केला ( BANANA , PLANTAIN ) खाने के ये फायदे आपको चौंका देंगे
केला अन्य फलों की अपेक्षा अधिक पौष्टिक होता है, साथ ही उर्जा का अच्छा विकल्प भी। लेकिन इसके अलावा भी केले में कई गुण होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। शरीर में रक्त निर्माण और रक्त को शुद्ध करने के लिए भी केला फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद लोहा, तांबा और मैग्नीशियम रक्त निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। भूखे पेट केला कम ही खाना चाहिए। कमजोर पाचन शक्ति वाले केला कम खायें। भूखे पेट केला खाने से भूख कम होती है। भोजन के बाद खाने से यह ताकत देता है। माँस पेशियाँ मजबूत होती हैं।
एक समय में तीन से अधिक केले नहीं खाने चाहिए। रात को केला खाने से गैस पैदा होती है। त्रिदोष शान्ति के लिए केला और शक्कर खायें केले से अजीर्ण होने पर इलायची खायें केला पूर्ण आहार है। इसका नियमित प्रयोग करते रहने से शरीर स्वस्थ और स्फूर्तिवान रहता है तथा त्वचा कांतिमय बनी रहती है। इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
केला वीर्यवर्धक, शुक्रवर्धक
पौष्टिक पदार्थ केला वीर्यवर्धक, शुक्रवर्धक है; नेत्र रोगों में लाभदायक है। केला शक्तिदायक खाद्य है। केला फल नहीं है। इसे रोटी की जगह खाना चाहिए। केले में स्टार्च और शर्करा अधिक होती है। छोटे बच्चों को इसे दूध में मिलाकर दे सकते हैं। केला कफ व रक्तपित्त नाशक है। केले में प्राकृतिक शर्करा सुक्रोस, फ्रक्टोस, ग्लूकोस एवं रेशा होता है। केला पर्याप्त मात्रा में तत्काल ऊर्जा प्रदान करता है।
90 मिनट के कठोर व्यायाम से खर्च होने वाली ऊर्जा की पूर्ति दो केले से
शोध से सिद्ध हुआ है कि 90 मिनट के कठोर व्यायाम से खर्च होने वाली ऊर्जा की पूर्ति दो केले खाकर कर सकते हैं। इसलिए दुनियाभर के एथलीटों में केला नम्बर एक फल के रूप में जाना जाता है। इसमें सेब से चार गुणा प्रेसिन, दोगुना कार्बोहाइड्रेट, तीन गुणा फॉस्फोरस, पाँच गुणा विटामिन ‘ ए ‘ एवं लौह तत्व और दोगुने विटामिन तथा मिनरल्स होते हैं।अच्छे स्वास्थ्य के लिए नित्य 300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेने का प्रयत्न करें। एक केले में 27 ग्राम कार्बोहाइड्रेट मिलता है।
पके हुए ताजा केले खाना ही सर्वोत्तम
पके हुए ताजा केले खाना ही सर्वोत्तम है। यदि केला उपलब्ध न हो, बच्चों को खिलाने, पिलाने में कठिनाइयाँ आती हो तो केले का पाउडर एलोपैथिक ( अंग्रेजी ) दवा विक्रेता के बेनालोना ( Banalona ) नाम से मिलता है। इस पाउडर का प्रयोग करके केले का लाभ उठाया जा सकता है।
तत्त्व – पके केले में आयोडीन, शक्कर और प्रोटीन पाई जाती है। कच्चे केले में कैल्शियम अधिक होता है। कच्चे केले की सब्जी बनाकर खाई जाती है। नित्य केला खाने से सभी विटामिनों की पूर्ति हो जाती है। अतः प्रातः नाश्ते में दो पके केले खाकर गर्म दूध पियें। केला नित्य खाने वाला व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है। चित्तलीदार केला खाना अधिक लाभदायक है लेकिन इसे अच्छी तरह धोकर ही खायें।
शक्तिवर्धक – एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच घी, स्वादानुसार पिसी हुई इलायची व शहद मिला लें। एक टुकड़ा केला खायें और साथ ही एक घूंट यह दूध पियें। इस प्रका दो – दो केले नित्य तीन बार लम्बे समय तक खाने से शरीर सुन्दर और मोटा होगा। बल, वीर्य, शुक्राणु ( Sperms ) , काम शक्ति और मस्तिष्क शक्ति बढ़ेगी। स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक होगा। दही में केला और पिसी हुई मिश्री मिलाकर खाने से भी मोटापा बढ़ता है।
मोटा होना – केला स्वप्नदोष और प्रमेह में लाभदायक है। यह शरीर मोटा करता है। केला खाने के बाद दो घण्टे तक कुछ न खायें। प्रातः दो केले खाकर ऊपर से एक पाव गर्म दूध नित्य तीन महीने तक सेवन करने से मोटे हो जाओगे दूध और केला एक साथ खाने से शक्ति बढ़ती है। एक टुकड़ा केला खायें फिर दूध पियें या केले और दूध का शेक बनाकर पियें। पेट में आफरा ( गैस ) हो तो यह सेवन न करें।
बलवृद्धि के लिए व्यायाम तथा खेलकूद के बाद केले खाना चाहिए। केले में कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक होता है। यह सरलता से पच जाता है तथा छोटे बच्चों को आसानी से दिया जा सकता है। इसलिए यह छोटे बच्चों के लिए उत्तम आहार है। इसे मसलकर अथवा दूध में फेंटकर खिलाने से अधिक फायदा करता है यह खून में वृद्धि करके शरीर की ताकत बढ़ाता है। प्रतिदिन केला खाकर दूध पिया जाए तो कुछ ही दिनों में स्वास्थ्य पर इसका अच्छा प्रभाव देखा जा सकता है। केले में पाई जाने वाली पोटेशियम की मात्रा तनाव व दौरे को कम करती है, अतः अधेड़ लोगों के लिए केला एक औषधि के समान है।
अति सुन्दर त्वचा का पैक- केला अपने आप में ऐसा फल है जो बंद और कीटाणु रहित होता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन ‘ सी ‘ और ‘ बी ‘ होते हैं। यह बालों और चेहरे दोनों के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है। इससे त्वचा में कसाव आता है और त्वचा मुलायम होती है।
निर्माण विधि – आधा केला मसला हुआ ; 1 टी स्पून ग्लिसरीन; 1 टी स्पून दही या दूध — इन सब चीजों को मिलाकर चेहरे पर लगा लें। आधा घंटे बाद धोयें, नित्य लगाने पर अलग ही निखार आएगा। यह पैक हर प्रकार की त्वचा के लिए उत्तम है।
प्राकृतिक मॉइस्चराइजर स्वयं बनाकर लगायें
मॉइस्चराइजर त्वचा का सूखापन दूर करने के लिए क्रीम लगाना ठीक नहीं है क्रीम से त्वचा चिपचिपी हो जाती है। मॉइस्चराइजर लगाने से त्वचा मुलायम , चिकनी हो जाती है। प्राकृतिक मॉइस्चराइजर स्वयं बनाकर लगायें।
( 1 ) केला , दही और शहद क्रमशः 3 , 2 , 1 भाग मिलाकर पेस्ट बनाकर त्वचा, चेहरे पर मलकर 15 मिनट बाद स्नान करें।
( 2 ) तिल के तेल की मालिश करके स्नान करें। त्वचा का सूखापन दूर हो जायेगा।
प्रोटीन- दूध के साथ केले का सेवन करने से पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन प्राप्त होता है। केले में सिरोटिन नामक रासायनिक तत्व पाया जाता है, जो आमाशय के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के अतिस्राव को कम करता है।
लोहा — केले में आयरन बहुतायत में होता है, जो कि हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ाता है। इस तरह एनीमिया को ठीक करने में सहायता करता है। केला खाने से गर्भावस्था में रक्त की कमी पूरी हो जाती है। केले से प्राप्त लोहे एवं ताँबे के कारण शरीर में हीमोग्लोबिन की वृद्धि होती है।
यूरिक अम्ल — गाउट रोग में यह मूत्र की यूरिक अम्ल घुलाने की शक्ति बढ़ा देता है। इससे जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है।
मूत्रस्रावक- प्रातः दो केले खाने से पेशाब खुलकर आता है। पेशाब सम्बन्धी सामान्य रोग ठीक हो जाते हैं।
कृमि – नित्य कच्चे केले की सब्जी खायें। केंचुए जैसे लम्बे कीड़े दस्त के साथ निकल जायेंगे।
कैंसर- केले के पेड़ में एक सफेद डंडा होता है। इस डंडे के रस से गर्मी के रोग तथा मस्तिष्क सम्बन्धी रोग शांत होते हैं। कैंसर रोगी के लिए यह औषधि का कार्य करता है।
दूध छुड़ाना- जब बच्चे को माँ का दूध छुड़ाना केला खिलाना चाहिए। कुपोषण से ग्रस्त बच्चों को भी नियमित रूप से केला खिलाना लाभदायक है। जिन बच्चों को कम भूख लगती है और बार – बार उल्टी करते हों, उन्हें केला खिलाना लाभकारी है। केले को नित्य दूध के साथ लेने से वजन बढ़ता है।
बवासीर ( 1 ) बवासीर के में रक्त आता हो तो एक केले के टुकड़े में चने की दाल के बराबर कपूर ( दवाई में काम में लिया जाने वाला ) मिलाकर नित्य एक बार खाली पेट 7 दिन प्रयोग करें लाभ होगा।
( 2 ) केले के गूदे में तीन खटमल रखकर रविवार या मंगलवार को रोगी को खिला दें। रोगी को नहीं बतायें हर प्रकार के बवासीर ठीक हो जायेंगे।
आंत्रज्वर ( Typhoid)- आंत्रज्वर तथा अन्य ज्वरों के रोगियों के लिए केला आदर्श भोजन है। यह भूख प्यास कम करता है।
ज्वर — बुखार में केला खाने से गर्मी नहीं बढ़ती एवं शरीर की कमजोरी दूर होती है। बालकों की मिट्टी खाने की आदत पका हुआ केला और शहद मिलाकर खिलाने से छूट जाती है।
दाद, खाज, गंज हो तो केले के गूदे को नीबू के रस में पीस लें और लगायें, इससे लाभ होता है। लगाने से पहले दाद फूला हुआ लगेगा, लेकिन डरें नहीं, बाँधते रहें। दाद ठीक हो जायेगा।
सूजन- केला सब तरह की सूजन में हितकारी है। पेट की सूजन में दूसरे पदार्थ मुश्किल से पचते हैं, वहीं केला आसानी से पच जाता है। गले की सूजन में भी यह लाभकारी है।
घाव, चोट या रगड़ लगने पर- ( 1 ) केले के छिलके को बाँध देने से सूजन नहीं बढ़ती।
( 2 ) पका हुआ केला और गेहूँ का आटा पानी में गूंधकर गर्म करके लेप करें।
चोट से रक्तस्राव – चोट लगकर रक्त बहने लगे, तो केले के दांड ( डण्ठल में जहाँ केले जुड़े रहते हैं ) का रस लगा दें। रक्तस्राव बंद हो जायेगा। घाव में मवाद नहीं पड़ेगी। चोट का घाव जल्दी ठीक हो जायेगा।
घाव- केले के कोमल पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जायेगा। बाहरी घाव पर केले के पत्ते पर तिल का तेल लगाकर बाँधने से घाव जल्दी भरता है। आँतों के घाव में कच्चे केले की सब्जी खायें।
गर्भावस्था की उल्टी ( Morning Sickness )- सुबह – शाम के खाने के बीच में केला खाने से रक्तशर्करा का स्तर कम नहीं होता तथा ‘ मॉर्निंग सिकनेस ‘ की रोकथाम हो सकती है। अतः गर्भवती स्त्री केला खाएं।
पेट के रोग – विभिन्न प्रकार के जठरान्त्र रोगों में भोजन के रूप में केला खाना रोग निवारण में सहायक है। यह बच्चों और दुर्बल लोगों के लिए पोषक आहार है। बच्चों और बड़ों के हर प्रकार के दस्त, जठरशोथ ( Gastritis ) , वृहदान्त्र शोथ ( Colitis ) और आमाशय व्रण ( Gastric Ulcer ) में भोजन के रूप में केला आरोग्यदायक है। यह अंतड़ियों की सूजन मिटाता है। पका केला कब्ज़, अतिसार, पेचिश आदि में लाभ पहुंचाता है। पका केला मल को बाँधता है।
केला कोमल तथा चिकना होता है। अतः केला अल्सर तथा आँत की गड़बड़ी में खाया जा सकता है। यह अति अम्लता ( High Acidity ) को निष्प्रभावित करता है। पेट में ‘ स्मूद कोटिंग ‘ करता है। इससे जलन कम हो जाती है।
केले की शर्करा आँतों में पनपने वाले अनेक हानिकारक जीवाणुओं की प्रगति में बाधक सिद्ध होती है। केला जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न की गई आँतों की व्याधियों में प्राकृतिक औषधि के रूप में काम में लाया जाता है। यह फल आँतों को सड़ने से भी रोकता है। यह रक्त की क्षारीयता को बढ़ाता है तथा अम्लता जनित रोगों को दूर करता है।
केला आँतों में पाए जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया को लाभदायक बैक्टीरिया में बदल देता है। पके हुए केले में ग्लूकोज होने से यह स्नायुओं को पोषण देता है। केले के नियमित आँतों के कीड़े मर जाते हैं।
आमाशय – व्रण ( Gastric Ulcer ) में दूध और केला एक साथ खाने से बहुत लाभ है। केला खाते हुए दूध पियें। आँतों में घाव तथा दूसरे खाने से लाभ होता है। यह अम्ल घटाकर सूजन काम करता है।
केला आमाशय के छालों को ठीक करता है। साथ ही आमाशय की आंतरिक सतह को भी पोषण प्रदान करता है जिससे अम्ल नहीं बनता और अल्सर होने से बच सकते हैं। कच्चे हरे केले की सब्जी बिना नमक की बनाकर नित्य खाने से आमाशय के घाव ठीक हो जाते हैं। कच्चा केला भी खायें। कच्चा केला सुखाकर पीस लें। इसकी दो – दो चम्मच ठण्डे दूध में घोलकर नित्य सुबह – शाम पियें। अल्सर के रोगियों को कच्चा केला लाभ पहुंचाता है। दही और चीनी के साथ पका केला खाने से पेट की जलन मिटती है और पेट सम्बन्धी अन्य रोग दूर होते हैं। जीभ हुआ के छालों के लिए भी केला लाभप्रद है। प्रतिदिन सुबह दही के साथ केला खाने से छाले मिटते हैं।
पाचन शक्ति — भोजन के बाद दो केले खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
गैस— केला खाने के बाद अदरक खाने से गैस नहीं बनती तथा केला शीघ्र पच जाता है।
अम्लपित्त – पेट में जलन होना अम्लपित्त का लक्षण है। केले में प्राकृतिक ‘ एन्टासिड ‘ होता है, अतः पेट में जलन होने पर केला ठण्डक पहुंचाता है।
जी मिचलाना, अम्लपित्त ( पेट से कण्ठों तक जलन ) होने पर— ( 1 ) दो केलों को मथकर चीनी और इलायची मिलाकर खाने से लाभ होता है।
( 2 ) पके हुए केले पर घी डालकर खाने से पित्त की अधिकता शान्त होती है।
भूख मिटाना— केला भूख मिटाने और पेट भरने में बहुत सहायता करता है। भूख की अवस्था में 3 से 4 केले खाने के बाद भूख को नियंत्रित कर सकते हैं। केले में प्रचुर मात्रा में कैलोरी पायी जाती है। इसमें पानी की मात्रा भी कम होती है।
पीलिया – एक चने के बराबर खाने का चूना एक पके केले में रखकर नित्य चार दिन प्रातः भूखे पेट ( बिना अन्य चीज खाये ) खायें। इससे पीलिया ठीक हो जाता है। केले लोहा और ताँबा होता है जो पीलिया में लाभ करता है। दो कच्चे या अधपके केले खाने से भी पीलिया ठीक होता है।
दस्त— केला कब्ज़ करता है। दो केले आधा पाव दही के साथ कुछ दिन खाने से दस्त, पेचिश, संग्रहणी ठीक होती है। दस्तों में केवल केला भी खा सकते हैं। बच्चों के दस्त में पके केले को घोटकर मक्खन जैसा नरम और पतला करके नित्य चार बार चटायें।
पेचिश – एक गिलास गर्म दूध को फाड़कर छेना बना लें। इस छेने में पके हुए दो केले मथ लें और खा जायें। इससे पेचिश में लाभ होता है।
दस्त, पेचिश होने पर कच्चे केले की सब्जी बनाकर खाना लाभदायक है।
छाले — जीभ पर छाले होने पर दो केले दही या दूध के साथ प्रातःकाल सेवन करें।
नकसीर – एक गिलास दूध में शक्कर मिलाकर दो केलों के साथ निरन्तर दस दिन तक सेवन करें। नकसीर में लाभ होगा।
रक्त की कमी – केले में लोहे की मात्रा अधिक होने के कारण यह एनीमिया के रोगी के लिये लाभदायक है।
श्वेत प्रदर— ( 1 ) दो केले खाकर ऊपर से दूध में शहद मिलाकर पीने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
( 2 ) एक केला आठ ग्राम घी के साथ सुबह – शाम दो बार दस दिन तक खायें। केले की दूध में खीर बनाकर खाने से भी लाभ होता है।
( 3 ) कच्चे केलों को छाया में सुखाकर बारीक पीस लें और समान मात्रा में देशी खाँड मिला लें। इसकी दो – दो चम्मच सुबह – शाम गर्म दूध से फंकी लें। श्वेत प्रदर ठीक हो जायेगा।
( 4 ) श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर कष्ट के साथ होने वाले मासिक धर्म में केले का शाक, दूध के साथ केले की खीर और भोजन के साथ 1-2 केले लगातार 2 महीने खायें। 1 गिलास ठण्डे दूध में 2 चम्मच शहद घोल लें। केला छीलकर गूदे के गोल – गोल टुकड़े करके इसमें डाल लें। नाश्ते के तौर पर सुबह भोजन से ढाई घण्टे पूर्व या ढाई घण्टे बाद सेवन करें।
एल्ब्यूमिन तत्व कम हो जाए तो केला खाकर इसकी पूर्ति करें।
सुजाक – घी व शक्कर के साथ केला खाने से सुजाक ठीक हो जाता है।
पेशाब रुकना — केले के तने का रस चार चम्मच घी दो चम्मच मिलाकर पीने से बन्द हुआ पेशाब खुलकर आता है। यह मूत्राघात के लिए उत्तम नुस्खा है। इस रस में मिला हुआ घी पेट में नहीं ठहर सकता और पेशाब शीघ्र आ जाता है।
स्वप्नदोष – ( 1 ) दो केलों में नित्य मिश्री लगाकर खाने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।
( 2 ) 21 दिन तक खाली पेट दो केलों पर शहद लगाकर सेवन करने से स्वप्नदोष में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
बार – बार पेशाब – एक केला खाकर आधा कप आँवले के रस में स्वादानुसार शक्कर मिलाकर पियें। बार – बार पेशाब का आना बन्द हो जायेगा। अकेला केला खाने से भी बार बार पेशाब आना कम होता है।
जूता पॉलिस – केले के छिलके का गूदे वाला भाग जूतों पर रगड़ें। सूख जाने के बाद कपड़े से रगड़े व साफ करें। जूतों की पॉलिस चमकने लगेगी।
क्षय– केले के पेड़ का ताजा रस या सब्जी बनाने वाला कच्चा केला क्षय रोग को दूर करने के लिए रामबाण है। जिसे क्षय रोग हो चुका है, कष्टदायक खाँसी होती हो, जिसमें अधिक मात्रा में बलगम निकलता हो, रात को इतना पसीना आता हो कि सब कपड़े भीग जायें, साथ ही बहुत तेज बुखार भी रहता हो, दस्त आते हों भूख न लगती हो, वजन भी गिर चुका हो, उनको केले के मोटे तने के टुकड़े का रस निकालकर और छानकर एक दो कप ताजा रस हर दो घण्टे बाद घूँट – घूँट करके पिलाया जाए। तीन दिन रस बराबर पिलाने से रोगी को बहुत लाभ होगा। दो माह तक इस चिकित्सा से क्षय रोग से छुटकारा मिल सकता है। केले के तने ( Plantain Stem ) का रस हर 24 घण्टे के बाद ताजा ही निकालना चाहिए। 8-10 ग्राम केले के पत्ते 200 मिलीलिटर पानी में डालकर पड़ा रहने दें। इस पानी छानकर एक बड़ा चम्मच दिन में तीन बार पिलाते रहने से फेफड़ों में जमी गाढ़ी बलगम पतली होकर निकल जाती है। केले के पत्तों का रस मधु में मिलाकर क्षय के रोगी को पिलाते रहने से भी फेफड़ों के घाव भर जाते हैं। खाँसी बलगम कम हो जाती है और फेफड़ों से खून आना रुक जाता है।
सर्पदंश- साँप के काटते ही रोगी के कपड़े उतारकर केले के पत्तों के ऊपर रोगी को लिटा दें, जिससे केले का रस उसके चर्म छेदों से शरीर में पहुँचता रहे। इसके साथ ही केले के तने का ताजा रस 20 ग्राम निकालकर और छानकर उसमें पिसी हुई 12 कालीमिर्च मिलाकर पिलायें। रोगी के बेहोश होने पर एक – एक चम्मच उसके मुँह में डालते रहें। होश में आने पर आधा – आधा गिलास केले का रस थोड़े – थोड़े समय बाद पिलाते रहें। इस चिकित्सा से रोगी के शरीर में साँप का विष प्रभावहीन हो जाता है और रोगी मरने से बच जाता है। जब तक रोगी को आशानुरूप लाभ न हो थोड़ी – थोड़ी देर से रस पिलाते रहें। रस निकालने से बचा हुआ छिलका सर्पदंश पर बाँध दें।
केले के तने न हों तो केले के पत्तों का रस इसी प्रकार काम में ले सकते हैं। केले के तने का रस पिलाने से पेट में पहुंचा विष नष्ट हो जाता है।
चेहरे के काले, सफेद, भूरे धब्बों पर केले के छिलके का सफेद भाग रगड़कर दस मिनट बाद धोने से धब्बे मिट जाते हैं।
उच्च रक्तचाप – केले में सोडियम कम होता है, पोटेशियम अधिक होता है जो उच्च रक्तचाप नियन्त्रण के लिए आवश्यक है। इस कारण से उच्च रक्तचाप की रोकथाम में यह सहायक होता है। यू.एस. फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने हाल ही में वहाँ के केला उद्योग को यह कहने के लिए स्वीकृति प्रदान की है कि ‘ केला खाने से उच्च रक्तचाप तथा हृदयाघात होने की आशंका कम होती है।
केला रक्तचाप कम करता है— प्रतिदिन दो केले एक सप्ताह तक खाने से रक्तचाप 10 प्रतिशत कम हो जाता है। यदि आपको उच्च रक्तचाप है तो दो केले प्रतिदिन खायें किन्तु आपको उच्च रक्तचाप के साथ मधुमेह भी है तो केले नहीं खायें।
हृदय रोग — केले में मैग्नेशियम धातु की मात्रा काफी होती है जो हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। मैग्नेशियम के सेवन से शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाती है जिसमें शरीर की धमनियों में रक्त का बहाव रक्त पतला रहने के कारण सही रहता है। इसके अतिरिक्त पर्याप्त मात्रा में मैग्नेशियम लेने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम होती है। इसलिए हृदय धमनी रोग के मरीजों को केले का सेवन करना चाहिए।
नित्य एक केला खायें। इससे हार्ट अटैक का खतरा पचास प्रतिशत तक कम हो जाता है। केले में पोटेशियम, कैल्शियम सहित और भी कई तरह के विटामिन्स होते हैं। केला एंटी ऑक्सीडेंट भी है और इसे खाने वालों को कैंसर से पीड़ित होने का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।
दिल का दौरा पड़ने के फौरन बाद अगर मरीज को केले का सेवन कराया जाए तो उसकी अचानक मौत हो जाने की आशंका 55 प्रतिशत कम हो जाती है। नियमित रूप से केला खाने से हृदयाघात द्वारा मृत्यु होने के 40 प्रतिशत आसार कम हो जाते हैं। दो पके केले , दो चम्मच शहद के साथ नित्य प्रातः खाने से हृदय को शक्ति मिलती है। उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। हृदय के दर्द में आराम मिलता है।
कोलेस्ट्रॉल- केले खाने से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता केला चर्बी नहीं बढ़ाता। केले में कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता, इसलिए हृदय रोगियों के लिए भी इसका सेवन लाभदायक है।
शिशु आहार- दूध पीने वाले शिशु के लिए नित्य विटामिन ‘ सी ‘ , नियासीन, राइबोफ्लेविन और थायोमीन की जितनी मात्रा चाहिए, उसका चौथाई भाग एक केले में मिल जाता है। दो केले दूध के साथ बच्चों और बूढ़ों को तथा सबको प्रातः ही खाना चाहिए। दक्षिण अफ्रीका में शिशु आहार में केले का पाउडर काम में लिया जाता है। जिन बच्चों का वजन नहीं बढ़ता उन्हें केला खिलाने से वजन में बढ़ोतरी होती है। केले का उपयोग करने पर लंबी हड्डियों को पुष्ट होने में सहायता मिलती है। शहद के साथ तीन केले नित्य खाना साभदायक है। कला रक्त की कमी को दूर करता है।
दमा ( अस्थमा )- ( 1 ) दमा के तेज दौरे के समय पका हुआ एक केला छिलके सहित सेकें। इस सिके हुए केले का छिलका हटाकर केले के टुकड़े करके उन पर 15 कालीमिर्च पीसकर बुरका दें और दमा रोगी को खिलायें। दमा के तेज दौरे में शीघ्र लाभ मिलेगा। केला गर्मा – गर्म ही खिलायें, ठण्डा होने पर लाभ नहीं करेगा।
( 2 ) केले का थोड़ा – सा छिलका हटा कर उसमें चाकू से छेद बनाकर चौथाई चम्मच नमक, कालीमिर्च मिश्रित करके भर दें। छेद पर गूदा लगाकर केले का छिलका लगाकर बन्द कर दें। इसे रात को खुली जगह रखें। रात को चन्द्रमा की चाँदनी में रखना अधिक लाभदायक है। प्रातः इस केले को सेंक लें और छीलकर गर्मा – गर्म ही खायें दमा में आराम आयेगा।
दमा के रोगियों को केला कम खाना चाहिये और यह ध्यान रखना चाहिये कि केला खाने से दमा बढ़ता तो नहीं है। दमा यदि बढ़ता हुआ पाया जाये तो केला नहीं खाना चाहिये। दमे में केले से एलजी पाई जाती है।
खाँसी – ( 1 ) एक केले में दमा में बताये अनुसार साबुत आठ कालीमिर्च भर दें। वापस छिलका लगाकर छत पर या खुले स्थान पर रख दें। प्रातः पाखाना जाने के बाद कालीमिर्च निकालकर खायें और बाद में केला भी खायें। इस प्रकार कुछ दिन केला खाने से मूखी व पित्त वाली खाँसी ठीक हो जाती है।
( 2 ) केले का एक पत्ता लेकर छोटे – छोटे टुकड़े करके तवे पर रखकर सेंकें। ऊपर से तवे को थाली से ढक दें जिससे पत्तों से उठ रही भाष, पुआँ थाली पर जम जाये, बाहर नहीं निकले। जब पत्ते जल जायें तो पीसकर राख बना लें और उस राख को ढकी हुई थाली में डालकर रगड़ें, जिससे थाली पर जमा कालापन राख में मिल जाये। यह एक ग्राम एक पतासे या दूध की मलाई पर रखकर खायें। इससे हर प्रकार की खाँसी, कूकर खाँसी भी ठीक हो जायेगी।
कूकर खाँसी ( Whooping Cough) कूकर खाँसी में केले के पत्तों की राख आधा चम्मच शहद में मिलाकर सर्दी के मौसम में तथा नमक मिलाकर गर्मी के मौसम में चटायें। लाभ होगा।
जलना— यदि शरीर का कोई हिस्सा आग में जल गया हो तो केले को पीसकर उस पर लेप कर दें। इससे जलन कम हो जायेगी और फफोले नहीं पड़ेंगे। मानसिक रोग ( स्मरण शक्ति दौर्बल्य, तनाव, अवसाद )- केले में पोटेशियम की उच्च मात्रा के कारण यह मस्तिष्क को सतर्क ( Alert ) रखता है तथा विद्यार्थियों को पाठ याद रखने में सहायक होता है।
मनुष्य जब तनाव में होता है, तो उसकी मेटाबॉलिक रेंट ( चयापचय गति ) ज्यादा होती इससे रक्त में पोटेशियम की मात्रा कम हो जाती है। पोटेशियम हृदयाघात को नियंत्रित रखता है, ऑक्सीजन को मस्तिष्क तक पहुंचाता है तथा शरीर में पानी के स्तर का नियमन करता है। केला खाने से पोटेशियम की मात्रा बढ़कर सही हो जाती है। इस तरह तनाव में आराम मिलता है।
केला खाने से मानसिक अवसाद में आराम मिलता है। केले में ट्रिप्टोफेन नामक प्रोटीन होता है, जो शरीर में सिरोटोनिन में बदल जाता है। सिरोटोनिन मनुष्य को रिलेक्स करता है, उसकी मनोदशा सुधारता है तथा खुश करने में सहायक होता है।
टॉन्सिलाइटिस- केले का छिलका गर्म करके गले पर बाँधे।
सावधानी— क्षीण पाचन शक्ति वाले और मधुमेह रोगी को केला नहीं देना चाहिए। केला खाने से अजीर्ण हो तो इलायची खायें।
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