मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। बांग्लादेश की तरक्की में कानपुर का भी बड़ा हाथ है। आपको सुनकर भले ही आश्चर्य होगा, लेकिन यही सच है। पड़ोसी देश की सूरत लेदर और टेक्सटाइल उद्योग ने बदल दी है। कई कारणों से परेशान कानपुर की लेदर इंडस्ट्री में बांग्लादेश ने सेंध लगा दी है।
आलम यह है कि 2100 करोड़ के विदेशी ऑर्डर यहां से चले गए हैं। सॉफ्ट लेदर यानी बकरे या बकरी की खाल का सबसे बड़ा सप्लायर भारत के बाद बांग्लादेश ही था। बताते हैं कि माघ मेला, कुंभ, प्रदूषण, कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट और एनजीटी के सख्त रुख के कारण ढाई साल में टेनरियां अधिकतम 50 फीसदी क्षमता से चल रही हैं। उसमें भी 19 महीने बंद रहीं। ऐसे में निर्यात के ऑर्डर खटाई में पड़ गए। इस स्थिति में में यूरोप के खरीदारों ने बांग्लादेश का रुख किया तो वहां जमकर प्रोत्साहन पैकेज भी दिए गए।
ड्यूटी ड्रॉ बैक 15 फीसदी कर दिया। इसका असर यह हुआ कि कानपुर के हाथ से चार बड़े विदेशी ब्रांड चले गए। जो टेनरियां यहां विस्तार करने की योजना बना चुकी थीं, उनमें से 32 ने पश्चिम बंगाल में जमीन के लिए एमओयू कर लिया। चार टेनर्स बांग्लादेश में विस्तार कर रहे हैं। इस संदर्भ में सीएलई के रीजनल चैयरमैन जावेद इकबाल ने कहा कि लेदर एक्सपोर्ट पर ड्रॉ बैक अब घटकर दो प्रतिशत रह गया है। टेनरियां महीने में 15 दिन चल रही हैं। इन वजह से हमारी लागत बढ़ गई है और बांग्लादेश की 20 फीसदी तक कम हो गई है।