सूर्य के लिए आर्क की लकड़ियां।
राहु के लिए दुर्वा की लकड़ियां।
केतु के लिए कुशा की लकड़ियां।
शनि के लिए शमि की लकड़ियां।
शुक्र के लिए औदुम्बर की लकड़ियां।
गुरु के लिए पीपल की लकड़ियां।
बुध के लिए अपामार्ग की लकड़ियां।
मंगल के लिए खदिर की लकड़ियां।
चंद्र के लिए पलाश की लकड़ियां।
सनातन धर्म, जिसका न कोई आदि है और न ही अंत है, ऐसे मे वैदिक ज्ञान के अतुल्य भंडार को जन-जन पहुंचाने के लिए धन बल व जन बल की आवश्यकता होती है, चूंकि हम किसी प्रकार के कॉरपोरेट व सरकार के दबाव या सहयोग से मुक्त हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आप सब के छोटे-छोटे सहयोग के जरिये हम इस साहसी व पुनीत कार्य को मूर्त रूप दे सकें।
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