मंत्र उच्चारण में असमर्थ हैं तो ऐसे करें रुद्राक्ष को धारण

0
502

रुद्राक्ष धारण करने की अनेका-नेक विधियां शास्त्रों में बताई गईं हैं। यहां पर हम इस विषय पर चर्चा न करके जन साधारण को दृष्टिगत रखते हुए रुद्राक्ष धारण विधि का वर्णन करने जा रहे है। साधारण रूप से रुद्राक्ष धारण करने की विधि कुछ इस प्रकार है।
1- प्रत्येक रुद्राक्ष को सोमवार को दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर शिव मंदिर या घर के पवित्र कक्ष में बैठकर, गंगाजल और कच्चे दूध से इसका स्नानकराकर हमारे सनातनजन के अन्य लेखों में वर्णित पावन मंत्रों का जप कर धारण किया जा सकता है।
2- रुद्राक्ष को लाल, काले या सफेद धो में या सोने या चांदी की चेन में डालकर धारण किया जा सकता है।
3- अगर कोई व्यक्ति रुद्राक्ष के लिए वर्णित मंत्रों का शुद्ध स्वर में उच्चारण करने में असमर्थ है तो वह पंचाक्षण मंत्र यानी ऊॅँ नम: शिवाय:………….. मंत्र का जप करते हुए रुद्राक्ष पर बेलपत्र से 1०8 बार गंगाजल छिड़क कर भी उसे धारण कर सकता है।
4- एक बार अभिमंत्रित किए गए रुद्राक्ष को धारण करने के एक वर्ष बाद उसे पुन: अभिमंत्रित कर लेना चाहिए, यह श्रेयस्कर होता है।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here