पांचमुखी रुद्राक्ष को एक से तीन दाने तक लाल धागे में पिरोकर शिवलिंग से स्पर्श कराकर ऊॅँ नम: शिवाय:………………. मंत्र का जप करते हुए धारण करना चाहिए। ईश्वर भक्ति के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष की माला का जप करना चाहिए और पंच मुखी रुद्राक्ष के छोटे दाने की माला को गले में धारण करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पंचमुखी रुद्राक्ष रुद्रकालाग्नि के नाम से प्रसिद्ध है। यह सबसे अधिक शुभ और पुण्यदाता माना गया है। इसके धारण करने से यश, सम्पन्नता, सुख-शांति व प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। यह अभक्ष्य-भक्षण और पर स्त्री गमन के पाप का हरण करने वाला होता है। इसे धारण करने से सब प्रकार के पाप मिट जाते हैं, इसलिए इसे अत्यन्त प्रभावशाली और महिमामय बताया गया है।
पांच मुखी रुद्राक्ष को पंचमुख ब्रह्म स्वरूप माना गया है। इसके पांचों मुखों को पंचानन यानी भगवान शिव का पंचानन रूप माना गया है। पांच मुखी रुद्राक्ष की महिमा का अनंत गान धर्म शास्त्रों में मिलता है।
पद्म पुराण के अनुसार पांचमुखी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर धारण करने का मंत्र-
मंत्र है- ऊॅँ हूॅँ नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार पांचमुखी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर धारण करने का मंत्र-
मंत्र है- ऊॅँ श्रीं नम:
महाशिव पुराण के अनुसार पंचमुखी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर धारण करने का मंत्र-
मंत्र है- ओं ह्रीं नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार पंचमुखी रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठित करने का विधान मंत्र-
मंत्र है- ऊॅँ हूॅँ नम:
पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने का पावन मंत्र-
ऊॅँ ह्रां आं क्ष्म्यौं स्वाहा
विधि- सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचामृत, पंचगव्य आदि से स्नान आदि कराकर पुष्प गंध, दीप से पूजा करकर अभिमंत्रित करना चाहिये। पूजन पूर्ण श्रद्धा भाव से करना चाहिए।