नेत्र ज्योतिवर्धक, चेचक के दाग व फ्लू में फायदेमंद
नेत्र ज्योतिवर्धक – एक गिलास नारंगी के रस में स्वादानुसार जरा सी कालीमिर्च और सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। होम्योपैथिक डॉ . ई . पी . एन्शूज ने नारंगी को अनेक रोगों में उपयोगी बताया है। गठिया, आमाशय, यकृत, पीलिया, आँतों की सफाई, हृदय और दाँतों के रोग, मानसिक थकावट, खुश्की, सुस्ती, प्यास अधिक लगना, चेहरे पर फुंसियाँ होना विकारों को दूर करने के लिए लम्बे समय तक नित्य नारंगी खायें या रस पियें। स्वाद बढ़ाने हेतु चीनी, मिश्री या सोंठ डाल सकते हैं।
चेचक के दाग – नारंगी के छिलके सुखाकर पीस लें। इसके पाउडर में चार चम्मच गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बनाकर नित्य चेहरे पर मलें। चेचक के दाग हल्के पड़ जायेंगे।
फ्लू – संसार के कुछ भागों में विश्वास है कि जब फ्लू ( इन्फ्लूएंजा ) हो रहा हो या महामारी के रूप में फैल रहा हो तो नारंगी खाकर इससे बचा जा सकता है, फ्लू होने पर भी यह लाभदायक है। इन्फ्लूएंजा होने पर केवल नारंगी ही खाते रहें, गर्म पानी पियें, फ्लू ठीक हो जायेगा।
ज्वर – नारंगी में सिट्रिक होता है जो ज्वर के कीटाणुओं को मारता है। इसके सेवन से तेज ज्वर में तापमान घट जाता है। पानी के स्थान पर नारंगी का रस ही बार – बार पिलायें।