‘मोदी फोबिया क्लब’दुष्प्रचार में लगा, मुसलमानों की सच्ची हितैषी भाजपा: नकवी

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नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ‘मोदी फोबिया क्लब’ सरकार के कार्यों को पचा नही पा रहा। यही कारण है कि वह असहिष्णुता, सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव के आरोपों के जरिए केंद्र सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार में लगा है। नकवी ने कथित ‘इस्लामोफोबिया’ (इस्लाम के खिलाफ नफरत की भावना) को भारत को बदनाम करने की साजिश करार देते कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक वर्ग के लोग सम्मान के सशक्तीकरण में बराबर के भागीदार हैं। उन्होंने कहा कि इस देश में अल्पसंख्यक फल-फूल रहे हैं और मोदी के नेतृत्व की सरकार में हो रहे समावेशी विकास को ‘मोदी फोबिया क्लब’ हजम नहीं कर पा रहा है।
नकवी ने मंगलवार को ‘इस्लामोफोबिया-बोगस बैशिंग ब्रिगेड की बोगी’ शीर्षक से लिखे अपने ब्लॉग में आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही योजनाओं और उनसे अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को लाभ हो रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही कल्याण योजनाओं और उसके लाभ का विस्तार से जिक्र किया।
नकवी ने आरोप लगाया कि आज फिर से ऐसे ही ‘साजिशी सियासी सनक से सराबोर’ लोग भारत को बदनाम करने और हिंदुस्तान की ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’ के संकल्प पर चोट पहुँचाने की घटिया साजिश में लग गए हैं। उन्होंने कहा कि यह वो लोग हैं जो नरेंद्र मोदी के परफॉरमेंस, परिश्रम एवं देश की समावेशी प्रगति को हजम नहीं कर पा रहे हैं। ये हताश आत्माएं 2014 से एक दिन भी चैन से नहीं बैठी, कभी भारत में असहिष्णुता, तो कभी साम्प्रदायिकता, तो कभी भारत में अल्पसंख्यकों के साथ जुल्म और भेदभाव के झूठे मनगठंत किस्से कहानियां देश-विदेश में प्रचारित करते रहें।
नकवी ने आरोप लगाया कि एक तरफ हर भारतवासी प्रभावशाली नेतृत्व पर गौरवान्वित है, वहीं बौखलाया हुआ पेशेवर ‘मोदी फोबिया क्लब’ ने ‘इस्लामोफोबिया’ कार्ड के जरिए झूठे, मनगढंत तर्कों, तथ्यों से कोसों दूर दुष्प्रचारों से भारत के शानदार समावेशी संस्कृति, संस्कार और संकल्प पर पलीता लगाने की फिर से कोशिश तेज कर दी है।
नकवी ने कहा कि इसी हिंदुस्तानी संस्कार, संस्कृति और संकल्प का परिणाम है कि आजादी के बाद जहाँ पाकिस्तान ने इस्लामी राष्ट्र का रास्ता चुना, वहीँ भारत के लोगों ने ‘पंथनिरपेक्ष  जनतांत्रिक’ राष्ट्र का मार्ग चुना। बंटवारे के बाद पाकिस्तान में अल्पसंख्यक 24 प्रतिशत से ज्यादा थे लेकिन आज 2 प्रतिशत के इर्द गिर्द बचे हैं। वहीँ बंटवारे के बाद हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक कुल जनसँख्या का 9 प्रतिशत थे वह बढ़कर 22 प्रतिशत से भी अधिक हो गए हैं। सभी नागरिकों के साथ अल्पसंख्यक भी बराबर की हिस्सेदारी-भागीदारी के साथ फल फूल रहे हैं। उस देश और उसके नेतृत्व के खिलाफ दुष्प्रचार, ‘अज्ञानता और मानसिक दिवालियेपन की पराकाष्ठा’ से ज्यादा कुछ नहीं है।
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