नौ दिनों तक करें ध्यान, सत्संग, शांति और ज्ञान प्राप्ति

0
35

भारत में नवरात्रि को पर्व के रूप में मनाया जाता है। सबसे ज्यादा लोकप्रिय शारदीय नवरात्रि है, जोकि वर्तमान समय में पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। शायद ही किसी को पता हो कि एक वर्ष में 4 नवरात्रि होते हैं। प्रत्येक नवरात्रि के अलग-अलग महत्व होते हैं। देवी पुराण में ऐसा कहा गया है कि साल भर में मुख्य रुप से नवरात्र का त्योहार 2 बार आता है।

नवरात्र शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नव और रात्र। नव का अर्थ  है नौ और रात्र शब्द में पुनः दो शब्द निहित हैं: रा+त्रि। रा का अर्थ है रात और त्रि का अर्थ है जीवन के तीन पहलू- शरीर, मन और आत्मा। इंसान को तीन तरह की समस्याएं घेर सकती हैं- भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक। इन समस्याओं से जो छुटकारा दिलाती है वह रात्रि है। रात्रि या रात आपको दुख से मुक्ति दिलाकर आपके जीवन में सुख लाती है। इंसान कैसी भी परिस्थिति में हो, रात में सबको आराम मिलता है। रात की गोद में सब अपने सुख-दुख किनारे रखकर सो जाते हैं।

Advertisment

साल में दो बार नवरात्र रखने का विधान है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नौ दिन अर्थात नवमी तक, ओर इसी प्रकार ठीक छह महीने बाद आश्चिन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक माता की साधना और सिद्धि प्रारम्भ होती है। दोनों नवरात्रों में शारदीय नवरात्रों को ज्यादा महत्व दिया जाता है। नवरात्र के नौ दिनों में यज्ञ और हवन का सिलसिला चलता रहता है। ये यज्ञ संसार में दुख और दर्द के हर तरह के प्रभाव को दूर कर देते हैं। नवरात्रि के हर दिन का अपना महत्व और प्रभाव है और उस दिन के अनुरूप ही यज्ञ और हवन किए जाते हैं। जीवन में हमें बुरे और अच्छे दोनों तरह के गुण प्रभावित करते हैं।

नवरात्र हमें यह सिखाते हैं कि किस तरह इंसान अपने अंदर की मूलभूत अच्छाइयों से नकारात्मकता पर विजय प्राप्त कर सकता है और स्वयम् के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कर सकता है। जिस तरह मां के गर्भ में नौ महीने पलने के बाद ही एक जीव का निर्माण होता है ठीक वैसे ही ये नौ दिन हमें अपने मूल रूप, अपनी जड़ों तक वापस ले जाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। इन नौ दिनों का ध्यान, सत्संग, शांति और ज्ञान प्राप्ति के लिए उपयोग करना चाहिए।

सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here