करवीर / महिषमर्दिनी – शक्तिपीठ ( कोल्हापुर ): दर्शन सर्वपापनाशक

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karaveer / mahishamardinee – shaktipeeth ( kolhaapur ): darshan sarvapaapanaashak करवीर / महिषमर्दिनी – शक्तिपीठ ( कोल्हापुर ) : महाराष्ट्र राज्य में स्थित कोल्हापुर अपने प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इस नगर के मध्य में ब्रह्मगिरि स्थल है। यहीं कोल्हापुर की आराध्य देवी महालक्ष्मी या अंबाबाई का प्राचीन मंदिर है, जिसका जीर्णोद्धार तथा विस्तार किया गया है। यह पावन धाम 51 शक्तिपीठ में शामिल है। यहाँ की शक्ति महिषमर्दिनी  हैं और भैरव क्रोधिश हैं।

‘ स्कंदपुराण ‘ में इस क्षेत्र को श्रीलक्ष्मी निर्मित करवीर क्षेत्र कहा गया है। यहां लक्ष्मी नित्य वास करती हैं

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क्षेत्रं वै करवीराख्यं क्षेत्रं लक्ष्मी विनिर्मितम।

तत्क्षेत्रं हि महत्पुण्यं दर्शनात् पापनाशनम्

वेदपारगामी ब्राह्मण ऋषियों ने इसका दर्शन सर्वपापनाशक बताया है। ( स्कंदपुराण, सह्याद्रि खंड, उत्तरार्द्ध, अ . 2-24-27 )

करवीर / महिषमर्दिनी – शक्तिपीठ की धार्मिक कथा 

पुराणों तथा अनेक प्राचीन ग्रंथों में इस स्थल का शक्तिपीठ के रूप में उल्लेख मिलता है। महालक्ष्मी मंदिर 52 शक्तिपीठों में भी है। यहां सती के नेत्र गिरे थे। मध्यकाल में यह हिंदू शासकों की राजधानी रही है। छत्रपति शिवाजी के वंशजों ने भी यहां शासन किया है, जिनके द्वारा यहां के पूजा – स्थलों को यथेष्ट प्रतिष्ठा प्रदान की जाती रही थी। किंतु ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें ध्वस्त किया गया था। एक अनुमान यह भी है कि नौवीं सदी में आए भीषण भूकंप से भी इन्हें भारी नुकसान पहुंचा होगा। कोल्हापुर में दो सौ से अधिक मंदिर और पूजा- स्थान हैं, जिनमें महालक्ष्मी, विठोबा, तंबलाई, महाकाली, प्रत्यंगिरा और यलेम्मा के मंदिर मुख्य हैं। इनमें महालक्ष्मी या अंबाबाई का मंदिर सबसे विशाल तथा महत्त्वपूर्ण है, जो कि मध्यस्थल में स्थित है। पत्थरों से निर्मित मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की दिशा में है। विशाल गुंबद के नीचे पूर्व की ओर उन्मुख महालक्ष्मी की प्रतिमा है। उत्तर और दक्षिण भाग में छोटे गुंबद के नीचे महाकाली तथा महासरस्वती की मूर्तियां हैं। मुख्य मंदिर में चतुर्दिक परिक्रमापथ निर्मित हैं। पत्थरों की दीवार से घिरे अहाते में अन्य मंदिरों में दत्तात्रेय, श्रीराम, राधाकृष्ण, के काशी विश्वेश्वर और विठोबा भी उल्लेखनीय हैं। यहां नवरात्र के दिनों में विशेष उत्सव मनाया जाता है। चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर उत्सवमूर्ति के रूप में जुलुस के साथ देवी की प्रतिमा को पूरे शहर में घुमाने की प्रथा कायम है।

करवीर / महिषमर्दिनी – शक्तिपीठ मंदिर व गुफाएं

महालक्ष्मी मंदिर : प्रधान भाग नीले पत्थरों से निर्मित है। पास ही पद्मसरोवर, मणिकर्णिका तीर्थ और काशीतीर्थ है। महिष मर्दिनी शक्ति भी यहीं है। इसे ही शक्तिपीठ मन जाता है।

अन्य दार्शनिक स्थल

पद्मावती मंदिर : यह जैनियों की इष्टदेवी का मंदिर है|

समाधि मंदिर : ये रानीबाग के पास है। यहां शंभाजी, शिवाजी ( तीसरे ) एवं ताराबाई की समाधियां है।

गुफाएं : पावला गुफा, चैत्य गुफाएं आदि दर्शनीय हैं।

यात्रा मार्ग 

कोल्हापुर पहुंचने के लिए मुंबई से रेल द्वारा मिराज होकर या पुणे से महाराष्ट्र एक्सप्रेस द्वारा पहुंचा जाता है। अच्छी सड़कें हैं, पुणे से, शोलापुर और पंढरपुर से  ठहरने के उपलब्ध हैं। लिए अच्छे होटल, विश्रामगृह और लॉज आदि उपलब्ध है।

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