रुद्राक्ष का महत्व धर्म शास्त्रों में विस्तार किया गया है, इसकी महिमा का गान जितना किया जाए, वह कम ही होगा। यहां हम बात रहे है एकमुखी रुद्राक्ष की। यह बताने जा रहे है, इसे कैसे अभिमंत्रित कर धारण किया जाए, ताकि आप इसे धारण कर पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकें। एकमुखी रुद्राक्ष को किसी भी पवित्र दिन पवित्र नक्षत्र में सफेद धागे में पिरोकर इसके लिए बताए गए मंत्रों में से किसी एक से अभिमंत्रित कर गले में पहनना चाहिए। इससे कष्टों का निवारण होता है। धन-सम्पत्ति में रखने पर पैसे की कमी नहीं होती है। एकमुखी रुद्राक्ष शिव स्वरूप परतत्व का प्रकाशक है। इसे धारण करने से जीव चिंतामुक्त होकर निर्भय हो जाता है। ब्रह्म हत्या का पाप भी इसे धारण करने से दूर होता है। जो व्यक्ति एकमुखी रुद्राक्ष धारण करता है, उस पर माता महालक्ष्मी की असीम कृपा होती है। यह बहुत ही विरला रत्न हैं। कीमत भी बहुत अधिक होती है। एकमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व स्नानादि कर प्रात: शुद्ध हो लें और विधिविधान के अनुसार इसे धारण किया जाए तो पूर्ण फल प्राप्त होता है।
पुद्य पुराण के अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ऊॅँ दृशं नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ए नम:
महाशिव पुराण के अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ओं ह्रीं नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ऊॅँ भृशं नम:
रुद्राक्ष धारण करने के अन्य पावन मंत्र
एकमुखी रुद्राक्ष- ऊॅँ एँ हं अौं एें ऊॅँ
विधि- सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचामृत, पंचगव्य आदि से स्नान आदि कराकर पुष्प गंध, दीप से पूजा करकर अभिमंत्रित करना चाहिये।