नसियां जैन मंदिर: 250 वर्ष प्राचीन मंदिर लाल पत्थर से निर्मित

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नसियां जैन मंदिर

nasabiyaan laal jain mandir: 250 saal puraana laal jain mandir नसियां जैन मंदिर अजमेर में अवस्थित है, जो लगभग 250 वर्ष प्राचीन है और पूरा मंदिर लाल पत्थर द्वारा निर्मित है। इसको बाहर से देखकर ही मानव मंत्रमुग्ध हो जाता है। वर्तमान में अजयमेरु नगर ( अजमेर ) के ठीक मध्य में यह एक भव्य एवं कलात्मक तथा दर्शनीय जैन मंदिर है। इसका निर्माण एक सोनी परिवार के मुखिया ने करवाया था, जिस कारण इसे सोनी की नसियां कहा जाता है, पर वास्तव में यह एक श्री सिद्ध कूट चैत्यालय है। करोली के लाल पत्थर से निर्मित होने के कारण इसे लाल नसियां कहा जाता है। इसमें अयोध्या नगरी आदि के निर्मित स्वर्णिम माडलों के कारण स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है। भगवान आदिनाथ की जन्मभूमि अयोध्या नगरी तथा उनके पांच कल्याणकों की स्वर्णिम प्रतिकृतियों की रचना जयपुर नगर में की गई है। एक विशाल हाल में प्रथम दिगंबर जैन तीर्थकर भगवान आदिनाथ के जीवन से संबंधित पंच कल्याणकों के दृश्यों की स्वर्ण खंचित माडलों के रूप में दर्शाया गया है। इसकी ऊपरी . मंजिल में सुमेरु पर्वत व तेरह द्वीप एवं समुद्रों की रचना स्वर्णिम माडलों में दर्शायी गई है। छत से देवों के विमान लटक रहे हैं, जो तीर्थंकर के पांचों कल्याण में उत्सव मनाने आ रहे हैं। इसके ऊपर वाली छत अत्यंत सुंदर एवं आकर्षक है। इसमें श्वेत विदेशी गोले लगे हैं।

अयोध्या नगरी के मध्य में भगवान ऋषभ कुमार का महल है। यह महल तीन मंजिला है। एक मंजिल में भगवान ऋषभदेव राज दरबार कर रहे हैं। दूसरी मंजिल में देवगढ़ आदि को नृत्य करते हुए दिखाया गया है तथा तीसरी मंजिल में नीलांजना को नृत्य करते दिखाया गया है। जन्म कल्याणक के दृश्यों में माता के सोलह स्वप्न, छप्पन देव कुमारियों द्वारा माता की सेवा एव सौधर्म इद्र द्वारा सुमेरु पर्वत पर भगवान के जन्माभिषेक के प्रमुख – प्रमुख दृश्य दिखाए गए हैं। इस तरह दिगंबर जैन पुराणों में वर्णित विषयों के अनुसार इस अयोध्या में स्वर्ण खंचित माडलों में कलात्मक रचना पूरे विश्व में अपनी तरह की एक ही रचना है, जिसे देखने पूरे विश्व के यात्री व पर्यटक प्रतिदिन यहां आते हैं। इसके उचित रख – रखाव हेतु इसे देखने के लिए टिकट क्रय करना पड़ता है।

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मंदिर के सामने वाले भाग में भवन की दीवारों पर अनेक रंगीन सुंदर चित्रों पर भी स्वर्ण पालिश का प्रयोग किया गया है। इस भवन के हाल में लकड़ी की निर्मित अनेक आकृतियां हैं और इसके हाल का प्रयोग मुनि द्वारा प्रवचन हेतु किया जाता है। अजमेर वायु मार्ग व रेल मार्ग से भारत के सभी नगरों से जुड़ा है।

 

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