kampilvastu: buddh dharm ke pravartak gautamabuddh ke janmasthaanकपिलवस्तु: बौद्धधर्म के प्रवर्तक गौतमबुद्ध के जन्मस्थान होने का गौरव कपिलवस्तु को प्राप्त है। हिमालय की तराई में स्थित यह तीर्थ अब नेपाल की सीमा में है। यह स्थान उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर जिले के बहुत समीप है। प्राचीनकाल में कपिलवस्तु शाक्य राजवंश के राजाओं की गौरवमयी राजधानी थी। यहीं लुंबिनी वन में राजा शुद्धोधन की रानी मायादेवी ने वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को इस अभूतपूर्व शिशु को जन्म दिया था। कपिलवस्तु की वास्तविक स्थिति के बारे में काफी मतभेद रहा है, लेकिन अब यहां सम्राट अशोक द्वारा निर्मित स्तंभ और शिलालेख से कपिलवस्तु की पहचान सावित हो चुकी है। इसके निकट पुराने राजमहल तथा मंदिरों और स्तूपों के खंडहर बिखरे हुए हैं।
आधुनिक कपिलवस्तु में विशाल बौद्धविहार दर्शनीय है। यहीं एक विशाल स्तूप में गौतमबुद्ध की कुछ अस्थियां भी रखी हैं। पुराने नगर के पूरब की दिशा में एक ऊंचा स्तूप है, जिसके शिलालेख से पता चलता है कि इसी स्थल पर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम को वैराग्य की अनुभूति हुई थी और वे साम्राज्य के संपूर्ण वैभव को त्याग कर सत्य और ज्ञान खोज में निकल पड़े थे। ऐसी मान्यता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतमबुद्ध अपने पिता सम्राट् शुद्धोधन के आग्रह पर पुनः कपिलवस्तु नगर में पधारे थे। यहां न्यग्रोध वन नामक स्थल पर महाज्ञानी बुद्ध ने प्रवचन दिया तथा अपने पुत्र राहुल को बौद्धधर्म की दीक्षा दी थी। तथागत की जन्मस्थली के रूप में यह पवित्र स्थान पूज्य तथा दर्शनीय है।