लखनऊ। सदर स्थित श्री शिवश्याम मन्दिर में चल रही भागवत कथा के सातवे दिन कथा प्रवक्ता आचार्य विष्णु शरण जी महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता स्वार्थ रहित होनी चाहिए, कपट और संशय इस पवित्र भाव के लिए सर्वथा त्याज्य हैं। कृष्ण सुदामा की मित्रता संसार के लिए आदर्श है। भगवान ने सुदामा के मित्रभाव को हृदय से स्वीकार करके जगत के सम्मुख अपने भक्त वत्सल गुण को प्रकट किया।
कथा में बताया जिसकी तृष्णा असीमित हैं वही सबसे बड़ा दरिद्र है जो सन्तोषी है वही सबसे बड़ा धनी है। नवयोगेश्वर सम्वाद, दत्तात्रेय चरित्र एवं परीक्षत मोक्ष का वर्णन भी किया गया।
कथा के संयोजक आचार्य राजेंद्रपांडेय, राधाकृष्ण द्विवेदी, अनिता द्विवेदी, संजय कुमार मौजूद रहे।
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