मां शैलपुत्री की महिमा

1
760

नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री के पूजन का विधान है। माता शैलपुत्री की कृपा से भक्त व उसके परिवार की दरिद्रता दूर होती है। देवी का यह प्रथम शैलपुत्री स्वरूप भक्त को रोग-शोक से मुक्ति प्रदान करती हैं। नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री स्वरूप का पूजन अर्चन करने से भगवती की असीम कृपा भक्त को प्राप्त होती है। हिमालय के घर पुत्री के रूप में इन्होंने जन्म लिया था, इसलिए इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।

शैलपुत्री की कृपा से जीवन में सफलता के उच्चतम शिखर को छुआ जा सकता है। चेतना का सर्वोच्च शिखर भी माता के भक्तों को प्राप्त होता है। भगवती शैलपुत्री की कृपा से भक्त की कुडलिनी शक्ति जागृत होती है, जिससे भक्त को रोग-शोक से मुक्ति से प्राप्त होती है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित रहता है। इनका वाहन बैल है। मां का यह अनुपम स्वरूप अत्यन्त लावण्यमयी और अत्यधिक रूपवान है। भगवान शिव शंकर की तरह माता का यह स्वरूप भी पर्वतों पर ही निवास करता है।

Advertisment

योग ग्रंथों में इनका स्थान हर प्राणी में नाभि चक्र से नीचे मूलाधार चक्र कहा गया है। यही वह स्थान है, जहां पर आद्यशक्ति कुंडलिनी के रूप में रहती हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी के इस स्वरूप से पूजन से भक्त के मन में मूलाधार चक्र स्थिर होता है। यहीं योग साधना का आरम्भ होता है। भगवती के इस स्वरूप को सफेद व लाल रंग की वस्तुएं बहुत ही प्रिय हैं। भगवती के इस स्वरूप में लीन रहने वाले साधक को आरोग्य प्राप्त होता है। उसमें साहस की वृद्धि होती है।

नवरात्रि के पहले दिन भगवती के इस पावन स्वररूप का ध्यान कर उन्हें लाल व सफेद पुष्प चढ़ायें। उन्हें लाल सिंदूर भी श्रद्धा से अर्पित करना चाहिए। गाय से बने पकवान का मां का भोग लगाना चाहिए, जो भी श्रद्धा-भक्ति व नियम से ऐसा करता हैं, भगवती उसके सभी कष्टों को दूर करती है। उसकी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।

देवी शैलपुत्री का साधना मंत्र

ओम देवी शैलपुत्र्यै नम:

यह भी पढ़ें – आदि शक्ति के शक्तिपीठ की महिमा है अनंत

यह भी पढ़ें –नवदुर्गा के स्वरूप साधक के मन में करते हैं चेतना का संचार

यह भी पढ़ें –शुक्रवार व्रत कथाएं : सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं शुक्रवार के व्रत से

यह भी पढ़ें –पवित्र मन से करना चाहिए दुर्गा शप्तशती का पाठ

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here