कमल के पुष्प को हिंदू धर्म में बहुत मान्यता प्राप्त है। माना जाता है कि जहां भी कमल का वास होता है, वहां स्वयं लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। मशलक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए कमल के पुष्प का प्रयोग जाने का विधान है।
जलद पुष्पों में सर्वोच्च स्थान कमल को प्राप्त है। दूसरा स्थान कोक यानी कुमुद को प्राप्त है। यद्यपि कमल और कुमुद में पर्याप्त समानताएं हैं, लेकिन इनमें अनेक अंतर भी होते हैं जोकि रूप गुण प्रभाव आदि से संबंधित हैं। कमल का फूल गुलाबी रंग का होता है, कभी-कभी सफेद रंग का कमल भी देखने को मिलता है। इसमें अनेक पंखुड़ियां होती हैं और वह पंखुड़ियां बहुत अधिक कोमल होती हैं। कमल के फूल में एक विशेष प्रकार की भीनी भीनी सुगंध भी आती रहती है।
कमल के संदर्भ में हमारे धर्म शास्त्रों में विविध बातें बताई गई है-
महाप्रलय के पश्चात सर्वप्रथम जिस वस्तु की सृष्टि हुई वह कमल का फूल था। क्षीर सागर में शेषशायी भगवान विष्णु की नाभि से एक कमल दंड उत्पन्न हुआ था, जो जल सीमा पार कर के ऊपर आया। उसमें एक सुंदर पुष्प कली के रूप में लगा हुआ था। वाहे वातावरण के स्पर्श से जब वह कली विकसित हुई तो उसमें उससे चतुरानन ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए। उन पद्मासन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरंभ की।
सृष्टि की रचना का आरंभ उन्होंने एक पुरुष और एक नारी किया, जोकि मनु और शतरूपा के नाम से विख्यात हुए। मान्यता यह भी है कि लक्ष्मी जी की उत्पत्ति कमल से हुई है इसी कारण उन्हें पदमा जी भी कहते हैं। यह भी मान्यता है कि लक्ष्मी जी सदैव कमल पर ही आसीन रहते हैं।मात्र भ्रमण के लिए अपने वाहन उल्लू का प्रयोग करती हैं।
कमल को लेकर तांत्रिक प्रयोग, देते हैं धन-वैभव- संपन्नता
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों को कमल अत्यंत ही प्रिय है। उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए, पूजा करने के लिए उनको कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए। इससे वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस तरह से कमल का पुष्प प्रतिदिन अर्पित कर पूजन अर्चन में से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्राप्त होती है और धन संपदा में वृद्धि होती है। कमल का पुष्प समृद्धि कारी होता है।
मान्यता है कि जहां भी कमल का पुष्प रहता है, वहां लक्ष्मी का वास अवश्य होता है। जैसा कि उन्होंने भगवान विष्णु को अपने वास स्थानों के संदर्भ में स्वयं बताया है कि…. मैं पदम, उत्पल और शंख में निवास करती हूं।
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