वेद विचार
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महान परमात्मरूप सोम उपासकों के प्रिय, नमनशील हृदयों की ओर प्रवाहित होता रहता है। बड़ी शक्ति वाला यही परमात्मा विशाल सूर्य के विविध उत्कृष्ट गति वाले रथ के ऊपर आरूढ़ है। आदित्य मंडल की कार्य विधि का संचालन भी वही परमात्मा कर रहा है। यजुर्वेद के मंत्र ४०/१७ में परमात्मा ने स्वयं कहा है ‘जो सूर्य वा आदित्य में पुरुष है, वह मैं ही हूं’।
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सूर्य -चंद्र आदि सकल सृष्टि का संचालक परमेश्वर ध्यान करने पर उपासकों के हृदय में प्रकट हो जाता है।
-प्रस्तुतकर्ता मनमोहन आर्य
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