सात मुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में पिरोकर शिवलिंग से स्पर्श कराकर ऊॅँ नम: शिवाय महालक्ष्मी नम:………. मंत्र का जप करते हुए गले या बाजू में पहनना चाहिए। इसके पहनने से व्यक्ति के पास धनाभाव कभी नहीं रहता है। नौकरी व्यापार में उन्नति होती है। धन की प्राप्ति और ईश्वर की भक्ति प्रबल बनती है। सप्तमुखी रुद्राक्ष का नाम अनंत है। सूर्य और सप्तऋषि इसके देवता हैं। इस रुद्राक्षधारी को विषबाधा नहीं सताती है। इसे धारण करने से महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है। सभी पाप व शोक मिटकर सुख व शांति की मिलती है। सात मुखी रुद्राक्ष को सप्तावरण अर्थात उन सात आवरणों का स्वरूप माना गया है, जिनसे मानव शरीर निर्मित हुआ है। यथ- पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि, महत्तत्व व अहंकार। सात मुखी रुद्राक्ष को सप्त मातृका- ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, इंद्राणी और चामुंडा के प्रतीक रूप में भी स्वीकार किया गया है। अपने इन्हीं गुणों के कारण यह सप्तमुखी रुद्राक्ष सप्त ऋषियों को अत्यन्त प्रिय है। इसे धारण करने वाला मनुष्य सात आवरणों से मुक्त हो जाता है और शिव सायुज्य मुक्ति को प्राप्त करता है। सप्तमुखी रुद्राक्ष धन सम्पत्ति, कीर्ति व विजय प्रदान करने वाला होता है। सका धारण करने से धनागमन अनिरंतर बना रहता है। सप्तमुखी रुद्राक्ष कामदेव का रूप भी माना गया है। माना जाता है कि इसे धारण करने वाला स्त्रियों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। स्त्री सुख भी भरपूर मिलता है।
पद्म पुराण के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ हुॅँ नम:
स्कन्द पुराण के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठित करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रीं नम:
महाशिव पुराण के अनुसार सातमुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।
मंत्र है- ओं हूॅँ नम:
योगसार नामक ग्रंथ के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष को निम्न मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करना चाहिए।
मंत्र है- ऊॅँ ऊॅँ हूॅँ हूॅँ नम:
सात मुखी रुद्राक्ष अन्य निम्न उल्लेखित मंत्र से भी अभिमंत्रित किया जा सकता है।
मंत्र है- ऊॅँ ह्रं क्रीं ह्रीं सौं
विधि- सर्व प्रथम रुद्राक्ष को पंचामृत, पंचगव्य आदि से स्नान आदि कराकर पुष्प गंध, दीप से पूजा करकर अभिमंत्रित करना चाहिये। पूजन पूर्ण श्रद्धा भाव से करना चाहिए।