मिलने पर राम-राम ही क्यों बोलते है, सिर्फ राम क्यों नहीं?

0
2646
राम के नाम की महिमा का गान हिन्दू धर्म शास्त्रों में विभिन्न स्थानों पर मिलता है। विश्ोष तौर पर कलयुग में प्रभु के सिमरन करने मात्र से मुक्ति के द्बार खुल जाते हैं। इस युग में राम के नाम का जप करने से मनुष्य भवसागर से पार उतर जाता है। विष्णु पुराण में तो यहां तक कहा गया है कि कलयुग में प्रभु के नाम सिमरन से ही मनुष्य को वह फल प्राप्त होता है, जो अन्य युगों में वर्षों की साधना और तपस्या के बाद ही प्राप्त होता है।
वर्तमान में कलयुग चल रहा है। राम के नाम का जाप इस युग के समस्त कलेशों को मिटाने वाला है। अब सवाल यह है कि राम-राम ही क्यों कहा जाता है? इस बारे में क्या आपने कभी सोचा है? बहुत से लोग जब एक दूसरे से मिलते हैं तो आपस में एक दूसरे को दो बार ही राम-राम ही क्यों बोलते हैं? वे तीन बार क्यों नहीं बोलते हैं? दो बार राम-राम बोलने के पीछे गूढ़ रहस्य है, वह अब हम आपको बताने जा रहे है। राम नाम का महत्व आदि काल से चला आ रहा है। हिन्दी की शब्दावली में र सत्ताइसवां शब्द है, आ की मात्रा दूसरा शब्द है और म पच्चीसवां शब्द है। अब तीनों अंकों का योग करें तो आपको 27 योग 2 योग 25 यानी इनका कुल योग 54 प्राप्त होता है। यानी एक राम का योग 54 हुआ।
इसी तरह से दो राम-राम का कुल योग 1०8 होगा। हम जब भी कोई जप करते हैं तो 1०8 मनके की माला गिनकर करते हैं। सिफ राम-राम कहने से पूरी माला का जाप हो जाता है। विश्ोष तौर पर कलयुग में राम के नाम के सिमरन से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है। श्री राम के नाम का प्रभाव इतना पावन होता है कि यदि मृत्यु शय्या पर लेता जीव उनके नाम का सिमरन या श्रवण करता है तो वह भी प्रभु की शरण व दया का पात्र बन जाता है।
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें। सनातन जन डॉट कॉम में आर्थिक सहयोग करके सनातन धर्म के प्रसार में सहयोग करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here