किसानों का आंदोलन-एक नजर में : ……राष्ट्रीय पर्व को शर्म में बदल दिया

0
254

नई दिल्ली। किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान मुकरबा चौक, ट्रांसपोर्ट नगर, आईटीओ और अक्षरधाम समेत अन्य स्थानों पर हुए टकराव के बीच किसानों का एक जत्था लाल किला परिसर में पहुंचकर किसानों का झंडा लहरा दिया है।

आईटीओ पर बवाल के बीच लाल किला तक पहुंचे किसान

आईटीओ पर बवाल के बीच कई किसान लाल किले पर पहुंच गए हैं। करीब दो दर्जन ट्रैक्टर में सवार सैकड़ों किसान लाल किला परिसर में पहुंचकर प्रदर्शन कर रहे हैं। आईटीओ पर बवाल के दौरान पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर लाल किले की ओर खदेड़ दिया। आईटीओ पर पुलिस और किसानों के बीच अभी भी टकराव जारी है। पुलिस ने किसानों को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने के साथ ही कई जगह पर लाठीचार्ज भी किया है। अक्षरधाम के बाद सबसे ज्यादा उपद्रव किसानों ने आईटीओ पर किया। यहां उग्र किसानों ने करीब 10 से ज्यादा बसों में तोड़फोड़, इसके साथ ही पुलिस वाहनों को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया।
किसानों की तरफ से जहां बैरिकेड तोड़े गए हैं तो वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से उन्हें काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए। पुलिस अधिकारी लगातार किसानों की भीड़ को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी बड़ी संख्या के सामने पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। अक्षरधाम बॉर्डर के पास भी किसानों ने पुलिस पर न केवल लाठी चलाए बल्कि यहां पर एक किसान पुलिसकर्मियों पर तलवार लेकर भागता भी दिखाई दिया। कई जगहों पर गाड़ियों में किसानों द्वारा तोड़फोड़ की गई है। अक्षरधाम मंदिर के पास भी दिल्ली पुलिस की तरफ से बल प्रयोग किया गया है व आंसू गैस के गोले किसानों पर छोड़े गए हैं। किसान सभी शर्तों का उल्लंघन करते हुए दिल्ली के भीतर दाखिल हो चुके हैं। उन्हें रोकना पुलिस के लिए अब एक बड़ी चुनौती है।

किसान नेताओं पर हो सकती है एफआईआर

दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जिस तरीके से नियमों का उल्लंघन किसान संगठनों द्वारा किया गया है। इसकी पूरी जिम्मेदारी किसान नेताओं की होगी। उन्होंने दिल्ली पुलिस के साथ बैठकर यह तय किया था कि वह रूट पर परेड लेकर जाएंगे, लेकिन उन्होंने दिल्ली पुलिस द्वारा तय की गई सभी शर्तों का उल्लंघन किया है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है।  फिलहाल पुलिस इस उग्र प्रदर्शन को शांत करने की कोशिश कर रही है।
किसानों ने नहीं किया शर्तों का पालन
दिल्ली पुलिस की तरफ से ट्रैक्टर रैली के लिए किसान संगठनों को तीन रूट दिए गए थे। ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए 37 शर्तें भी दिल्ली पुलिस की तरफ से लगाई गई थी लेकिन इनमें से किसी भी शर्त का पालन किसानों द्वारा नहीं किया गया। दिल्ली पुलिस की तरफ से जहां कहा गया था कि दोपहर 12 बजे के बाद किसान रैली निकाली जाएगी तो वहीं सुबह 8 बजे से ही यह रैली निकाल दी गई। जगह-जगह पुलिस द्वारा उन्हें रोकने की कोशिश की गई और ऐसे में किसानों ने ट्रैक्टर से बैरिकेड तोड़कर दिल्ली की सीमा में प्रवेश किया। सिंघु बॉर्डर से किसान मुकरबा चौक की तरफ पहुंच गए हैं और यहां पर पुलिस कर्मियों के साथ झड़प शुरू कर दी।

 

Advertisment

61 दिन और  किसानों का आंदोलन आज हिंसक

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 61 दिन से ज्यादा दिनों तक शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज हिंसक और बेकाबू हो गया। गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली निकालने के दौरान किसान हिंसा पर उतर आए हैं। स्थिति यह है कि अब किसान नेता भी प्रदर्शनकारियों को समझाने में असफल साबित हुए हैं।
पुलिस प्रशासन द्वारा ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए किसानों को अनुमति दिए जाने के बाद भी किसान आज उपद्रव पर उतर आए हैं। पुलिस द्वारा बताए गए रूट मैप को भी किसानों ने कई स्थानों पर दर किनार कर दिया। हालांकि सरकार, देश के खुफिया तंत्र और दिल्ली पुलिस को इसकी आशंका पहले से थी, इसीलिए पुलिस ने निपटने की तैयारियां भी की थीं। दिल्ली में प्रवेश के बाद किसान और पुलिस राजधानी की सड़कों पर अब आमने-सामने हैं। उधर, किसानों के उपद्रव के बीच एक भी किसान नेता सामने नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि किसान नेताओं के मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ हैं।
जिन कुछेक किसान नेताओं से पुलिस ने बात करने की कोशिश की, वे काफी उग्र दिखे और पुलिस की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। किसान नेताओं की बेबसी के बाद पुलिस ने हिंसा पर उतरे आंदोलनकारियों से निपटने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। लिहाजा दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान किसानों को रोकने में लगे हुए हैं। शहर में गाजीपुर बार्डर, नोएडा बार्डर (अक्षरधाम मंदिर रोड), आइटीओ, सराय काले खाँ, सिंघु बार्डर, नांगलोई और टीकरी बार्डर पर हालात बदतर हो चुके हैं। फिलहाल उग्र किसान लाल किला पर पहुंच कर झंडा लहरा रहे है। हालांकि लाल किला पर बड़ी संख्या में पुलिस पहुंच चुकी है। वहां बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए उपद्रवियों को हटाने के लिए पुलिस प्रयासरत है।
हालांकि योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत ने मीडिया के साथ बातचीत में इस तरह के उपद्रव की तीखी निंदा की है। राकेश टिकैत ने कहा कि कुछ उपद्रवियों की इस हरकत से आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। योगेंद्र यादव ने  मीडिया के माध्यम से किसानों से पुलिस द्वारा निर्धारित रूट से ही ट्रैक्टर रैली निकालने की अपील की है।

लालकिले पर चढ़कर वहां फहरा रहा तिरंगा उतारकर अपने अपने संगठनों के झंड़े फहरा कर राष्ट्रीय पर्व को शर्म में बदल दिया

गणतंत्र दिवस पर सेना की परेड़ के समानांतर ट्रैक्टर परेड निकालने और उस दौरान उपद्रव की आशंका आखिरकार सच साबित हुई। किसान नेताओं ने जिन रूटों से ट्रैक्टर रैली निकालने पर प्रशासन के सामने सहमति जताई थी, उसके विपरीत आंदालनकारियों ने सारी मर्यादाएं भंग कर दीं और लालकिले पर चढ़कर वहां फहरा रहा तिरंगा उतारकर अपने अपने संगठनों के झंड़े फहरा कर राष्ट्रीय पर्व को शर्म में बदल दिया। इस सारे प्रकरण पर किसान नेताओं से अब चुप्पी साध ली है।

प्रदर्शनकारियों के हंगामे और बवाल के दौरान पुलिस के साथ झड़प के मामले पर किसान नेताओं ने सीधे-सीधे पल्ला झाड़ लिया है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने हंगामे को लेकर कोई जानकारी नहीं होने की बात कही है। उनका कहना है कि यह बवाल उनके संगठन के किसानों ने नहीं किया है। उनका कहना है कि कुछ राजनीतिक दल के लोग आंदोलन में घुस आए थे, यह उनका काम है। हम उनकी पहचान कर रहे हैं।

वहीं, योगेंद्र यादव ने भी कहा है कि सिंधु बॉर्डर पर उऩके संगठऩ के लोग हंगामा नहीं कर रहे थे। उऩका संगठन शांतिपूर्वक प्रदर्शन का पक्षधर है। योगेंद्र ने हंगामा करने वाले किसानों से पुलिस द्वारा तय रूट पर ही रैली निकालने की बात कही है। वहीं, लाल किले पर प्रदर्शन को लेकर उन्होंने कहा कि यह निस्संदेह निंदनीय है और शर्मिंदगी का विषय है। किसान नेताओं और आंदोलन में शामिल लोगों से अपील है कि वो पुलिस के दिए रूट को ही मानें।

भारतीय किसान यूनियन (जालंधर) के अध्यक्ष अमरीक सिंह ने दिल्ली में हुए हंगामे को लेकर किसानों से अपील की है कि वे निर्धारित रूट पर ही जाएं। उऩ्होंने कहा, ‘मैं हाथ जोड़ कर निवेदन करता हूं किसान भाई बवाल न करें। अनुशासन बनाए रखें। सरकार की तरफ से हमें रूट मिला है, उसी को फॉलो करें।’

पुलिस से साथ झड़प और हंगामे की घटना से खुद को अलग करते हुए अमरीक सिंह ने कहा कि कुछ शरारती तत्व आंदोलन को खराब करना चाहते हैं। लोगों को बरगलाया गया है, उनकी मंशा शांति भंग करने की है। उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा का स्पष्ट निर्देश था कि किसान तय रूट पर ही जाएंगे। जो लोग गलत रूट पर हैं उनसे जल्द वापसी की उम्मीद है।

हिंसा समस्या का हल नहीं : राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बीच कृषि संबंधित तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है और इससे नुकसान देश का ही होता है।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here