भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में स्फटिक की मालाएं प्रचलन में हैं, जो विभिन्न आकार में मिलती हैं। स्फटिक का गुण यह होता है कि यह शीतवीर्य होता है। इस वजह से इसकी माला धारण करने से क्रोधी स्वभाव का व्यक्ति भी क्रोध पर नियंत्रण कर पाता है, अर्थात उसके क्रोध की प्रवृत्ति पर अंकुश लगता है। यह क्रोध को नियंत्रण में सहायक होता है।
स्फटिक की माला एक महत्वपूर्ण गुण यह होता है कि इसकी माला से जप करने पर मंत्र शीघ्र सिद्ध हो जाता है और अपनी सामर्थ्य के अनुसार फल देता है। विशेष रूप से गायत्री मंत्र के जप के लिए स्फटिक की माला को विशेष रूप से फलदायी माना गया है। स्फटिक की माला का एक गुण यह भी होता है कि इसे रुद्राक्ष की माला के समान कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। यह माला सदैव लाभ प्रदान करने वाली होती है। इसे धारण करने से शुक्र के दोषों की शांति होती है। धारक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
स्फटिक आग्नेय शिलाओं, लाइम स्टोन और ग्रनाइट शिलाओं की दरारों से प्राप्त होता है देश के बाहर स्फटिक ब्राजील, फ्रांस, हंगरी, स्विटजरलैंड, अमेरिका, जापान व मेडास्कर में पाया जाता है।
भारत में स्फटिक हिमालय पर्वत के बर्फीे पहाड़ों से प्राप्त होता है। यह भारत में कश्मीर, शिमला, कुल्लू व सतपुड़ा और विंध्यपर्वत में पाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार स्फटिक को शुक्र रत्न और हीरे का उपरत्न माना गया है। इसे धारण विधि हीरे के समान है। भगवान श्री राम को स्फटिक शिलाएं बहुत प्रिय थीं।
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