कुरुक्षेत्र में है माता भद्रकाली का प्राचीन मंदिर। यह प्राचीन मंदिर अत्यंत पावन माना जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण की कथा बताती है कि भगवान श्री कृष्ण का मुंडन संस्कार कुरुक्षेत्र में भद्रकाली के मंदिर में हुआ था।
मुंडन संस्कार नवरात्रों में नंद बाबा और माता यशोदा ने अपने रिश्तेदारों के साथ कुरुक्षेत्र के भद्रकाली मंदिर मे किया और स्वयं भगवान वासुदेव कृष्ण का कुरुक्षेत्र से सदा ही प्रेम रहा है।
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बचपन में वह अपने माता-पिता के साथ सूर्य ग्रहण आदि अवसर पर पर्व स्नान के लिए कुरुक्षेत्र आते थे। कुरुक्षेत्र का महत्व हिन्दू धर्म में सदैव से रहा है । यह अत्यंत पवन स्थली मानी जाती है ।
पावन मंत्र
गलद्रक्त मुण्डावली कण्ठमाला, महाघोर रावा,
सुदंर्ष्टाकराला विवस्त्रा श्मशानालय मुक्तकेशी
महाकालकामाकुला कालिकेयम।।
अर्थ- हे भगवती काली! अपने कंठ से रक्त टपकाते हुए, मुंडो की माला पहने हैं। वह अत्यंत घोर शब्द कर रही हैं। उनकी सुंदर दाढ़ी भयानक हैं, वह वस्त्रहीन है, वह शमशान में निवास करती हैं। उनके केश बिखरे हैं और वह महाकाल के साथ कामातुर हो रही हैं।