चारमुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में पिरोकर बृहस्पतिवार के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर प्रात: सूर्योदय के समय किसी केले के पौध्ो से स्पर्श कराकर ऊॅँ ब्रह्मा देवाय नम:……………….. मंत्र या निम्न उल्लेखित किसी मंत्र से अभिमंत्रित कर गले में धारण करना चाहिए। इससे शास्त्रों के अध्ययन से विद्या वृद्धि के कारण व्यक्ति को समाज में अति सम्मान प्राप्त होता है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष पितामह ब्रह्मा के स्वरूप वाला होता है। इसके धारण करने से श्री और आरोग्य की प्राप्ति होती है। प्राणी वेदशास्त्र का ज्ञाता, सबका प्रिय और दूसरों को आकर्षित करने वाला होता है। उसे आंखों में तेज और वाणी में मिठास का गुण मिलता है।
पद्म पुराण के अनुसार चारमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित कर धारण करना चाहिए।
मंत्र हैं- ऊॅँ ह्रीं नम:
स्कंद पुराण के अनुसार चारमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित कर धारण करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं हूॅँ नम:
महाशिव पुराण के अनुसार चारमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित कर धारण करना चाहिए।
मंत्र है- ओं ह्रीं नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार चारमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रतिष्ठित कर धारण करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ऊॅँ ह्रीं नम:
रुद्राक्ष धारण करने का अन्य पावन मंत्र
चारमुखी रुद्राक्ष- वां क्रां तां ह्रां ईं
विधि- सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचामृत, पंचगव्य आदि से स्नान आदि कराकर पुष्प गंध, दीप से पूजा करकर अभिमंत्रित करना चाहिये।