गौतम बुद्ध यानि राजकुमार सिद्धार्थ गौतम ने अपना गृहस्थ जीवन कम आयु में ही त्याग दिया था। उनको सत्य का ज्ञान बोधि वृक्ष के नीचे प्राप्त हुआ था। ये वृक्ष ( पीपल ) बिहार के बौध गया स्थल पर आज भी जीवित है। उनका त्याग अपने ज्ञान द्वारा पृथ्वी के समस्त प्राणियों को सुखी व उन्नत बनाना था।
प्रथम प्रवचन
उन्होंने अपने जीवन का प्रथम सत्य प्रवचन सारनाथ में ही दिया था। उन्होंने पृथ्वी के प्राणियों हेतु आठ दिव्य पथ दिखलाए या बतलाए, जिनसे मोक्ष प्राप्ति की जा सकती है। सारनाथ चार मुख्य बौद्ध तीर्थों में एक प्रसिद्ध स्थल है। उनका जन्म लुंबनी स्थान में हुआ था और कार्य क्षेत्र बोध गया रहा और उन्हें मोक्ष प्राप्ति कुशीनगर में हुई थी। उनका एक सुंदर मंदिर व बड़ा स्थल धर्मशाला नगर में स्थित है। सारनाथ में उनके अनेक सत्य वचन व नसीहतें विभिन्न प्रकार के माध्यम से दिखलाई गई हैं। कुछ स्थल निम्न हैं :
धमेश स्तूप
यह 34 मीटर ऊंचा एक भव्य स्तूप है, जो सम्राट अशोक ने निर्मित करवाया था। यह वह स्थल है, जहां प्रथम बार गौतम बुद्ध ने अपना प्रवचन दिया था। इसके चारों ओर हरे – भरे लांस दर्शनीय हैं। मुलगंधा कुटी विहार मंदिर श्रीलंका की महाबोधि संस्था द्वारा ये सुंदर मंदिर निर्मित है, जिसे लंका के एक बौद्ध पुजारी अंगरिका धर्मवाला ने डिजाइन किया था। मंदिर चारों ओर सुंदर हरे लांस द्वारा घिरा है और मंदिर के निकट ही उनके प्रवचन तथा प्रोत्साही लेख बोर्ड पर लिखे हैं, उन्हें अवश्य पढ़ें। इस मंदिर में एक आदमकद की बैठी हुई अवस्था में भगवान बुद्ध की सोने की मूर्ति स्थापित है और उसके पास ही एक चांदी की पेटी में बुद्ध भगवान का एक दांत रखा हुआ है। बोधि वृक्ष इस प्रांगण में एक बड़ा बोधि वृक्ष है, जो बोध गया से लाया गया था और इसी के नीचे बैठकर भगवान बुद्ध ने अपने प्रथम पांच शिष्यों को प्रवचन देकर सत्य का पाठ पढ़ाया था। इस वृक्ष के नीचे बुद्ध भगवान की आदमकद मूर्ति स्थापित है। इसी के पास एक बड़ा घंटा भी लगा है।
भगवान बुद्ध मंदिर
यह एक अत्यंत शांत स्थल है, जहां भिक्षु एक असीम आनंद का अनुभव करते हैं और ऐसी ही अनुभूति तीर्थ यात्रियों को भी यहां आने पर होती है। इस मंदिर में जापान के एक प्रसिद्ध कलाकार की असीम सुंदर चित्रकारी मन को मोह लेती है। इस चित्रकारी द्वारा बुद्ध के जीवन के अनेक पहलुओं को उजागर किया गया है।
तिब्बत मंदिर
तिब्बत की एक संस्था ने एक सुंदर बहुमंजिला मंदिर अपनी शैली में निर्मित कराया है, जो अत्यधिक सुंदर व दर्शनीय है।
अशोक चिह्न
यहां पर रेत के पत्थर से निर्मित मूल अशोक चिह्न युक्त एक स्तंभ के अवशेष म्यूजियम में रखे हैं। इस स्तंभ के शिखर पर चार शेर निर्मित हैं और ये चिह्न भारत राष्ट्र का राष्ट्रीय चिह्न हैं।