देहरादून। उत्तराखंड में इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा में सिर्फ़ घोड़ा-खच्चरों, हेली टिकट और डंडी-कंडी के यात्रा भाड़े से लगभग 211 करोड़ का कारोबार हुआ है।
विभागों के अतिरिक्त संबंधित जिला प्रशासन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर प्रशासनिक अधिकारी वंशीधर तिवारी ने बताया कि इस वर्ष सिर्फ़ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली और डंडी कंडी के यात्रा भाड़े से करीब 190 करोड़ के आसपास कारोबार हुआ है। संभवत: पहली बार, केदारनाथ धाम में घोड़े, खच्चर व्यवसाइयों ने क़रीब एक अरब नौ करोड़ 28 लाख रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया। जिससे सरकार को भी आठ करोड़ रूपये से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ।
उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जनपदों के प्रशासन ने 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े खच्चर पंजीकृत किए थे। इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की। वही डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपए की कमाई की और हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपए का कारोबार किया। इधर सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ।
चार धाम यात्रा अपने आख़िरी पड़ाव पर कल बाबा केदार और मां श्री यमुनोत्री के कपाट विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कोविड संक्रमण काल के करीब तीन वर्ष बाद केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से चारधाम यात्रा में रौनक़ देखी गई। चारधाम यात्रा ने इस वर्ष तमाम रिकॉर्ड तोड़ कर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का उद्देश्य समस्त पौराणिक मंदिरों को संवारने और उसको पर्यटन से जोड़ना है।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों तथा कुशल यात्रा प्रबंधन की बदौलत 46 लाख यात्रियों ने इस वर्ष अभी तक चारधाम यात्रा की। जो कि पिछले दो दशक में यह सबसे अधिक आँकड़ा है। श्री केदारनाथ धाम के 15 लाख 36 हजार तीर्थ यात्रियों ने दर्शन किए।