ज्वाला माता या ज्वालामुखी माता की महिमा अनन्त है, जिस पर ज्वालामुखी माता या ज्वाला माता कृपा करती हैं, उसके सभी दुखों को हर लेती है। हम इस लेख में माता ज्वाला के मंदिर में होने वाली आरती के नियम बताने जा रहे है, किस समय होती है, यह आरती, यह बताने जा रहे है, जो कि निश्चत तौर पर आपकी धार्मिक यात्रा में उपयोगी सिद्ध होंगी, हमे इस बात का पूर्ण विश्वास है, माता ज्वाला के दर्शन करने के लिए हर वर्ष लाखों भक्त उनकी चौखट पर पहुंचते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए माता के चरणों में शीष झुकाते हैं।
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ऐसी ज्वाला माता को के दर्शन करने जाने से पूर्व यहां आरती के बारे में जान लेना आवश्यक है। मंदिर कमेटी ओर से यहां प्रतिदिन यहां पांच आरती का विधान है।
ज्वाला माता के मंदिर में होने वाली इन आरतियों में भव्यता की अनुभूति भक्त स्वयं ही महसूस कर लेता है।
माता ज्वाला की पहली आरती-
ब्रह्म मुहूर्त में प्रात:काल की जाती है। इसमें माल-पुआ, खोया और मिश्री का भोग लगता है।
दूसरी आरती-
पहली आरती के एक घंटे बाद मंगल आरती होती है, जिसमें पीले चावल और दही का भोग लगाया जाता है।
तीसरी आरती-
माता ज्वाला की मध्यह्न् काल में चावल, षट्रस-दाल और मिष्ठान का भोग लगाया जाता है।
चौथी आरती-
माता ज्वाला की सायंकाल आरती होती है, पूरी, चना और हलुआ का भोग माता ज्वाला को लगाया जाता है।
पांचवीं आरती-
माता ज्वाला की शयन आरती होती है, रात्रि दस बजे दूध, मलाई व ऋतुफल का भोग लगाया जाता है।
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