‘‘नागरिकता संशोेधन विधेयक‘‘ पर भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश एवं बिहार की कार्यशाला

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लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश एवं बिहार की ‘‘नागरिकता संशोेधन विधेयक‘‘ पर संयुक्त कार्यशाला आज भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर सम्पन्न हुई। कार्यशाला को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एवं सदस्य राज्यसभा डा. अनिल जैन, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सदस्य राज्यसभा डा. सुधांशु त्रिवेदी ने सम्बोधित किया।

प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह जी ने वर्तमान समय में सोशल मीडिया एवं मीडिया की उपयोगिता पर चर्चा की उन्होंने कहा कि मीडिया, सोशल मीडिया की वजह से जनता से संवाद सुगम हुआ है। उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ है। महाकुम्भ में करोड़ों लोग प्रदेश में आए कोई भी घटना व दुर्घटना नहीं हुई है। लोकसभा के चुनावों में एक भी हिंसा की घटना चुस्त कानून व्यवस्था की वजह से नहीं हुई है। जनता का पूर्ण समर्थन हमें लोकसभा के चुनाव में प्राप्त हुआ है। संसद में तीन तलाक बिल, धारा 370 एवं 35ए हटाने का बिल, नागरिकता संशोधन बिल को मोदी सरकार ने पास किया है। हम अपने घोषणा पत्रों में हर बार इसका उल्लेख करते थे। जनता के अपार बहुमत के कारण हम यह बिल पास कर सके। दुर्भावना से ग्रस्त होकर कुछ राजनीतिक दल जनता को बहकाने का प्रयास कर रहे है। हम किसी के खिलाफ नहीं है पूरे देश को एक सूत्र में बांधना ही हमारा उद्देश्य है। नागरिकता संशोेधन विधेयक का उद्देश्य धर्म के आधार पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को संरक्षित करना है। भारत के अल्पसंख्यको का इस बिल से कोई लेना देना नहीं है।

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राष्ट्रीय महामंत्री डा. अनिल जैन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार गरीबों को समर्पित सरकार है। दलित, शोषित, वंचित एवं गरीबों के कल्याण को समर्पित सरकार है। गरीब कल्याण ही अन्त्योदय है, अन्त्योदय को कैसे पूरे देश में लागू किया जा सके एवं मोदी जी के 5 साल के कार्यकाल में गरीबों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम मोदी जी ने किया है। सरकार की 135 योजनाओं में 95 प्रतिशत योजनाएं गरीबों को समर्पित थी। मोदी-2 सरकार में संसदीय कार्य में नए कीर्तिमान स्थापित हुए है। 98 प्रतिशत कार्य इस बार संसद में हुआ है। धारा 370 एवं 35ए जैसे कंलक को धोने का काम, तीन तलाक का बिल एवं नागरिकता संशोेधन विधेयक को पास करके मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कार्य किया है। देश को आजादी देश के विभाजन के रूप में मिली और यह विभाजन धर्म के आधार पर किया गया। विभाजन की मांग मुस्लिम लीग ने की थी। परन्तु कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन क्यों स्वीकार किया। देश के विभाजन के कारण लाखों लोग बेघर हुए, मारे गए, जिन्होंने इस विभीषिका को देखा और जिया है। जब वे विभत्स दृश्यों को बताते हैं तो लगता है कि उन्होंने विभाजन के बाद कैसे नारकीय जीवन को जिया है। वे इसी देश के नागरिक थे विभाजन होने के कारण उन्हें शरणार्थी बनना पड़ा विभाजन की विभीषिका उन्होंने झेली और उन्हें कुछ नहीं मिला। नागरिकता संशोेधन विधेयक हमने उन्हीं लोगों के लिए जो विभाजन की विभीषिका झेल रहे थे। वे सम्मान का जीवन जी सके इसलिए हमने यह विधेयक संसद से पास किया।

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डा. जैन ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंग्लादेश के अल्पसंख्यक जिनको वहां पर धार्मिक प्रताड़ना, जबरन धर्म परिवर्तन एवं द्वितीय श्रेणी के नागरिको जैसा व्यवहार किया जा रहा था ऐसे सिख, जैन, हिन्दु, पारसी आखिर किस देश की शरण में जाएगें। उनके लिए भारत ही एक ऐसा देश है जहां वे सम्मान पूर्वक जा सकते है। यह बिल इन देशों के अल्पसंख्यकों को सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करेगा। तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में काफी कमी आयी है वह लोग या तो मार दिये गए या उनका जबरन धर्मान्तरण कराया गया या वे शरणार्थी बनकर भारत में आये। तीनों देशों से आये धर्म के आधार पर प्रताड़ित ऐसे लोगों को संरक्षित करना इस बिल का उद्देश्य है।

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भारत के अल्पसंख्यकों का इस बिल से कोई लेना देना नहीं है। बंग्लादेश देश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी। जोकि 2011 में 7.8 प्रतिशत है। पाकिस्तान में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। जोकि 2011 में 3.2 प्रतिशत है। वहीं भारत में 1951 की जनगणना के अनुसार अल्पसंख्यकों की आबादी 9.8 प्रतिशत थी। जोकि 2019 में बढकर 14.23 प्रतिशत है। भारत के सर्वोच्च पदों पर कई अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले नागरिक बैठे है। वहीं पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बंग्लादेश के सर्वोच्च पदो पर कोई भी उनका अल्पसंख्यक नागरिक नहीं बैठा है। जोकि 8 अप्रैल 1950 को हुए नेहरू लियाकत समझौते जिसे दिल्ली समझौते के नाम से भी जाना जाता है का स्पष्ट उल्लघन है। क्योंकि इस समझौते में यह कहा गया था कि दोनो देश अपने अपने अल्पसंख्यकों के हितो का ध्यान रखेगें।

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जिसका तो भारत ने पालन किया और हमारे यहां अल्पसंख्यक सम्मान के साथ सर्वोच्च पदो पर काम करने में सफल हुए। किन्तु तीनो पड़ोसी देशों ने इस वायदे को नहीं निभाया और वहां के अल्पसंख्यकों को प्रताडित किया गया। नरेन्द्र मोदी सरकार पूर्वात्तर राज्यों की भाषायी, सास्कृतिक और सामाजिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस अधिनियम के संशोधनों के प्राविधान असम, मेघालय, मिजोरम एवं त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगे। क्योंकि वे संविधान की छटी अनुसूची में शामिल है एवं इनर लाइन परमिट से अच्छादित है मणिपुर को भी इनर लाइन परमिट शासन के तहत लाया जाएगा। इसके साथ ही सिक्किम सहित सभी उत्तर पूर्वी राज्यों की समस्याओं का ध्यान रखा जाएगा।

राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सदस्य राज्यसभा सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक में ऐसे शरणार्थियों को उचित आधार पर नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान है जो किसी भी तरह से भारत के संविधान के तहत किसी प्रावधान के खिलाफ नहीं आते हैं और अनुच्छेद 14 का उल्लघंन नहीं करते है। यह सरकार सभी को सुरक्षा एवं सामान अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है और इस बात में यह भी निहित है देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है और यह इस बात का प्रमाण है की मोदी जी के शासन काल में पिछले 5 वर्षों में 566 से ज्यादा मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी गई। यह बिल सिफ नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छिनने के लिए नहीं।

उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार का संकल्प है जो भी प्रताड़ित है उन सब की मदद सरकार करेगी। भारत ने 1959 में दलाई लामा एवं बौद्धों को शरण दी। उस समय किसी ने नहीं कहा की कम्यूनिस्टों को शरण क्यों नहीं दी। 1971 में बंग्लादेश बहुत से शरणार्थी आये उन्हें भारत ने शरण दी। तब किसी ने आपत्ति नहीं की पाकिस्तान एवं नेपाल के नागरिको को नागरिकता क्यों नहीं दी। 1980 में श्री लंका से तमिल शरणार्थी आये तब किसी ने आपत्ति नहीं की बंग्लादेशियों को क्यों नहीं लिया। हमने नाम लिया तो लोगों को आपत्ति है। वहीं ‘‘हम प्रतिबद्ध है हिन्दु बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यक जो पूरी तरीके से प्रताडित हो रहे है और विभाजन बाद से धार्मिक यंत्रणा झेल रहे है उन्हें भारत में नागरिकता देने के लिए हम प्रतिबद्ध है‘‘। यह किसने कहा यह असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 2012 के रेजुलेशन में कहा गया। यह आप बोलते है तो सही है और यही हम करते है इसमें आपको आपत्ति क्यों है। ‘‘माननीय प्रधानमंत्री महोदय मैं यह अपील करता हॅू बंग्लादेश से आये हुए जितने भी हिन्दु, बौद्ध, ईसाई और गैर मुस्लिम हैं उन सबको यहां पर नागरिकता देने पर विचार किया जाय‘‘। यह किसने बोला 30 अप्रैल 2012 को असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को पत्र लिखा।

उन्होंने कहा कि हमने जब स्वच्छता आन्दोलन चलाया तो ऐसा तो नहीं किया हिन्दु को दो मुसलमान को मत दो। सबको शौचालय दिया। हमने जब 8 करोड़ लोगों को गैस दी उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत तो सभी गरीबों को बिना भेदभाव के दिया। हमने किसान सम्मान निधि सभी किसानों को दिया तब बिना किसी भेदभाव के दिया। पूर्व सरकारें धर्म एवं वर्ग के आधार पर निर्णय लेती थी। लेकिन मोदी सरकार ने बिना किसी भेद के सभी वर्गों एवं धर्मों के लिए योजनाएं लागू की।  बैठक का संचालन प्रदेश महामंत्री विद्यासागर सोनकर ने किया।
कार्यक्रम में प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ला, विजय बहादुर पाठक, बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी एवं भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश एवं बिहार के वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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