भगवती दुर्गा भवानी के तीनों लोकों में जो परम सुंदर और अत्यन्त भंयकर रूप विचरते हैं, उन विभिन्न स्वरूपों से देवी भगवती दुर्गा आप हमारी रक्षा करें। वह हमारा कल्याण करें। उनकी कृपा हमे प्राप्त हो, ऐसी भावना करके उनकी स्तुति करने से मनुष्य को कल्याण की प्राप्ति होती है। विश्ोष तौर पर नवरात्रि के पावन काल में उनकी अराधना की जाए तो भगवती दुर्गा सहज प्रसन्न होती है, और भक्त का कल्याण करती है।
वह प्रसन्न होने पर भक्त के संकटों को हर कर उसकी बाधाएं दूर करती हैं और धन- धान्य से उसके भंडारे भर देती है। जीव को उत्तम गति प्रदान करती हैं, इसलिए नवरात्रि के पावन समय में भगवती का पूजन अर्चन आवश्य करना चाहिए।
पूजन में बरते ये सावधानियां
1. एक व्यक्ति कई प्रयोग कर सकता है लेकिन एक प्रयोग करने के बाद दूसरा प्रयोग करने से पूर्व हाथ मंंह पैर आदि को धोना आवश्यक है, यदि संभव हो तो स्नान करें।
2. साधना प्रयोग करने से पूर्व प्रत्येक बार (एक साधना प्रयोग पूरा करने के बाद जब दूसरा प्रयोग आरम्भ करें) हाथ मे जल लेकर अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र, शहर, देश का नाम आदि उच्चारण करें। तत्पश्चात जल अपने ऊपर छिड़कें।
3. प्रयोग करने से पूर्व आवश्यक सामग्री एकत्रित कर लें।
4. साधना प्रयोग के लिए कंबल अथवा कुशासन का उपयोग करें।
5. साधना काल में पवित्रता एवम ब्रह्मïचर्य का पालन करें।
6. नवरात्रि काल में बाल न कटवायें।
उक्त सावधानियों का पालन करते हुए साधना करने से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। कार्यसिद्घि के लिए नवरात्रि में किये जाने वाले ये सिद्घ प्रयोग जो प्राणियों की अभिलाषा पूर्ण कर परम सुख प्रदान करते हैं।
1. वास्तु दोष निवारण
नवरात्रि के दिन मिट्टी के घड़े पर स्वास्तिक बनाकर घर में ईशान कोण पर स्थापित करें तत्पश्चात घड़े में एक कौड़ी इलाइची डालें। ये वस्तुएं डालने से पूर्व घड़े को पानी से अवश्य भर लें उसके बाद ग्यारह कौडिय़ां, ग्यारह इलाइची और ग्यारहगोमती चक्र घड़े में डालकर ढक्कन बंद करके दक्षिणमुखी गणेश स्थापित करें। अगले दिन घड़े का पानी खाली कर गोमती चक्र धोकर रख लें और जल को किसी पौधे में डाल दें फिर वही पूर्व क्रिया दोहरायें। दक्षिण मुखी गणेश का अर्थ जिसकी सुंड दांयी ओर हो।विजयदशमी के दिन घड़े का जल भवन में छिड़के।
2. गढ़ा धन प्राप्त करने के लिए
नवरात्र स्थापना दिवस को बाजोट पर काला वस्त्र बिछाकर एक थाली में श्रीं लिखकर पुष्प आसन पर कनक धारा यंत्र स्थापित करके नीचे लिखे मंत्र का पाठ तन्मय होकर करें-
ऊँ वं श्रीं वें ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कनक धारायै स्वाहा।।
पूरे नवरात्र भर यंत्र का पूजन करें, तत्पश्चात दशमी के दिन यंत्र को उस भवन या जमीन में दबा दें जहां गढ़ा धन होने की संभावना हो। चालीस दिन के अंदर स्वप्न में वह गढ़ा धन आपको दिखायी देगा।
3. निजी भवन के लिये
भोजपत्र पर अपनी इच्छा लिखकर मंत्र पाठ करें। लिखने के लिए केशर का उपयोग करें।
ऊँ देपोत्थाय नम:।।
नौ दिन तक पूजा पाठ करें दशमी के दिन भोजपत्र एवम समस्त पूजन सामग्री किसी वृक्ष की जड़ के निकट मिट्टी में दबा दें।
4. अन्य सुख प्रदायक प्रयोग
नवरात्र स्थापना के दिन एक थाली में अष्ट दल बनाकर केशर, कुमकुम आदि से पूजन करके उपरोक्त वस्तुएं अष्टïदल के मध्य रखें तदुपरान्त अष्ट दल के आठों खानों में एक एक कौड़ी स्थापित करके रक्तचंदन की माला से 21 माला जप करें। नवरात्रि के नौ दिनों तक जप करें।
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