शंकर के अन्य पावन मंत्र-
1- ऊॅँ नमो नील कण्ठाय
2- ह्रीं ऊॅँ नम: शिवाय ह्रीं
चमत्कारी शिव गायत्री मंत्र-
भगवान शिव-शंकर की कृपा और शीघ्र प्रदान करने वाले शिव गायत्री मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिये। यह परमकल्याणकारी मंत्र है। इस मंत्र के जप से भी भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होते हैं।
मंत्र है-
ऊॅँ नमो तत्पुरुषाय
विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्र प्रचोदयात्।
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