जानिए, ज्वाला मैया के नौ रूप, नौ ज्योतियों के स्वरूप में

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हिमाचल की ज्वाला देवी की महिमा अनन्त हैं। देवी ज्वाला का यह पावन धाम ज्वालामुखी में अवस्थित है। यह धाम 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यह धाम कांगड़ा से दो घंटे की दूरी पर है। आज हम आपको इन्हीं ज्वाला देवी की नौ ज्योतियों का माहात्म्य बताने जा रहे हैं। जिन दिव्य व अलौकिक ज्योतियों के दर्शन से मनुष्य का सदैव ही कल्याण होता है।

पहली ज्योति मंदिर के मुख्य द्बार के सामने चांदी के जाले में जो बड़ी ज्योति सुशोभित है, उसका महाकाली का पवित्र रूप कहा जाता है। यही पूर्ण ब्रह्म ज्योति ज्वालामुखी के नाम से विख्यात है। इसके दर्शन मात्र से भक्ति-मुक्ति मिलती है। दूसरी ज्योति इसके कुछ नीचे ही भंडार भरने वाली महामाया अन्नपूर्ण की ज्योति है। तीसरे ज्योति यही दूसरी ओर है, जो शत्रुओं का विनाश करने वाली है। चौथी ज्योति सभी व्याधियों का नाश करने वाली है यह हिंगलाज भवानी की पावन ज्योति है। पांचवीं ज्योति विन्ध्यवासिनी हैं, जो मनुष्य मात्र को शोक से मुक्ति दिलाती हैं। छठवी ज्योति धन-धान्य देने वाली हैं, महालक्ष्मी की यह ज्योति कुण्ड में विराजमान है। सातवी ज्योति विद्यादात्री सरस्वती देवी की है। यह भी कुण्ड में सुशोभित है। आठवी ज्योति संतान सुख देने वाली ज्योति है, यह अम्बिका स्वरूप भी कुण्ड में ही दर्शन दे रही हैं। नौवी ज्योति इसी कुण्ड में विराजमान परम पवित्र अंजना देवी की है, जो आयु व सुख प्रदान करती हैं। इन नव ज्योतियों के प्रत्यक्ष दर्शनों से अनेकानेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं।

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देवी की यह ज्योतियां चौदह से अधिक हैं यानी यह चतुर्दश दुर्गा चौदह भुवनों को रचने वाली हैं। कभी-कभी यह ज्योतियां तीन रह जाती हैं। इसमें यह भाव पाया जाता है कि चौदह भवनों में तीन गुण ही पाए जाते हैं यानी सत-रज और तम। इन तीनों गुणों से ये पावन ज्योतियां संसार का निर्माण करती हैं। इस अत्यन्त घोर कलियुग में भगवती ज्वाला के सदृश्य कोई देवता प्रत्यक्ष नहीं है। मुक्ति और भुक्ति के इच्छुक भक्त ज्वाला जी के पवित्र दर्शन से मुंह मांगी मुरादें पाते हैं। माता ज्वाला के दर्शन से मनुष्य की सभी कामनाएं पूर्ण होती है। ये देवी का प्रत्यक्ष स्वरूप को प्रकट करने वाली पावन ज्योतियां है।

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