1- श्री गंगा गोदावरी मंदिर
एक प्राचीन और एक नया ऐसे दो मंदिर रामकुंड के किनारे ही स्थापित हैं। प्राचीन मंदिर में गोदावरी और भागीरथी देवियों की मूर्तियां हैं। यहां से गोदावरी दक्षिण दिशा की ओर घूमती हैं। लेकिन यह मंदिर 11 वर्ष बंद रखा जाता है। सिर्फ कुम्भ मेला के एक ही वर्ष में खुला रहता है, इसलिए दूसरा नया गंगा गोदावरी मंदिर स्थापित किया गया है।
2-पवित्र रामकुंड
वनवास काल में श्री राम-सीता यहां स्नान करते थ्ो। रामकुंड सन् 1696 में चित्रराव खटावकर जी ने बनवाया। सन् 1782 में गोपिकबाई पेशवे ने इसे नए सिरे से बनवाया। रामकुंड में अंदरूनी कुदरती झरने हैं। जिनमें हिंदू मृतक की अस्थियां आसानी से विलय हो जाती हैं। मोक्ष प्राप्ति और पुण्य प्राप्ति के लिए भक्तजन रामकुंड में स्नान करते हैं। श्राद्ध और अन्य धार्मिक विधि इसी राम कुंड परिसर में की जाती है।
3- सीतागुफा मंदिर
यहां पांच बरगद के पेड़ हैं। जिनसे इस स्थान का नाम पंचवटी पड़ा है। वनवास काल में सीता माता यहां छिपकर रहती थीं। रावण ने सीता माता का इसी परिसर से अपहरण किया था। गुफा में राम-सीता-लक्ष्मण की मूर्तियां और शिवलिंग हैं। यहीं सामने माता सीता ने श्री राम चंद्र जी से हिरण पकड़कर लाने का अनुरोध किया था।
4- कपालेश्वर मंदिर
सन् 1763 में जगजीवनराम पंवार जी ने इसे बनवाया था। मंदिर की सीढ़ियां कृष्णा जी पाटिल पंवार ने बनवाई हैं। गर्भ गृह में संगमरमर की आकर्षक शिव पिंडी है। यहां नंदी की मूरत नहीं है। पहली सीढ़ीं के आसपास गण्ोश, हनुमान मंदिर हैं। ऊपर की ओर विष्णु,गंगा देवी, गणपति आदि के मंदिर हैं। महाशिवरात्रि के दिन यहां भव्य आयोजन होते हैं।
5- जैन मंदिर
यह मंदिर नासिक से दस किलोमीटर की दूरी पर बनाया गया है। मंदिर में कई मूर्तियां स्थापित हैं।
6- सुंदर नारायण मंदिर
यह मंदिर नासिक शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके में रविवार कारंजा चौक के नजदीक अहिल्याबाई होलकर पुल के पास और गोदावरी नदी के किनारे बनाया गया है। इसे सन 1756 में बनवाया गया है। मंदिर में विष्णु भगवान की प्रतिमा है।
7- श्री राम पर्णकुटी तपोवन
श्री राम-लक्ष्मण-सीता वनवान काल के आखिरी दो बरस तपोवन में पर्णकुटी में रहें। शुर्पणखा की नाक लक्ष्मण जी ने यही काटी थी। यहां पर राक्षण खरदूषण और उसकी सेना का वध श्री राम-लक्ष्मण ने किया था। मंदिर में श्री राम-सीता-लक्ष्मण की मूर्तियां है। लक्ष्मण की यहां सिद्ध मूर्ति है।
8- पांडव गुफाएं
यहां 2०2० वर्ष पुरानी गुफायंे है। यहां तमाम प्राचीन मूर्तियां भी आकर्षण का केंद्ग हैं।
9- सप्तश्रींगी देवी मंदिर
यह भव्य मंदिर है। देवी के माथ्ो पर सरताज है और उनकी 18 भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र हैं। मान्यता है कि देवी के पैरो तले महिषासुर राक्षस यहां मारा गया था। मंदिर की पहाड़ी पर सतीकडा, शिवालय महादेव मंदिर है।
1०- सोमेश्वर मंदिर
यहां चार मंदिरों का अनोखा जमघट है। प्रमुख तो है भगवान शिव के नाम का सोमेश्वर मंदिर, दूसरा राम-सीता-लक्ष्मण मंदिर, तीसरा है विष्णु मंदिर और चौथा है हनुमान मंदिर।
11- त्रयम्बकेश्वर मंदिर
यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। प्रमुख मंदिर है।
भद्रकाली मंदिर
यह नासिक रोड स्टेशन से आठ किलोमीटर दूर स्थित प्रचीन मंदिर है। इस मंदिर का छत्र नहीं बना है। मान्यता है कि यहां भगवती सती की ठुड्डी गिरी थी। यह शक्तिपीठों में गिना जाता है।
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