नैनादेवी सिद्धपीठ ( नैनीताल ): श्रद्धा से दर्शन-पूजन से होंगीं मनोकामनाए पूरी

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nainaadevee siddhapeeth ( naineetaal ): shraddha se darshan-poojan se hongeen manokaamanae pooreeनैनादेवी सिद्धपीठ ( नैनीताल )  मंदिर छोटा है, यह  नैनीताल का मुख्य मंदिर है, जो झील के किनारे स्थित है। किंवदंती के अनुसार यहां सती का वाम नेत्र गिरा था तो एक रमणीय सरोवर बन गया, जो नयन ताल कहा जाता था और वर्तमान में यह नैनीताल के नाम से विख्यात है। सती का दायां नेत्र जिस स्थान पर गिरा था, वहीं नैनादेवी का मंदिर है तथा इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है। स्थानीय रूप से इस पावन धाम को कुछ स्थानीय विद्वान् शक्ति पीठ मानते हैं, इसे 51 शक्तिपीठ के रूप में मान्यता नहीं हैं, बल्कि सिद्धपीठ के रूप में मान्यता है। नैनीताल एक मनोरम पर्वतीय स्थल है। यहां का निकट रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। यही 36 किलोमीटर की दूरी पर मंदिर है। बेशक शक्तिपीठ के रूप में मान्यता नहीं हो , पर श्रद्धा से दर्शन पूजन से मनोकामनाए पूरी होती हैं।

नैनादेवी सिद्धपीठ ( नैनीताल ) का उल्लेख 

सुंदर व छोटा मंदिर नैनी झील के किनारे पर अवस्थित है। मूल मंदिर भूस्खलन में नष्ट हो गया था, तब मोतीलाल शाह के पुत्र अमरनाथ शाह ने इसका पुनर्निर्माण कराया तथा मलवे के साथ भूमि से देवी मूर्ति निकाल कर इसे पुनर्स्थापित कराया।

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