श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग बम्बई से पूर्व व पूना से उत्तर भीमा नदी के तट पर सह्वाद्रि पर स्थित है। यहां से भीमा नदी निकलती हैं। कहा जाता है कि भीमक नामक सूर्यवशीय राजा की तपस्या से प्रसन्न होकर यहां भगवान शंकर दिव्य ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। तभी से वे भीमशंकर के नाम से प्रसिद्ध हो गए, लेकिन शिवपुराण के अनुसार श्री भीमशंकर ज्योतिर्लिंग असम के कामरूप जिले में ब्रह्मपुत्र पहाड़ी पर अवस्थित है। लोक कल्याण, भक्तों की रक्षा और राक्षसों के विनाश करने के लिए भगवान शंकर ने यहां अवतार लिया था। इस विषय में शिवपुराण में एक कथा है कि कामरूप देश में कामरूपेश्वर नामक एक महान शिवभक्त राजा राज्य किया करता था। वे सदा भगवान शिव जी के पार्थिव पूजन में तल्लीन रहते थे।
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वहां रावण के छोटे भाई कुम्भकर्ण का कर्कटी से उत्पन्न भीम नामक एक भयंकर महाराक्षस पुत्र रहता था, जो देवभक्तों को पीड़ित करता था। राजा कामरूपेश्वर की की शिवभक्ति की ख्याति सुनकर वह उनके विनाश के लिए वहां आ पहुंचा और जैसे ही उसने ध्यानमग्न राजा पर प्रहार करना चाहा तो उसकी तलवार भक्त राजा पर न पड़कर पार्थिव शिवलिंग पर पड़ी, भला भगवान भोलेनाथ के भक्त का कौन अहित कर सकता है? उसी क्षण भक्त वत्सल भगवान आशुतोष प्रकट हो गए और उन्होंने हुंकार मात्र से दुष्ट भीम तथा उसकी सेना को विनष्ट कर डाला। सर्वत्र आनंद छा गया। भक्त का उद्धार हो गया। ऋषियों और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान ने उस स्थान पर भीमशंकर नाम से प्रतिष्ठित होना स्वीकार किया। कुछ विद्बानों का कहना हे कि नैनीताल के उज्जनक नामक स्थान पर जो लिंग है, वहीं भीम शंकर ज्योतिलिंग है।
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