यदि सच्चे मन-भाव से महालक्ष्मी का पूजन अर्चन किया जाए तो वे सभी मनोकामनाओं को पूरी करती हैं। चराचर जगत में उनकी माया के प्रभाव से जीव बंध्ो हुए हैं। ऐसी महालक्ष्मी जिस पर प्रसन्न होती है, वह उसकी सभी कामनाओं को पूरा करती हैं। महालक्ष्मी स्तोतम् से वह शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
अथ श्री महालक्ष्मी स्तोत्रम्
नमोऽस्तुते महामाये श्रीपीठे विश्वपूजिते ।
शंख चक्र गदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ||१||
महामाया,श्री पीठ, विश्व के द्बारा पूजित तुम्हें नमस्कार है। शंख, चक्र, गदा से सुशोभित महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।
गरुण के ऊपर विराजमान, कोह्लासुर को भय प्रदान करने वाली, कौमारी, वैष्णवी, ब्राह्मी व महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार
है ||१||
नमस्ते गरुढ़ारूढ़े कोलासुरभयंकरि ।
कौमारी वैष्णवी ब्राह्मी महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ||२||
गरुण के ऊपर विराजमान, कोह्लासुर को भय प्रदान करने वाली, कौमारी, वैष्णवी, ब्राह्मी व महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।
सर्वदा सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरि ।
सर्वसिद्धिप्रदे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ||३||
सदा सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली, सभी दुष्टोंको भाई प्रदान करने वाली, सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाली महालक्ष्मी देवी तुम्हें नमस्कार हो
सर्वसिद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ।
मन्त्रमूर्तिः सदा वन्द्य े महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥४॥
हमेशा सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली, भोग व मोक्ष देने वाली, मंत्र स्वरूपा, सदा वंदनीय महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।
आद्यन्तरहिते देवि आदिशक्ति महेश्वरि ।
योगिनी योग संभूतिर्महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ||५||
आदि व अंत से रहित देवी, आदिशक्ति, महेश्वरी, योगिनी, योग से उत्पन्न होने वाली महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।
पद्माक्षी वै महामाये महालक्ष्मी नमोऽस्तुते |
परमेश्वरि महामाये महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ||६||
कमल के समान नेत्र वाली, महामाया, महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है। परमेश्वरी, महामाया महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है
श्वेताम्बर धरे देवि नानालंकारभूषिते ।
मन्त्रमूर्ति सदा वन्द्य े महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥७॥
श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, विभिन्न प्रकार के आभूषणों से विभूषित, मंत्र स्वरूपा, सदा वंदनीय महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।
स्थूले सूक्ष्मे महारौद्रे महाशांतिमहोदरे ।
महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥८॥
स्थूल, शुक्ष्म, महा भयंकर, महा शांति से युक्त, महान उदर वाली, महा पाप को दूर करने वाली देवी महालक्ष्मी तुम्हें नमस्कार है।8
महालक्ष्म्यष्टकमिदं पठते भक्तितो नरः ।
दुःखदारिद्रयशांतिश्च राज्यप्राप्तिश्च शाश्वती ॥9॥
जो मनुष्य इस महात्मा को भक्ति पूर्वक पढ़ता है, वह निरंतर दुख दरिद्रता से रहित होकर शांति एवं राज्य को प्राप्त करता है।
कालमेकं पठेन्नित्यं महापातक नाशनम् ॥
द्विकालं पठते नित्यं सर्वशत्रु विनाशनम् ॥१०॥
एक बार पढ़ने से बड़े-बड़े पापों का नाश होता है। नित्य दो बार पढ़ने से सभी प्रकार के तत्वों का विनाश होता है ।
त्रिकाल पठते नित्यं प्रसादो ही भवेत् खलु ।
यः पठेत्प्रयतो नित्यं द्रारिद्रयं नोपजायते ॥। ११॥
तीन बार पढ़ने से निश्चित ही प्रसन्नता मिलती है और निरंतर पढ़ने से दरिद्रता कभी उत्पन्न नहीं होती है।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ||१२||
सभी प्रकार के मंगल अमंगल के कारण कल्याण करने वाली, त्र्यंबक के गौरी नारायणी महालक्ष्मी को नमस्कार है ।
।। श्री महालक्ष्मी स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ।।
#महालक्ष्मी_का_शक्तिशाली_मंत्र_कौन_सा_है?
अथ श्री महालक्ष्मी स्तोत्रम् का हिंदी भावार्थ: सभी प्रकार की सिद्धि देने वाली त्रयंबके