मंगल देव की शांति के प्रभावशाली उपाय व टोटके

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मंगल देव जिस पर कृपा करते है, उसका कल्याण होता है। उन्हें प्रसन्न करने के यूं तो विभिन्न प्रभावी मंत्र है, साधनाएं है, लेकिन कुछ सहज मार्ग भी है, जिसके जरिए मंगल देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। मंगल देव की प्रसन्नता से मनुष्य के संकट कम होते हैं और दूर भी हो जाते हैं। आइये जानते हैं, मंगल देव को प्रसन्न करने के कुछ सहज उपाय-

1- प्रतिदिन तुलसी जी के पौध्ो को जल चढ़ायें और प्रात:काल ही नित्य तुलसी पत्र का भक्षण भी करें। इससे मंगल देव प्रसन्न होते हैं।
2- नियमित रूप से इक्कीस मंगलवार को व्रत करना चाहिए। इक्कीस संकष्टी व्रत और इक्कीस विनायकी व्रत करने चाहिए। इससे मंगल देव की कृपा प्राप्त होती है।

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3- ऋण और धन नाश की स्थिति में ऋण मोचन अंगारक स्तोत्र और वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ लाभदायक होता है।
4- मसूर दाल,मंूगा, शहद या सिंदूर आदि का दान दें या फिर इन्हें जल में प्रवाहित करें।
5- सामान्य मंगलपीड़ा हो तो सिर्फ बजरंग बाण और हनुमान जी के मंदिर में दीपदान से दूर होती है।


6- लाल मूंगा धारण करना श्रेयस्कर होता है। मूंगे के अभाव में ताम्बा धारण करें।
7- जिन्हें सुयोग्य जीवन साथी की अभिलाषा है, वे मूंगा जड़ित मंगल यंत्र गले में धारण करके 28 मंगलवार का व्रत करना चाहिए। इससे निश्चित ही लाभ प्राप्त होता है। मंगल देव प्रसन्न होते हैं।

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8- मंगल यदि उच्च का हो तो उनकी चीजों का दान नहीं देना चाहिए और मंगल यदि नीच का हो तो उनकी चीजों का दान नहीं लेना चाहिए। यह उपाय 43 दिनों तक लगातार करना चाहिए।
9- मंगलवार को लाल वस्त्र को धारण करें और लाल रुमाल अपने पास में रख्ों।
1०- कर्जा यदि अधिक हो गया हो तो ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना श्रेयस्कर होता है।
11- मंगलवार को लाल पुष्पों को बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए। इससे मंगल देव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा प्राप्त होती है।
12- रक्त पुष्पों से मंगल की पूजा तब जनक पाए वशिष्ठ आयसु हंकारि….. के इस सम्पुट के साथ करना चाहिए। इसके साथ ही तुलसी राम चरित मानस के सुंदर कांड का पाठ और गौरी पूजन सहित अभीष्टप्रद होता है।
13- वंश वृद्धि के लिए मंगल यंत्र प्राण प्रतिष्ठित कर उसका विधिवत् जप और पूजा करना चाहिए।

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14- मंगल की दशांर्तदशा में आचार्य शंकर कृत सुब्रह्माण्यम् भुजंग स्तोत्र या कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ और कुमार कार्तिकेय का पूजन हितकारी होता है। इसके साथ ही ग्यारह प्रदोष तिथियों में रुद्राभिष्ोक करना चाहिए। यह श्रेयस्कर होता है।
15- मंगल कृत अरिष्ट निवारणार्थ मंगल व्रत सहित मंगल मंत्र का विधिवत् अनुष्ठान करना चाहिए।
16- मंगल यदि अशुभ हो तो रेवड़ियां यानी की गुड़ और तिल जल में प्रवाहित करना श्रेयस्कर होता है।
17- हनुमान जी को सिंदूर लगायें और खुद भी हनुमान जी के पैरों में रख्ों हुए सिंदूर को धारण करें। कल्याण होगा।
18- लक्ष्मी स्तोत्र, देवी कवच स्तोत्र अथवा ऋण मोचन मंगल स्तोत्र में से किसी भी एक का नियमित श्रद्धापूर्वक वाचन करना चाहिए।
19- शुद्ध सोने के लॉकेट में मंगल यंत्र मूंगा सहित गले में धारण करना चाहिए। इसके साथ ही गुड़ का दान भी श्रेयस्कर होता है।
2०- हरिवंश पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति को महारुद्र या अतिरुद्र यज्ञ आवश्य करना चाहिए।
21- मंगल को शक्तिशाली बनाने के लिए मंगल यंत्र गले में लॉकेट की तरह से धारण करना चाहिए।
22- मंगल पीड़ा की विश्ोष शांति के लिए बेलफल, जटामांसी,मुसली, बकुलचंदन, बला, लाख पुष्प और हिंगूल मिलाकर आठ मंगलवार तक स्नान करना चाहिए।
23- ऋण निवृत्ति की इच्छा के साथ जिसको धन संग्रह की कामना हो तो मंगल यंत्र में मूंगे के साथ मोती लगायें तो लक्ष्मी जी कृपा होती है।

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