व्रत से मनुष्य को परम सौभाग्य की प्राप्त होती है। व्रत में उन्हीं वस्तुओं का भोग लगाया जाता है जो भगवान मंगल को प्रिय हैं, वह वस्तुएं लाल चंदन माला, फूल, गेहूं व गुड़ के पकवान आदि हैं। लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल चंदन से पूजा कर कथा सुनकर दिन में एक बार भोजन करना चाहिए । 21 मंगलवार का नियमित व्रत करने से मंगल दोष समाप्त हो जाता है।
कथा-
एक वृद्धा प्रति मंगलवार को व्रत रखती थी, उसका एक पुत्र भी था, जिसका नाम मंगलिया था, मंगल को वृद्धा ना तो गोबर थापती और ना मिट्टी खोदती थी़। उसकी परीक्षा लेने मंगल देव ब्राह्मण का रूप में वहां आए और वृद्धा से बोले- मुझे खूब भूख लगी है,ै भोजन तो मैं स्वयं बनाऊंगा पर तुम जमीन का गोबर से लीप दो तो बुढिय़ा ने कहा कि आज मंगलवार है और आज वह जमीन नहीं लीप सकती है। यहां पानी छिड़क कर चौका लगा देती हूं तो ब्राह्मण बोला कि मैं तो गोबर से ही लीपे चौके में ही भोजन पकाता हूं , इस वृद्धा ने लीपने के सिवा कुछ भी करने की हामी भर ली तो ब्राह्मण ने वृद्धा से कहा कि अपने लड़के को बुलाकर औंधे लिटा दो, उसी की पीठ पर मैं भोजन बना लूंगा।
काफी सोचने के बाद वृद्धा ने पुत्र को बुला कर औंधे लिटा दिया और उस पर ब्राह्मण की आज्ञा से अंगीठी जला दी, ब्राह्मण ने अंगीठी में आग जला भोजन बनाया। भोजन बनाने के बाद वृद्धा से बोला कि अपने पुत्र को बुला, वह भी प्रसाद ले लेगा। वृद्धा ने दुखी मन से कहा कि हे, ब्राह्मण क्यों हंसी कर रहे हैं, उस पर आग जलाकर आपने भोजन बनाया है, वह मर चुका होगा। ब्राह्मण ने बुढिय़ा को समझाया और बुलाने का आग्रह किया। आवाज लगाते ही पुत्र दौड़ता आया ब्राह्मण बोला कि माई तेरा व्रत सफल हुआ। दया के साथ तुम्हारे हृदय में निष्ठा और विश्वास भी है, अत: तेरा सदा कल्याण होगा।
-सनातनजन डेस्क