निद्रा हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। बिना निद्रा के जीवन जीना दुश्कर है। भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण जी 14 वर्ष तक बिना सोये रहे थे, यह अपवाद ही है। हर व्यक्ति के लिए निद्रा अत्यन्त आवश्यक है, ताकि वह स्वास्थ्य रह सके। हमारे धर्म शास्त्रों में सोने की दिशा भी निश्चित कर रखी है, लेकिन आजकल बहुसंख्य लोग इसे नहीं मानते हैं। कुछ अज्ञानता के कारण तो कुछ पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर ऐसा करते है। इसका दुष्प्रभाव उन्हीं के जीवन पर पड़ता है।
आइये, जानते हैं कि हमें किसी दिशा में सिर करके सोना चाहिए, जोकि धर्मसंगत है। शास्त्रों के अनुसार हमें दक्षिण व पूर्व की ओर सिर करके सोना चाहिए। अर्थात उत्तर व पश्चिम की ओर हमारे पैर होने चाहिए। सोते समय हमारे पैर दक्षिण या पूर्व दिशा में नहीं होने चाहिये। शास्त्रोक्त मान्यता के अनुसार ऐसा न करने पर बुरे सपने आते हैं और साथ ही ये अशुभ होता है। हालांकि कुछ विद्बान मानते हैं कि उत्तर दिशा देवताओं की दिशा होती है, इसलिए उस ओर पैर करने सोना अच्छा नहीं होता है।
दक्षिण की ओर सिर करके सोने का वैज्ञानिक पहलू भी है। आइये, इसे जानते है, पृथ्वी के दोनों ध्रुव उत्तरी और दक्षिणी में चुम्बकीय प्रवाह होता है। उत्तरी ध्रुव पर धनात्मक प्रवाह और दक्षिणी ध्रुव पर ऋणात्मक प्रवाह होता है। उसी तरह मानव शरीर में भी सिर में धनात्मक प्रवाह और पैरों में ऋणात्मक प्रवाह होता है। विज्ञान के अनुसार दो धनात्मक या दो ऋणात्मक एक दूसरे से दूर जाते हैं, इसलिए अगर आप दक्षिण में पैर करके सोते हैं तो आपके स्वास्थ्य के लिए यह हानिकारक साबित होता है।
जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं तो उत्तर की धनात्मक तरंग और सिर की धनात्मक तरंग एक दूसरे से दूर भागती हैं। जिससे हमारे दिमाग में हलचल होती है और बेचैनी बढ़ जाती है। जिससे अच्छे से नींद नही आती है और सुबह सोकर उठने के बाद भी शरीर में थकान रहती है। जिससे ब्लड प्रेशर अंसतुलित हो जाता है। जिसकी वजह से मानसिक बीमारियां हो जाती है। स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है, परन्तु जब हम दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोते हैं तो दक्षिण की ऋणात्मक तरंग तथा सिर की धनात्मक तरंग आपस में मिल जाती हैं। जिससे चुम्बकीय प्रवाह आसानी से हो जाता है और दिमाग में कोई हलचल नहीं होती है और अच्छी नींद आती है। सुबह उठने पर अच्छा महसूस करते हैं।
आइये जानते हैं कि पूर्व की ओर क्यों सिर करके सोते हैं। सूर्य पूर्व से उदय होकर पश्चिम में अस्त होता है। उर्जा की इस धारा के विपरित प्रवाह में सोने अच्छा नहीं होता है। इसका वैज्ञानिक तर्क ये है कि जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर प्रवाहित होने लगता है। इससे दिमाग से संबंधित कोई बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर भी असंतुतित हो सकता है। अच्छी निद्रा के लिए हमे दक्षिण या पूर्व की ओर सिर करके सोना चाहिए। इसका हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
हमारे शास्त्रों में पूर्व या दक्षिण की ओर सिर करके सोने की परम्परा रही है, जो कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी उचित है और परम्परा के निर्वहन की दृष्टि से भी उचित है। कुछ विद्बान मानते हैं कि दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोने से शारीरिक शक्ति सशक्त होती है, जबकि पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से मानसिक शक्ति सशक्त होती है।