काशी का गंगा जल श्री रामेश्वर को ले जाना बहुत ही पुण्यकारी माना गया है। स्थानीय मान्यता है कि काशी का गंगा जल रामेश्वर को ले जाने से चारों धामों की यात्रा से जो पुण्य की प्राप्ति होती है। उससे अधिक पुण्य काशी से गंगा जल लेकर जाकर रामेश्वरम में अर्पित करने से मिलता है। यह बहुत पुण्यकारी माना गया है।
कुछ विद्बान ऐसा भी मानते हैं कि काशी के बिंदुमाधव के पास गंगा में स्नान करके वहां का पवित्र जल श्री रामेश्वरम शिवलिंग को अर्पित किया जाता है और रामेश्वर के धनुष्य कोटी सेतुमाधव में स्नान के वहां की थोड़ी बालू लेकर उसे प्रयागराज यानी इलाहाबाद के वेणी माधव के पास त्रिेणी संगम में समर्पित किया जाता है। फिर त्रिवेणी संगम का गंगा जल धर लाया जाता है।
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ऐसा करने पर ही चारों धाम की यात्रा सफल मानी जाती है। इस प्रसंग के सम्बन्ध में यह स्थानीय मान्यता है कि ऐसा करने से ही चारों धामों की यात्रा सफल होती है। हालांकि प्रभु का सच्चे मन से दर्शन-पूजन अगर भक्त करता है तो उसे निश्चित तौर पर अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है।
देव दर्शन सर्वदा-सर्वदा ही हितकारी और कल्याणकारी होता है। बस जरूरत है, सच्चे मन, वचन और कर्म को अपनाकर प्रभु की शरण में जाएं और दृढ़ विश्वास के साथ उनका दर्शन-पूजन करें।
सताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्यसेतुं विशिख्ौर संख्यै।
श्रीरामचंद्रेण समर्पित तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि।।
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