ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को लाल या पीले धागे में पिरोकर सोमवार के दिन प्रात:काल स्नान कीजिए, फिर सूर्योदय से पहले ही अपने इष्ट देव के चरणों में स्पर्श कराकर ऊॅँ सर्व शक्तिमान इष्ट देवाय नम:…………. मंत्र का पाठ करते हुए एक दाने को गले में धारण करना चाहिए। एक मुखी रुद्राक्ष के अभाव में इसे धारण किया जा सकता है, क्योंकि इसे एकादश रुद्र माना गया है। इसके धारण करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और रोगों का नाश, दरिद्रता का नाश और शोक का नाश होता है। साधु-संतों में श्रद्धाभाव, सत्य व प्रेम को बढ़ाने वाला है। चूंकि एकादशमुखी यानी ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को रुद्र का स्वरूप माना गया है, इंद्र भी इसके स्वामी हैं। इसे धारण करने से हजारों गोदान का पुण्यफल प्राप्त होता है, जो चंद्रग्रहण के समय किए गए दान और वाजपेय यज्ञ से भी कई गुना अधिक होता है। इससे यश, वैभव और चारों ओर अपार प्रसिद्धि मिलती है। मान्यता के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को एकादश महारुद्र वीरभद्रादि के स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। स्वर्ग, मत्र्य और पाताल लोक में विचरण करने वाले असंख्य रुद्र हैं। ऐसी भी मान्यता है कि ये सभी रुद्रगण ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले से संतुष्ट व प्रसन्न रहते हैं। ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से धारक को एकादशी व्रत के समान फल प्राप्त होता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को सिर या शिखा पर धारण करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह भी मान्यता है कि इसे इसे शिखा में धारण करने से सहस्त्र अश्वमेघ यज्ञ और एक लाख गाय दान करने के बराबर पुण्य फल मिलता है। ग्यारहमुख रुद्राक्ष धारण करने से सभी कष्ट व संकट दूर होते हैं। इसकी महिमा का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि श्रद्धा व विश्वास पूर्वक इसे धारण करने से वन्ध्या स्त्री को भी संतानवती होने का सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। यह रुद्राक्ष गले में धारण करने से सभी फलों की प्राप्ति होती है।
पद्म पुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कीजिए।
मंत्र है- ऊॅँ श्रीं नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कीजिए।
मंत्र है- ऊॅँ श्रीं नम:
महाशिव पुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कीजिए।
मंत्र है- ओं ह्रीं हूॅँ नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कीजिए।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं नम:
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए अन्य पावन मंत्र निम्न उल्लेखित है।
मंत्र है- ऊॅँ रूं क्षूं मूं यूं अौं