ॐ नमः शिवाय मंत्र ब्रह्माण्ड के शक्तिशाली मन्त्रों में से एक है। इसे पंचाक्षरी मंत्र भी कहते हैं, क्योंकि इसमें मौलिक ध्वनि ॐ शब्द के साथ पंच अक्षरी मंत्र (न+मः+शि+वा+य) शामिल है। इस एक शब्द में बहुत सारी शक्ति निहित है और यह हमें सभी वेदों का एक साथ पाठ करने के समान लाभ देता है।
आज के दौर में मानव जीवन अत्यन्त तनावयुक्त हो गया है। तनाव के कारण मन की एकाग्रता भंग होती है, या कहें कि मन को एकाग्र करना मुश्किल होता जा रहा है। जब कि सनातन परम्परा में मन की एकाग्रता का अपना ही महत्व रहा है। मन को एकाग्र करके ही मनुष्य को जीवन का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। मन को एकाग्र करने में ओम नम: शिवाय मंत्र अत्यन्त सहायक होता है। इस मंत्र के माध्यम से जीव आत्मा की शुद्धि कर सकता है। मन को एकाग्र कर सकता है। दूसरे शब्दों में इस मंत्र को आत्मा का औषधीय गीत भी कह सकते हैं। यह मंत्र जीवन में ग्रहों के दुष्प्रभाव को भी कम करता है। जीवन से नकारात्मकता समाप्त होती है। मन में सरलता प्राप्त होती है। जब मन में सरलता आती है और एकाग्रता मन को धारण कर लेती है तो मन की चंचलता समाप्त होती है, इसलिए इसे पावन मंत्र को आत्मशुद्धि का प्रभावशाली मंत्र भी कह सकते हैं।
ॐ नमः शिवाय मंत्र का शाब्दिक अर्थ है कि मैं भगवान शिव को नमन करता हूँ अर्थात भगवान शिव को नमस्कार या उस मंगलकारी को प्रणाम! है।
सिद्ध शैव और शैव सिद्धांत परंपरा जो शैव संप्रदाय का हिस्सा है, उनमें नमः शिवाय को भगवान शिव के पंच तत्व बोध और उनकी पाँच तत्वों पर सार्वभौमिक एकता को दर्शाता मानते हैं-
“न” ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है
“मः” ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है
“शि” ध्वनि आग का प्रतिनिधित्व करता है
“वा” ध्वनि प्राणिक हवा का प्रतिनिधित्व करता है
“य” ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है
इसका कुल अर्थ है कि “सार्वभौमिक चेतना एक है”।
शैव सिद्धांत परंपरा में यह पाँच अक्षर इन निम्नलिखित का भी प्रतिनिधित्व करते हैं :
“न” ईश्वर की गुप्त रखने की शक्ति (तिरोधान शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है
“मः” दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है
“शि” शिव का प्रतिनिधित्व करता है
“वा” उसका खुलासा करने वाली शक्ति (अनुग्रह शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है
“य” आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है
शिव हर चीज का परम ईश्वर है और कहा जाता है कि शिव सभी मंत्रों, प्रार्थनाओं और पूजा का लक्ष्य स्थल है, इसलिए यह मंत्र सभी मंत्रों, छंदों, वेदों और प्रार्थनाओं का सार बन गया है। यह मंत्र सार्वभौमिक है, इस मंत्र को बिना किसी प्रतिबन्ध के बहुत आसानी से जप किया जा सकता है।
इस मंत्र का जप संपूर्ण शारीरिक और मानसिक शुद्धता और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए। भगवान शिव की
तस्वीर या शिवलिंग के सामने बैठकर और रुद्राक्ष माला का उपयोग कर के इस मंत्र का जप किया जा सकता है। मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
इस मंत्र का जाप करना भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह आपके मन से मृत्यु के डर को दूर करता है और मन में आशा और विश्वास पैदा करता है। यह सभी रोगों को ठीक करता है और कमजोरियों और बीमारियों से उबारने में मदद करता है। यह व्यक्ति की समझ में वृद्धि करता है और सही निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। यह मंत्र सभी मानसिक और शारीरिक परेशानियों और चिंताओं को दूर करता है और शांति प्रदान करता है।बस इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है, इस मंत्र का जप नियमित रूप से नियत समय पर किया जाए। यदि ब्रह्ममुहूर्त में किया जाए तो सर्वोत्तम है। मन को पूर्ण रूप से एकाग्र करके भगवान शिव को अपने अंतर्मन में धारण कर जप करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। एक बात और आवश्यक है, जिसे ध्यान रखना साधक के लिए आवश्यक होता है, वह यह है कि मन, वचन व कर्म से स्वयं को भगवान भोलेनाथ को समर्पित करें, उनके आश्रित होकर पूर्ण श्रद्धाभाव से मंत्र का जप करना चाहिए।
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