भगवती भवानी दुर्गा समस्त सृष्टि का संचालन करने वाली आधारभूत शक्ति हैं, वह आदि शक्ति स्वरूपा है, वहीं सनातनी देवी है, जिन्होंने हुंकार मात्र से सृष्टि का सृजन किया था, जो भक्त पूर्ण मनो व भक्ति भाव से भगवती की आराधना व पूजन करता है, उसके लिए सृष्टि में कुछ भी असाध्य नहीं रहता है। वह सृष्टि में निर्भय होकर विचरता है। उसके भय व संताप मिट जाते हैं और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। विश्ोष तौर नवरात्रि के समय में भगवती की अराधना की जाए तो भक्त को सिद्धि-ऋद्धि की प्राप्ति होती है। उसकी अभिलाषायें पूर्ण होती है। नवरात्रि का समय भगवती की साधना के लिए सबसे सही रहता हैं, लेकिन साधक को इस अवधि में विशेष सतर्कता बरतते हुए साधना में संलग्न होना चाहिए।
पूजन में बरते ये सावधानियां
1. एक व्यक्ति कई प्रयोग कर सकता है, लेकिन एक प्रयोग करने के बाद दूसरा प्रयोग करने से पूर्व हाथ मंंह पैर आदि को धोना आवश्यक है, यदि संभव हो तो स्नान करें।
2. साधना प्रयोग करने से पूर्व प्रत्येक बार (एक साधना प्रयोग पूरा करने के बाद जब दूसरा प्रयोग आरम्भ करें) हाथ मे जल लेकर अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र, शहर, देश का नाम आदि उच्चारण करें। तत्पश्चात जल अपने ऊपर छिड़कें।
3. प्रयोग करने से पूर्व आवश्यक सामग्री एकत्रित कर लें।
4. साधना प्रयोग के लिए कंबल अथवा कुशासन का उपयोग करें।
5. साधना काल में पवित्रता एवम ब्रह्मïचर्य का पालन करें।
6. नवरात्रि काल में बाल न कटवायें।
उक्त सावधानियों का पालन करते हुए साधना करने से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। कार्यसिद्घि के लिए नवरात्रि में किये जाने वाले ये सिद्घ प्रयोग जो प्राणियों की अभिलाषा पूर्ण कर परम सुख प्रदान करते है।
1. अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति की कामना के लिए
अखण्ड सुहागन रहना हर स्त्री चाहती। पति का सुख सर्वश्रेष्ठ सुख है। अखण्ड सौभाग्यशाली होने के लिए नित्य प्रति नीचे लिखे मंत्र का पाठ करें।
ह्रीं क्रीं ह्रीं स्वाहा।
2. यश प्राप्ति के लिए
लेखक, साहित्यकार या कलाकार प्रसिद्धि प्राप्त करेन के लिए सदैव लालयित रहता है, जो भगवती महासरस्वती की कृपा के बिना संभव नहीं है, अत: भगवती सरस्वती जी का सरस्वती यंत्र स्थापित करके पूजन करें और मंत्र पाठ करें-
सरस्वती महाभागे विद्ये कमल लोचने।
विद्या रुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते।।
उपरोक्त मंत्र का पाठ रुद्राक्ष माला से करें।
3. उत्तम वर प्राप्त करने हेतु प्रयोग
देवी यंत्र स्थापित करके स्फटिक की माला से मंत्र पाठ करें-
हे गौरि शंकरार्धगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
यथा मां कुरु कल्याणि कान्तकान्ता सुलभाम।।
4. धनवर्षा प्रयोग
नवरात्रि में पूजा गृह में देवि महालक्ष्मी की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करके पूजन करें, तत्पश्चात मंत्र पाठ करें-
पद्मासने पढ् अरु पद्मक्षि पद्म सम्मवे।
तन्मे भजसि पद्माक्षि, येन सौख्यं लभामहे।।
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने।
धनं में जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे।।
तीन हकीक पत्थर, तीन मोती, शंख एवम चार गोमती चक्र को एक ताँबे के सिक्के के साथ बांधकर पूजा स्थल में रखकर पाठ करें।
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