मौसमी (SWEET LEMON): इन रोगों में बेहद असरकारक
मौसमी निरापद आहार है। सभी प्रकृतिवालों को और सभी अवस्थाओं में इसका सेवन लाभदायक है। रोगी दुर्बल होने पर शरीर में शक्ति बनाये रखने के लिए मौसमी का रस पियें। भूख की स्थिति में इसका सेवन अमृततुल्य है और भरे पेट में यह भोजन का पाचन करती है।
अधिक मूत्र आने और दस्तों में मौसमी नहीं लेनी चाहिए। मौसमी एक पौष्टिक फल है। इसे नियमित खाने से औषधि जैसे परिणाम मिलते हैं। मौसंबी में लिमोनोइड्स नामक यौगिक होता है जो कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि मौसंबी में पाया जाने वाला एंटी-कैंसर गुण मुख्य रूप से लिवर कैंसर, ब्रेस्ट और पेट के ट्यूमर के जोखिम को भी कम करने में सहायक हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को ठीक रखने के लिए मौसम्बी का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, मौसम्बी के जूस में एंटी-हाइपरलिपिडेमिक यानी हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाला प्रभाव होता है। ऐसे में प्रतिदिन मौसंबी का सेवन करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर नियंत्रित रह सकता है। बीमार होने पर इसका विशेष उपयोग निम्न प्रकार से करने पर रोगी को स्वास्थ्य लाभ मिलने में सहायता मिलती है—
जुकाम – जिन व्यक्तियों को बार बार जुकाम, सर्दी लग जाती है, वे थोड़े समय तक मौसमी का रस पीकर इससे स्थायी रूप से बच सकते हैं। मौसमी के रस को हल्का – सा गर्म करके 5 बूँद अदरक का रस डालकर पीना अधिक गुणकारी है।
शक्तिवर्धक- मौसमी का रस पाचनांग, मस्तिष्क और यकृत को शक्ति तथा स्फूर्ति देता है। इसका रस खाए हुए भोजन को शरीरांश बनाने में सहायता करता है। जटिल रोगों तथा ज्वर में जब खाना देना, अन्न देना मना कर दिया जाता है तो इसका रस सेवन करने से रोगी दुर्बल नहीं होने पाता। रोगी के शरीर से इन रोगों का विषैला पदार्थ निकल जाता है तथा स्वस्थ होने में सहायता मिलती है। इसका रस कई दिन तक पीते रहने से दस्त प्राकृतिक रूप से आने लग जाता है। कब्ज, सिरदर्द, काम करने में मन न लगना, थोड़ा काम करने पर थक जाना, रात को नींद न आना आदि कष्ट दूर हो जाते हैं। नई स्फूर्ति और शक्ति आ जाती है। शिशुओं को मौसमी का रस दूध में मिलाकर पिलाना चाहिए।
गुर्दे के रोग— गुर्दे के रोगियों को मौसमी नहीं खिलायें। गुर्दे के रोगों में मौसमी विष ( Poison ) का काम करती है। पेट पर आफरा लाती है।
हृदय रोग– मौसमी के निरन्तर प्रयोग से रक्तवाहिनियाँ कोमल और लचीली हो जाती हैं। उनमें एकत्रित कोलेस्ट्रॉल ( विषैला पदार्थ जो हृदय को फेल करने में सहायक और रक्त प्रवाह में बाधा डालता है) शरीर से निकल जाता है और शरीर में ताजा रक्त, विटामिन और आवश्यक खनिज लवण पहुँचा देता है। हृदय और रक्त संस्थान, रक्तवाहिनियों और कैपलरीज को शक्तिशाली बनाने मौसमी सर्वोत्तम है।
गर्भवती का भोजन- मौसमी में कैल्शियम अधिक मात्रा में मिलता है। गर्भवती स्त्रियों और गर्भाशय में बच्चे को शक्ति प्रदान करने के लिए इसका रस पौष्टिक है।
दमा, खाँसी– मौसमी के रस में, रस का आधा भाग गर्म पानी, जीरा, सोंठ मिलाकर पिलायें।
आंत्रज्वर ( Typhoid )- आंत्रज्वर में मौसमी लाभदायक है। जब ज्वर आदि में अन्य आहार न लिया जा सकता हो, तब शक्ति बनाये रखने के लिए तथा शरीर को पोषण देने के लिए यह लाभकारी है।
रक्तशोधक- मौसमी का रस रक्तशोधक है। यह चर्म रोगों में लाभकारी है।
रोग निरोधक शक्ति – मौसमी का रस पीने से रोगनिरोधक शक्ति एवं जीवनशक्ति बढ़ती है। मौसमी में क्षार तत्त्व होता है जो रक्त की अम्लता को कम करता है। इसके रस से पेट की अम्लता कम होती है, भूख लगती है।