अखिलेश यादव और उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी (सपा) की राजनीति में मुस्लिम समुदाय के प्रति झुकाव का मुद्दा अक्सर चर्चा में रहता है। हाल के दिनों में ऐसी खबरें आई हैं कि यादव समुदाय, जो सपा का मुख्य वोट बैंक माना जाता है, पार्टी की मुस्लिम-परस्त छवि से नाराज हो सकता है।
संभावित कारण:
1. जातीय संतुलन का मुद्दा: यादव समुदाय को लगता है कि अखिलेश यादव मुस्लिम वोटरों को खुश करने के चक्कर में यादवों की उपेक्षा कर रहे हैं।
2. टिकट वितरण में असंतुलन: चुनावी टिकट वितरण में यादव समुदाय के बजाय मुस्लिम उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने की धारणा बनी है।
3. भाजपा का प्रभाव: भाजपा ने ‘सशक्त हिंदुत्व’ और ‘समाज के सभी वर्गों के विकास’ का संदेश देकर यादव समुदाय के एक हिस्से को आकर्षित किया है।
4. गठबंधन की राजनीति: सपा ने मुस्लिम-ध्रुवीकरण वाले दलों जैसे एआईएमआईएम और रालोद के साथ गठबंधन किया, जिससे यादव समुदाय को अपनी स्थिति कमजोर होती दिख रही है।
सपा के लिए चुनौती:
अखिलेश यादव को यह संतुलन साधना होगा कि यादव और मुस्लिम दोनों उनके साथ बने रहें। यदि यह असंतोष बढ़ता है, तो आगामी चुनावों में सपा को नुकसान हो सकता है।
यह मुद्दा केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित है या वास्तव में जमीनी स्तर पर नाराजगी है, यह आने वाले चुनावों में स्पष्ट होगा।