नीम- शीतल , अत्यन्त पवित्र , विषनाशक , कृमिनाशक और सभी प्रकार के रोगों को दूर करने वाला होता है । यह वायुमण्डल को धर्म : शुद्ध करता है । यों तो नीम की पत्तियाँ और निबौरी- कडवी होती हैं लेकिन फिर भी यह अत्यन्त उपयोगी होती हैं । मानव शरीर में होने वाले प्राय : सभी रोगों का उपचार नीम से हो सकता है । नीम का प्रयोग करने से- नेत्र रोग , दाँतों के रोग , रक्त विकार , कृमि रोग , कोढ , विविध प्रकार के विष , बुखार , प्रमेह , गुप्त रोग आदि रोग स्थायी रूप से समाप्त हो जाते हैं । इसका पत्ता , फल , फूल , छाल सभी उपयोगी होता है । इसके बीज ( निमोली ) से तेल निकलता है । नीम की छाल में कड़वा रालमय सत्व , मार्गोसीन , उड़नशील तेल , गोंद , श्वेतसार शर्करा और टैनिन पाया जाता है । नीम कड़वी , कसैली और हल्की होती है । चर्म रोगों में यह विशेष रूप से लाभप्रद है । यह रक्त शोधक , कफहर , ज्वर और आँखों के लिए उपयोगी है।
- प्रतिदिन नीम की 10- 12 ताजी पतियाँ चबाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और कब्ज कि समस्या में भी राहत मिलाती है । नीम के पत्तों का रस शहद के साथ लेने से पेट के कीड़े मर जाते है।
- नीम की निमोनी का गूदा गर्म जल के साथ लेने से विष का प्रभाव नष्ट हो जाता है। नीम की छाल के क्वाथ से दंत रोग नहीं होता हैं ।
- नीम के पत्ते पीस कर पीने से कुष्ठ रोग मिटता है।
- फोड़े फुसियों पर नीम का तेल लगाने से आराम मिलता है। नीम के सूखे पत्तों के साथ घी मिलाकर धूप देने से बच्चों के ज्वर में फायदा होता है। निमोली का गूदा गुड़ के साथ खाने से बवासीर में लाभ होता है।
- नीम के पत्ते को घी में भून कर आँवला के साथ खाने से रक्त विकार में फायदा होता है।
- नीम की 21 सीक तथा 21 काली मिर्च पीस कर थोड़ा गर्म कर पीने से विषम ज्वर में आराम मिलता है।
- शहद के साथ नीम के पत्तों का रस पीने से कामता में लाभ होता है।
- नीम के दातुन के प्रयोग से पायोरिया और दन्त कीड़े में लाभ होता है ।