मोतियाबिन्द ( Cataract ) – ( 1 ) एक भाग नीबू का रस, 5 भाग गुलाबजल मिलाकर छानकर शीशी में भर लें। दो बूँद सुबह – शाम नित्य दो बार, चार – पाँच महीने तक आँखों में डालें मोतियाबिन्द में लाभ होगा।
( 2 ) 9 भाग छोटी मक्खी का शहद; 1 भाग अदरक का रस; 1 भाग नीबू का रस; 1 भाग सफेद प्याज का रस- सब मिलाकर छानकर एक बूंद सुबह – शाम आँख में लम्बे समय तक डालते रहने से मोतियाबिन्द दूर हो जाता है। जलन हो तो गुलाबजल मिलायें। इसमें 12 भाग गुलाबजल डालकर नित्य इसी प्रकार डालते रहने से नेत्रज्योति बढ़ती है, चश्मा हट जाता है।
नेत्र ज्योतिवर्धक – एक गिलास पानी में एक नीबू निचोड़कर प्रातः भूखे पेट हमेशा पीते रहें। नेत्र की ज्योति ठीक बनी रहेगी तथा बढ़ेगी। इससे पेट साफ रहता है। शरीर स्वस्थ रहता है। नीरोग रहने का यह प्राथमिक उपचार है।
सूचना- किसी वैद्य से परामर्श कर इसका प्रयोग कीजिए। नेत्रों का परीक्षण भी उक्त वैद्य से करा लें। उसके बाद ही इसका उपयोग करें।
प्रस्तुति
स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर
सेवानिवृत्त तहसीलदार/ विशेष मजिस्ट्रेट, हरदोई
नोट:स्वर्गीय पंडित सुदर्शन कुमार नागर के पिता स्वर्गीय पंडित भीमसेन नागर हाफिजाबाद जिला गुजरावाला पाकिस्तान में प्रख्यात वैद्य थे।
दादा जी के आयुर्वेदिक नुस्खे :नेत्र ज्योति वर्धक दवा, रतौंधी व मातियाबिंद का उपचार