कान में छेद करने की परम्परा हिंदू धर्म में प्रचीन है। इसे 16 संस्कारों में शामिल किया गया है और महत्व दिया गया है, लेकिन अब पुरुषों में कान छेदन की परम्परा कम हो गयी है। स्त्रियों में यह परम्परा अभी बरकरार है। आइये, जानते हैं कि कान छेदने के क्या फायदे है। धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व तो है, साथ ही इसका हमारे मस्तिष्क व स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
सनातन धर्म में स्त्री और पुरुषों दोनों के लिए पुराने समय से ही कान छिदवाने की परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा की वैज्ञानिक मान्यता है कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है, बोली अच्छी होती है। कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित और व्यवस्थित रहता है। कान छिदवाने से एक्यूपंक्चर से होने वाले स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि इससे छोटे बच्चों को नजर भी नहीं लगती है।
वैज्ञानिक मान्यता यह भी है कि कर्ण छेदन से लकवा रोग से बचाव होता है, पुरुषों के वीर्य व अंडकोष के लिए भी इसे लाभप्रद माना जाता है। कान छेदने से भी नेत्र ज्योति पर भी सकारात्मक प्रभाव होता है। कान के जिस हिस्से में छेद किया जाता है, वहां एक प्वाइंट होता है, जो मनुष्य की भूख को प्रेरित करता है। पाचन क्रिया सशक्त होती है। कान के निचले हिस्से के प्वाइंट हमारे मस्तिष्क से जुड़े होते हैं, जिससे हमारी मानसिक शक्ति तीव्र होती है। मान्यता यह भी है कि कान छेदने से दुष्ट आत्माएं दूर रहती हैं। ज्योतिष में भी महत्व दिया गया है।कान छिदवाने से राहु और केतु के बुरे प्रभाव का असर खत्म होता है। जीवन में आने वाले आकस्मिक संकटों का कारण राहु और केतु ही होते हैं, इसलिए कान छिदवाना जरूरी है।