लखनऊ। नमामि गंगा योजना को लेकर अब हलचल अब तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह है यह योजना गंगा का भारतीय परम्परा में विशेष महत्व है, इस योजना के माध्यम से सरकार नदी को स्वच्छ करने के लिए कटिबद्ध है। इसका असर भी अब दिखने लगा है। प्रधानमंत्री ने ‘नमामि गंगे’ को ‘अर्थ गंगा’ में परिवर्तित करने के लिए समग्र सोच विकसित करने का आह्वान किया।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की। इसके पूर्व, कानपुर आगमन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री ने ‘स्वच्छता’, ‘अविरलता’ तथा ‘निर्मलता’ पर ध्यान केन्द्रित करते हुए गंगा नदी की स्वच्छता सम्बन्धी विभिन्न कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि माँ गंगा उप-महाद्बीप की सबसे पवित्र नदी है। इसके कायाकल्प को सहयोगात्मक संघवाद के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जाना चाहिए। गंगा का कायाकल्प दीर्घ काल से देश के लिए लम्बित चुनौती रहा है। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2०14 में ‘नमामि गंगे’ का शुभारम्भ करने के पश्चात इस दिशा में बहुत कुछ किया है। विभिन्न सरकारी प्रयासों एवं गतिविधियों को एकीकृत करते हुए यह कार्यक्रम प्रदूषण उन्मूलन, गंगा का संरक्षण एवं कायाकल्प, पेपर मिलों के उत्प्रवाह को शून्य करने, टेनरियों से होने वाले प्रदूषण में कमी लाने जैसी उपलब्धियों के रूप में परिलक्षित हो रहा है। लेकिन अभी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना शेष है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि निर्मल गंगा के स्वरूप के लिए व्यापक जन सहयोग के साथ देश की प्रमुख नदियों के किनारे बसे शहरों की बेस्ट प्रैक्टिसेज को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने योजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रभावी ढांचा प्रदान करने के लिए जिला गंगा समितियों की दक्षता में सुधार पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने ‘नमामि गंगे’ को ‘अर्थ गंगा’ में परिवर्तित करने के लिए एक समग्र सोच विकसित किए जाने का आह्वान किया। यह गंगा से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों पर केन्द्रित एक सतत विकास मॉडल होगा। इसके अन्तर्गत किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन, शून्य बजट खेती, फलदार वृक्षों का रोपण तथा गंगा के तटों पर पौध नर्सरी की स्थापना के कार्य शामिल किए जा सकते हैं। इन कार्यक्रमों में महिला स्वयं सहायता समूहों तथा पूर्व सैनिकों के संगठनों को प्राथमिकता दी जाए। ऐसी गतिविधियों के साथ-साथ वॉटर स्पोट्र्स के लिए अवस्थापना सृजन, कैम्प साइट्स के विकास, तथा साइकिलिग एवं पैदल पथ के निर्माण से पर्यटन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। ईको टूरिज़्म, क्रूज़ टूरिज़्म तथा गंगा वन्यजीव संरक्षण के प्रोत्साहन से होने वाली आय के द्बारा गंगा स्वच्छता के लिए आय का स्थायी स्रोत बनाने में मदद मिलेगी।
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प्रधानमंत्री ने ‘नमामि गंगे’ तथा ‘अर्थ गंगा’ के अन्तर्गत विभिन्न योजनाओं और पहल की कार्य प्रगति एवं गतिविधियों की निगरानी के लिए एक डिजिटल डैशबोर्ड की स्थापना के भी निर्देश दिए। इसके माध्यम से नीति आयोग तथा जल शक्ति मंत्रालय द्बारा ग्रामों एवं शहरी निकायों के आंकड़ों का दैनिक अनुश्रवण किया जाए। उन्होंने कहा कि आकांक्षात्मक जनपदो की तर्ज पर ‘नमामि गंगे’ के बेहतर अनुश्रवण के लिए गंगा के किनारे स्थित समस्त जनपदों को फोकस एरिया बनाया जाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश का यह सौभाग्य है कि राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक कानपुर में सम्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि धरती पर गंगा जी का अवतरण मानव कल्याण के लिए हुआ है। गंगा जी जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी हैं। पृृथ्वी पर आकर उसे स्वर्ग बनाने वाली गंगा जी को भारतवासी अपनी माँ की तरह पूजते हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा जी हजारों वर्षों से अनवरत रूप से गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक 2523 कि०मी० की अपनी लम्बी यात्रा कर रही हैं। इस दौरान वे ऐसे अनेक बड़े शहरों से होकर गुजरती हैं, जहां कारखानों, फैक्ट्रियों व अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों के परिणामस्वरूप गंगा जी में प्रदूषण बढ़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री जी ने जून, 2०14 में ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के माध्यम से गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा जी को निर्मल बनाने की प्रभावी पहल की है। गंगा जी का सर्वाधिक प्रवाह क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है। इसलिए ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी भी सर्वाधिक है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्बारा परियोजना के कार्यों को पूरी निष्ठा एवं प्रतिबद्धता के साथ क्रियान्वित कराया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश में 1० हजार 341 करोड़ 82 लाख रुपए की 45 सीवरेज परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। इनमें से 1,292 करोड़ 52 लाख रुपए की 12 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। ०7 परियोजनाओं को मार्च, 2०2० तक पूरा किये जाने का लक्ष्य है। 5,727 करोड़ 9० लाख रुपए की 21 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। 3,321 करोड़ 71 लाख रुपए की 12 परियोजनाएं निविदा प्रक्रिया में चल रही हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के 32 शहरों में विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत कुल 1०4 एसटीपी का निर्माण किया गया है, जिनकी कुल शोधन क्षमता 3,298 एमएलडी है। कुल एसटीपी के अन्तर्गत पहुंचने वाले सीवरेज की मात्रा 2,248 एमएलडी है, जो सीवरेज की कुल क्षमता का 69 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रयागराज कुम्भ-2०19 का भव्य और दिव्य आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। राज्य सरकार के प्रयास तथा केन्द्र सरकार के सहयोग से काफी वर्षों बाद इस कुम्भ में श्रद्धालुओं और स्नानार्थियों को गंगा जी की अत्यन्त निर्मल और अविरल जलधारा मिली। प्रयागराज कुम्भ-2०19 में 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी के पावन संगम पर स्नान किया। प्रयागराज कुम्भ के दौरान दिसम्बर, 2०18 से 155 नालों के शोधन का कार्य किया गया। नमामि गंगे कार्यक्रम के सहयोग से कुम्भ मेले में ०1 लाख 22 हजार से अधिक सामुदायिक शौचालय स्थापित किए गए। कुम्भ मेला क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त रहा तथा प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छ कुम्भ के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी। यह प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का एक जीवन्त उदाहरण सिद्ध हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 26 जनपदों के गंगा जी के किनारे स्थित समस्त 1,638 ग्रामों को खुले में शौच मुक्त किया जा चुका है। नदी की ऊपरी सतह की सफाई से लेकर बहते हुए ठोस कचरे की समस्या को हल करने के लिए ०5 नगरों-वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, गढ़मुक्तेश्वर तथा मथुरा-वृन्दावन में घाट सफाई का कार्य आउटसोîसग के माध्यम से किया जा रहा है। गंगा जी के किनारे स्थित 17 जनपदों में 5,1०० एकड़ क्षेत्रफल पर प्रदेश के कृषि विभाग तथा यूपी डास्प द्बारा जैविक खेती को प्रोत्साहित करने की कार्यवाही की जा रही है।
प्रदेश सरकार द्बारा इस वर्ष राज्य में 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाये गये हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगा जी के किनारे के 27 जनपदों में 6,००० हेक्टेयर क्षेत्रफल में 1०2 करोड़ रुपए की वनीकरण परियोजना संचालित है, जिसका क्रियान्वयन वन विभाग के सहयोग से किया जा रहा है। प्रदेश के 26 जनपदांे (गंगा जी के किनारे स्थित 25 जनपद तथा रामगंगा नदी का मुरादाबाद जनपद) में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला गंगा समिति गठित की गई है। प्रत्येक जिला गंगा समिति को गतिविधियां संचालित करने के लिए धनराशि उपलब्ध करायी गई है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि गंगा जी की निर्मलता और अविरलता को सुनिश्चित करने के लिए गंगा जी एवं उनकी सहायक नदियों को ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम से जोड़ते हुए परियोजना की अवधि बढ़ाए जाने पर विचार किया जाए। गंगा जी एवं उनकी सहायक नदियों के तट पर स्थित 1० लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को सीवरेज नेटवर्क तथा घरेलू सीवरेज कनेक्शन से पूर्ण रूप से संतृप्त किया जाए, ताकि वर्षा काल में भी गंगा जी प्रदूषित न हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो नाले एसटीपी में टैप नहीं किए गए हैं, उनके टैप किए जाने तक की अवधि में उन्हें बायो-रैमिडिएशन तथा अन्य विधि से शोधित करने की कार्यवाही उपयोगी होगी। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेण्ट एक चुनौतीपूर्ण समस्या है। म्युनिसिपल वेस्ट से तैयार की जा रही कम्पोस्ट खाद के स्थान पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेण्ट के प्रोसेसिग डिस्पोजल का विश्व के अन्य देशों में प्रचलित कारगर तरीका अपनाना उचित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्बारा इस वर्ष 8 मार्च को कानपुर में सीसामऊ नाले के इन्टरसेप्शन एवं डाईवर्जन कार्य का लोकार्पण किया गया था। इसके माध्यम से एशिया के सबसे बड़े नालों में सम्मिलित सीसामऊ नाले के पानी को ट्रीटकर गंगा जी के पानी को स्वच्छ बनाये रखने की कार्यवाही की जा रही है। यहां अब एक बूंद भी सीवर का पानी नहीं गिरता। गंगा जी जब कानपुर में स्वच्छ हो गई हैं, तो यह निश्चित है कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में इनकी पूरी धारा साफ और निर्मल हो जाएगी।
ज्ञातव्य है कि गंगा, उसकी सहायक नदियों तथा गंगा नदी बेसिन के प्रदूषण निवारण और कायाकल्प का समग्र उत्तरदायित्व राष्ट्रीय गंगा परिषद को सौंप दिया गया है। परिषद की प्रथम बैठक का उद्देश्य सम्बन्धित राज्यों के समस्त विभागों के साथ-साथ विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों में गंगा केन्द्रित दृष्टिकोण को और सुदृढ़ करना था।
गंगा नदी में पर्याप्त जल के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए प्रथम बार केन्द्र सरकार ने वर्ष 2०15-2० की अवधि हेतु गंगा प्रवाह क्षेत्र के ०5 राज्यों के लिए 2० हजार करोड़ रुपए की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। नवीन अपशिष्ट प्रबन्धन संयंत्रों के निर्माण के लिए अब तक 77०० करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की जा चुकी है। गंगा कायाकल्प परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए व्यक्तिगत, एनआरआई तथा कॉरपोरेट संस्थाओं से योगदान की सुविधा हेतु केन्द्र सरकार ने स्वच्छ गंगा कोष (सीजीएफ) की स्थापना की है। वर्ष 2०14 के बाद से मिले उपहारों की नीलामी तथा सियोल शान्ति पुरस्कार से प्राप्त धनराशि को सम्मिलित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने व्यक्तिगत रूप से 16.35 करोड़ रुपए सीजीएफ को प्रदान किए हैं।
राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक से पूर्व, प्रधानमंत्री ने चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के परिसर में महान स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने ‘नमामि गंगे’ के तहत किए जा रहे कार्यों एवं परियोजनाओं पर आधारित एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। बैठक के उपरान्त, प्रधानमंत्री जी ने गंगा नदी को साफ व स्वच्छ रखने के उद्देश्य और ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए गंगा बैराज स्थित अटल घाट का निरीक्षण किया। उन्होंने स्टीमर में बैठकर अटल घाट से सीसामऊ नाले तक साफ-सफाई का भी निरीक्षण किया। ज्ञातव्य है कि सीसामऊ नाला 128 वर्ष पुराना है। लगभग ०3 वर्ष पूर्व मात्र इस नाले से प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर गन्दा पानी गंगा नदी में जाता था। अब यह नाला पूरी तरह टैप हो चुका है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिह शेखावत सहित अन्य केन्द्रीय मंत्रिगण, उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डॉ महेन्द्र सिह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार एवं वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।